16 मई को लगेगा चंद्र ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा और नहीं रहेगा सूतक

By डा. अनीष व्यास | May 10, 2022

साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण जल्द ही लगने जा रहा है। इस साल लगने वाला ये चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। बता दें कि इस साल दो चंद्र ग्रहण लगेंगे। सबसे पहला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को लगने जा रहा है। वहीं, दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को लगेगा। ये दोनों ही चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सोमवार 16 मई 2022 को चंद्र ग्रहण होगा। इस दिन वैशाख मास की पूर्णिमा है। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इस कारण ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। वैशाख पूर्णिमा से संबंधित पूजन कर्म और अन्य सामान्य पूजा-पाठ के लिए कोई बाधा नहीं रहेगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों का ही जीवन में बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए और ऐसे में भगवान की पूजा भी नहीं की जाती है। 30 अप्रैल 2022 को पहला सूर्य ग्रहण लग चुका है और अब सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। 30 अप्रैल को लगे इस सूर्य ग्रहण के बाद अब 16 मई 2022 को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस साल कुल 4 ग्रहण लगने हैं, जिनमें से 2 सूर्य ग्रहण हैं और 2 चंद्र ग्रहण हैं। इनमें से एक सूर्य ग्रहण लग चुका है, जो कि आंशिक सूर्य ग्रहण था। लेकिन 16 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा।

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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भारतीय समयानुसार ग्रहण की शुरुआत सुबह 7.58 बजे होगी और ग्रहण 11.25 बजे खत्म होगा। यह ग्रहण कनाडा, न्यूजीलैंड के कुछ भागों में, जर्मनी में दिखेगा। 30 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर सूर्य ग्रहण हुआ था, ये ग्रहण भी भारत में नहीं दिखा था। आचार्य वराहमिहिर की बृहत्संहिता में लिखा है कि जब एक ही माह में दो ग्रहण होते हैं तो सैन्य हलचल बढ़ती है और किसी देश में तख्तापलट होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ये चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में हो रहा है। ग्रहण जहां दिखाई देगा, वहीं इसकी धार्मिक मान्यताएं मान्य होंगी। भारत में ग्रहण का कोई सूतक नहीं होंगा और न ही भारत देश में रहने वाले वृश्चिक राशि के लोगों पर इस ग्रहण का कोई असर होगा।


चंद्र ग्रहण का समय 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल का यह पहला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 को लगेगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण की शुरुआत सुबह 7.58 बजे होगी और ग्रहण 11.25 बजे खत्म होगा। हालांकि, भारत में इस चंद्र ग्रहण की दृश्यता शून्य होगी, इसलिए यहां इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।


कहां-कहां दिखाई देखा चंद्र ग्रहण 

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल का पहला चंद्र ग्रहण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा।


मान्य नहीं होगा सूतक काल 

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूतक काल चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले लगता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सूतक काल के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा इसलिए यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।


चंद्र ग्रहण ग्रहण के दौरान मंत्र जाप  

ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्

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क्या होता है पूर्ण चंद्र ग्रहण 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल लगने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण है. पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी ठीक उसके सामने आ जाती है और उसी समय पृथ्वी के आगे चंद्रमा आ जाता है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी सूर्य को पूरी तरह से ढक लेती है जिस से चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता।


वैशाख पूर्णिमा पर कर सकेंगे पुण्य कर्म

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भारत में ग्रहण नहीं दिखने से यहां ग्रहण से संबंधित कोई नियम मान्य नहीं होगा। इस कारण वैशाख पूर्णिमा से संबंधित सभी पुण्य कर्मों में किसी तरह की कोई बाधा नहीं रहेगी। पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। किसी तीर्थ क्षेत्र के मंदिरों के दर्शन करें। दान-पुण्य करें। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की परंपरा है। इसके साथ ही भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। सोमवार को पूर्णिमा होने से इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध और फिर से जल चढ़ाकर अभिषेक करना चाहिए। धूप-दीप जलाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।


- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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