By रितिका कमठान | Jan 31, 2024
संविधान निर्माताओं ने भगवान राम को ही अपना प्रेरणा स्रोत बताया है। भगवान राम का शासन ही संविधान निर्माताओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है। संविधान की मूल प्रति के भाग तीन में भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन है। इन अधिकारों से पहले ही यानी भाग तीन की शरुआत में ही संविधान निर्माताओं ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के चित्रों को उचित स्थान दिया है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सफलतापूर्वक होने के कुछ दिनों के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रभु श्रीराम का शासन संविधान निर्माताओं के लिए प्रेरणा स्रोत था। यही कारण रहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देव से देश का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि मैंने राम से राष्ट्र की बात की थी। अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरा देश एक सूत्र में बंधता हुआ दिखा है। सभी की भावनाएं एक हैं और सभी की भक्ति भी एक है। सभी की बातों में राम है और सभी के दिल में राम बसते है।
हाल ही में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर निर्माण में लोगों ने प्रभु श्रीराम के चरणों में अपना प्रेम समर्पित किया है। भक्तों ने रामलला को समर्पित भजन भी गाए है। वहीं 22 जनवरी की शाम को वो दिन था जब देश भर में राम ज्योति को जलाया गया था। इस दिन राम ज्योति जलाकर ही दिवाली भी मनाई गई थी। ये वो समय था जब देश ने एकजुटका की शक्ति को अपनी आंखों से देखा था। ये शक्ति ही विकसित भारत के हमारे संकल्प का मुख्य आधार भी है।
उन्होंने कहा कि मैंने देश की जनता से मकर संक्रांति से 22 जनवरी तक स्वच्छता अभियान चलाने का अनुरोध किया था। भक्तिभाव के साथ लोग इस अभियान के साथ जुड़े थे। लोगों ने मिलकर अपने क्षेत्र में धार्मिक स्थलों की सफाई की थी। लोगों इस सफाई अभियान से संबंधित तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए। ये भाववा कम नहीं होनी चाहिए।