By अनन्या मिश्रा | Mar 16, 2023
सैकड़ों सालों के बाद रामजन्मभूमि पर श्रीराम के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। रामनगरी में हर ओर राम भजन का मधुर शोर है। यह शोर इसलिए और भी अधिक हो रहा है क्योंकि राम-सीता जी की मूर्ती को शालिग्राम शिला से बनाया जाएगा। यह शालिग्राम की शिला नेपाल से अयोध्या लाई गई है। इस दौरान संत समाज या फिर राम भक्त हर कोई पवित्र पत्थर को देख उनकी आस्था में अभिभूत होता हुआ नजर आ रहा है। आइए जानते हैं नेपाल से आने वाली शालिग्राम शिला की कुछ अनोखी बातों के बारे में...
शालिग्राम निकालने से पहले नदी से मांगी गई क्षमा
बता दें कि शिला को निकालने से पहले काली नदी से क्षमा मांगी गई। इसके बाद विधि-विधान से अनुष्ठान किया गया और फिर शालिग्राम शिला का गलेश्वर महादेव मंदिर में अभिषेक भी किया गया। इन सब कार्यों के बाद शालिग्राम शिला को रामनगरी अयोध्या के लिए रवाना किया गया था।
मूर्तियों पर पड़ेंगी सूर्य की किरणें
शालिग्राम शिला से भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा। इन मूर्ति की ऊंचाई को कुछ इस तरह बनाया जाएगा कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे मूर्तियों के माथे पर पड़ेंगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शालिग्राम की एक शिला का वजन 26 टन तो दूसरी शिला का भार 14 टन के आसपास है।
शालिग्राम पत्थर से तराशी जाएंगी मूर्तियां
नेपाल से आई शालिग्राम शिला से भगवान राम और माता सीता की मूर्ति बनाई जाएगी। इसके अलावा श्रीराम के तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी इसी शिला से तराशी जाएंगी।
भगवान विष्णु का वास
शास्त्रों के अनुसार, शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना गया है। वहीं श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार कहा गया है। शालिग्राम शिला मां लक्ष्मी को अतिप्रिय है। वहीं पौराणिक कथाओं में भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी के विवाह का भी उल्लेख मिलता है।
गंडकी नदी में मिलती हैं शालिग्राम शिला
बता दें कि नेपाल की गंडकी नदी में शालिग्राम के पत्थर पाए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिस घर में प्रतिदिन विधि-विधान से शालिग्राम की पूजा की जाती है। उस घर में और परिवार के सदस्यों के बीच सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। साथ ही उस घर पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।