By दिनेश शुक्ल | Jan 04, 2021
भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने आरक्षण नियमों में गड़बड़ी को लेकर भाजपा की शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए है। मिथुन अहिरवार ने कहा कि मध्य प्रदेश 100 प्रतिशत असंवैधानिक आरक्षण लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। उन्होंने एमपी पीएससी प्रारंभिक परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े को लेकर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जब कमलनाथ सरकार ने 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी वर्ग के लिए किया था, तो बीजेपी ने इसका विरोध किया था। पहले 50 प्रतिशत आरक्षण के साथ 50 प्रतिशत सीटें मेरिट के आधार पर अनारक्षित होती थी, मगर बीजेपी सरकार ने अब इन 50 प्रतिशत अनारक्षित सीटों को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करके 50 प्रतिशत मेरिट आधारित सीटों से एससी,एसटी एवं ओबीसी वर्ग को वंचित कर दिया है। इस तरह सौ प्रतिशत आरक्षण लागू करके बीजेपी ने संविधान का मजाक उड़ाया है। यह सीधा-सीधा जाति आधारित भेदभाव है, जो प्रदेश सरकार की शह पर हो रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने कहा कि ओबीसी मुख्यमंत्री के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा ने अपना असली रंग दिखा दिया है। इस परीक्षा परिणाम में जिन बच्चों ने मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग के आवेदकों से ज्यादा अंक हासिल लिए हैं, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में पास ना बता कर आरक्षित श्रेणी में ही पास बताया गया है। उन्होंने कहा कि बीते 17 फरवरी 2020 को जारी राजपत्र में यह कहीं नहीं लिखा है कि 100 प्रतिशत आरक्षण देना है या फिर मेरिट के आधार पर जो अनारक्षित श्रेणी में उत्तीर्ण हो रहा है, उसे आरक्षित श्रेणी में ही उत्तीर्ण करना है। उसमें केवल यह लिखा है कि सभी श्रेणियों की अलग-अलग सूचियां तैयार की जाएगी एवं अंकों के आधार पर जो अनारक्षित श्रेणी में चयनित होगा। उसे अनारक्षित श्रेणी में चयनित किया जाएगा तथा आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार जिन्होंने अनारक्षित श्रेणी से कम अंक हासिल किए हैं, उन्हें आरक्षित श्रेणी में रखा जाएगा।
यदि भाजपा नेताओं की बातों को मानने से पहले एमपी पीएससी के अधिकारियों ने यह राज्य पत्र ठीक से पढ़ लिया होता और समझ लिया होता तो ऐसा फर्जीवाड़ा नहीं होता। कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि आईएएस टॉपर टीना डाबी के मामले में जो हुआ था उसमें भी यही हुआ था कि प्रारंभिक परीक्षा उन्होंने आरक्षित श्रेणी में उत्तीर्ण की थी तथा मुख्य परीक्षा के बाद उनको जो कैडर दिया गया था वह ओपन श्रेणी में दिया गया था क्योंकि प्रारंभिक परीक्षा में उन्होंने आरक्षण का लाभ लिया था। मध्य प्रदेश कांग्रेस यह मांग करती है कि इस फर्जी, सौ प्रतिशत असंवैधानिक आरक्षण वाले परीक्षा परिणाम को निरस्त किया जाए एवं जिन अधिकारियों और नेताओं ने मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया है उनके ऊपर एससी, एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए।