जन्माष्टी के व्रत को लेकर हर साल ही असमंजस की स्थिति रहती है और हर साल की तरह इस साल भी यह त्योहार दो दिन यानी 23 और 24 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं मथुरा-वृंदावन के कुछ खास कृष्ण मंदिरों के बारे में। वैसे दो जन्माष्टमी की धूम पूरे देश में रहती है लेकिन मथुरा और वृंदावन में इस त्यौहार की रौनक कुछ अलग ही रहती है।
श्रीबांके बिहारी मंदिर
यह वृदांवन की पहचान हैं और इस मंदिर में जन्माष्टमी के एक हफ्ते पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। यहां श्रीकृष्ण का अलग-अलग तरीके से श्रृंगार किया जाता है जिसकी वजह से यह मंदिर बहुत मशहूर है। सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग यहां कान्हा के दर्शनों के लिए आते हैं।
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निधिवन
इस वन का श्रीकृष्ण से गहरा नाता है, कहा जाता है कि आज भी यहां भगवान गोपियों संग रास रचाने आते हैं। शाम होते ही यहां मंदिर में पूजा की खास तैयारी की जाती है और सभी घरों के खिड़की-दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं, यह वन रहस्यों से भरपूर है। शाम होते ही पक्षी और जानवर भी यहां से चले जाते हैं।
राधारमण मंदिर
1542 में बने इस मंदिर में श्रीकृष्ण और राधा शालीग्राम रूप में विराजमान है। यह प्राचीन मंदिर बहुत सुंदर है और जन्माष्टमी के मौके पर इसी भव्यता देखते ही बनती हैं।
कालिया दमन घाट
जन्माष्टमी के मौके पर यदि आप श्रीकृष्ण के बारे और विस्तार से जानना चाहते हैं, तो उनके मंदिरों के अलावा कालिया दमन घाट भी जा सकते हैं। कहा जाता है कि कृष्ण जब कालिया नाग को मारकर लौटे थे तो उनके माता-पिता इतना रोए कि उनके आंसुओं से ये घाट बन गया।
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर
मथुरा शहर के बीचों-बीच यह मंदिर बना हैं। यहीं कारागार में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और इस मंदिर की जन्माष्टमी पूरी दुनिया में मशहूर है।
द्वारकाधीश मंदिर
मथुरा का यह मंदिर 1814 में बनवाया गया था। यहां श्रीकृष्ण से जुड़ी घटनाओं को कलाकृतियों के रूप में रखा गया है। जन्माष्टमी में इस मंदिर में बहुत भीड़ होती है और जन्मभूमि मंदिर के बाद यहीं सबसे ज़्यादा पूजा की जाती है।
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श्रृंगार घाट
यह घाट यमुना नदी के तट पर स्थित है। कहा जाता है कि यहीं पर श्रीकृष्ण ने राधा रानी का श्रृंगार किया था, इसलिए यह घाट राधा जी को समर्पित है।
जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण के बारे में ज़्यादा जानने के लिए मथुरा और वृंदावन की यात्रा करें, क्योंकि यहां श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्यार और कृष्ण की लीलाओं को वर्णन करते अनेक स्थल हैं।
- कंचन सिंह