इस मंदिर में स्वयं भगवान राम ने की थी गणेशजी की स्थापना

By कमल सिंघी | Sep 05, 2019

गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान भक्त भगवान गणेश की आराधना में लीन रहेंगे। आपके आसपास कई गणेश मंदिर होंगे जहां गणेशजी की स्थापना साधारण तरह से हुई होगी। लेकिन आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहें है जिसकी स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। मध्यप्रदेश के उज्जैन मे स्थित चिंतामन गणेश मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां गणेशजी की स्थापना त्रेतायुग में स्वयं भगवान राम द्वारा की गई थी। चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान गणेश तीन रूप में विराजीत है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही व्यक्ति हर चिंता से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। गणेश चतुर्थी पर इस मंदिर में अवश्य जाना चाहिए। 

इसे भी पढ़ें: राष्ट्रवाद की भावना से उदय हुआ गणेशोत्सव लोकप्रिय बन गया

भगवान श्री राम, सीता व लक्ष्मण ने की थी स्थापना- 

चिंतामन गणेश उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमीटर दूर है। मंदिर में भगवान गणेश की स्थापना को लेकर कई तरह के इतिहास है। कहा जाता है कि यहां गणेशजी की स्थापना भगवान श्री राम ने जब की थी तब वे वनवास में थे। बताया जाता है कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान यहां पहुंचे थे। यहां कुछ समय आराम करने के बाद उन्हें आगे बढ़ना था। इसी दौरान भगवान राम को महसूस हुआ की यह जगह किसी तरह के दोष से ग्रसित है। जिसके बाद भगवान राम ने मन ही मन यहां महादेव व माता पार्वती के प्रिय पुत्र गणेशजी की स्थापना करने का मन बनाया। जिसके बाद भगवान राम, सीता एवं लक्ष्मण द्वारा एक पत्थर पर भगवान गणेश की स्थापना की। कुछ समय भगवान राम, सीता एवं लक्ष्मण ने यहीं पर समय बिताया और प्रतिदिन गणेशजी की पूजा अर्चना की। इस दौरान लक्ष्मण द्वारा एक बावड़ी बनाई गई जिसे लक्ष्मण बावड़ी कहते है। जो आज भी यहां पर मौजूद है। कुछ समय रूकने के बाद भगवान राम, सीता और भाई लक्ष्मण को लेकर आगे वन में प्रस्थान कर गए। 

 

अहिल्याबाई के शासन काल में हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार- 

चिंतामन गणेश मंदिर में रोजाना भक्तों का आवागमन बना रहता है। बताया जाता है कि चिंतामन गणेश मंदिर परमकामलीन है जो 9वीं से 13वीं शताब्दी का बताया जाता है। चिंतामन गणेश मंदिर पर कई चमत्कार हुए है। मंदिर के बारे में बताया जाता है कि वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्याबाई होल्कर के शासनकाल में हुआ था। चिंतामन गणेश ने अहिल्याबाई को स्वप्न दिया कि अगर शासन काल को चिंतामुक्त रखना हो तो मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया जाना चाहिए। जिसके बाद अहिल्याबाई ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। मंदिर पर सिंह विराजमान है जो इस बात का संकेत प्रदान करते हैं। 

इसे भी पढ़ें: पर्युषण पर्व में साफ-सफाई का रखा जाता है खास ख्याल

तीन रूप में विराजित गणेश हर लेते है चिंता-

चिंतामण गणेश मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन हेतु गणेश चतुर्थी तथा प्रत्येक बुधवार को भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मंदिर में भगवान गणेश तीन रूपों में विराजित है जो स्वयंभू है। इस मंदिर में भगवान गणेश पहले चिंतामन, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक रूप में विराजित है। चिंतामन गणेश चिंता से मुक्त करते है, इच्छामन गणेश भक्तों की मनोकानाएं पूर्ण करते है तथा सिद्धिविनायक सिद्धी प्रदान करते है। गणेश चतुर्थी को उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर अवश्य जाना चाहिए।  

 

- कमल सिंघी

 

प्रमुख खबरें

Jharkhand Elections 2024 । कांग्रेस नेता Ghulam Ahmad Mir के वादे पर चढ़ा सियासी पारा, भाजपा ने घेरा

Kailash Gahlot के इस्तीफे पर सियासी बवाल, AAP के आरोपों पर BJP ने किया पलटवार, Congress ने भी साधा निशाना

National Epilepsy Day 2024: आखिर क्यों पड़ते हैं मिर्गी के दौरे? जानें इसके लक्षण

महिला शिक्षा का विरोध करने वाले मौलाना Sajjad Nomani से मिलीं Swara Bhaskar, नेटिजन्स ने लगा दी क्लास