लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नियमों की अनदेखी कर चलाये जा रहे मदरसों पर योगी सरकार की गाज गिर गई है। राज्य मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त 513 मदरसों पर ताला बंदी किये जाने की बात सामने आई है। प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता के बिना मदरसों में होने वाले फर्जीवाड़े को लेकर की गई सख्ती के बाद इन मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। संचालकों ने मदरसा शिक्षा परिषद को अपनी मान्यता समर्पण करने का प्रस्ताव भेजा है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद की मंगलवार 10 सितंबर को हुई बैठक में संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। मान्यता समर्पण करने के कारणों का पता लगाने और प्रक्रिया पूरी करने के लिए मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार को अधिकृत किया गया है।
ज्ञातव्य हो, 2004 में मुलायम सिंह सरकार में यूपी मदरसा शिक्षा कानून बना था। इसी कानून के तहत यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड बना। बोर्ड में चेयरमैन से लेकर सदस्य तक सिर्फ एक ही धर्म विशेष मतलब मुसलमानों को रखा गया। उसमें भी शिया और सुन्नी मुसलमानों के लिए कोटा फिक्स कर दिया गया. हाई कोर्ट ने इसे संविधान के खिलाफ माना. आर्टिकल 14 के समानता के अधिकार के खिलाफ इसे समझा गया. इसीलिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बोर्ड को असंवैधानिक करार दिया है. इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माना है. बता दें कि लखनऊ के एक वकील अंशुमान सिंह ने अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए ही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने हाल ही में ये फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि मदरसा बोर्ड संविधान के आर्टिकल 21 और 21। के भी खिलाफ है, जिसमें बच्चों को मुफ्त स्कूली शिक्षा अधिकार दिया गया है, लेकिन यूपी के मदरसे बच्चों से फीस ले रहे थे. इसके साथ ही कुछ मदरसों में उच्च शिक्षा भी दी जा रही थी. हालांकि इसके लिए यूजीसी से मान्यता की जरूरत होती है।
गौरतलब हो, उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त 16,513 मदरसों का संचालन हो रहा है। इनके अलावा प्रदेश में 8,449 मदरसे बिना मान्यता के संचालित हो रहे थे। इन मदरसों को बंद करके यहां के बच्चों को आसपास के प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश देने का आदेश शासन ने दिया था। इस आदेश के विरोध में मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। अब मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त 513 मदरसों के समर्पण करने के प्रस्ताव के पीछे के कारणों की जांच करने के साथ रजिस्ट्रार को आगे की कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया है। इन मदरसों को केंद्र सरकार से वर्ष 2021 के बाद से आधुनिकीकरण के लिए मिलने वाला बजट बंद हो गया। इसके बाद राज्य सरकार से भी बजट नहीं मिलने के कारण शिक्षकों के वेतन का भी संकट खड़ा हो गया।प्रदेश सरकार ने कई मदरसों में कागजों पर अधिक बच्चे दिखाकर छात्रवृत्ति लेने का फर्जीवाड़ा भी जांच में पकड़ा था। ऐसे में खस्ताहाल हो रहे इन मदरसों ने अपनी मान्यता का समर्पण करने का प्रस्ताव मदरसा परिषद को दिया है।