By अनुराग गुप्ता | Aug 09, 2021
नयी दिल्ली। सालों की कड़ी मेहनत और चार साल के इंतजार के बाद एक खिलाड़ी को ओलंपिक में प्रदर्शन करने का मौका मिलता है। ऐसे में खिलाड़ी पदक जीतेगा या नहीं । यह उसके प्रशिक्षण और मानसिकता पर निर्भर करता है। हाल ही में भारतीय खिलाड़ियों का ओलंपिक का सफर समाप्त हो गया है लेकिन खिलाड़ियों के मन में पेरिस में होने वाले ओलंपिक की चिंताएं जरूर शुरू हो गई होंगी।
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7 पदक हासिल किए। जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य शामिल हैं। इसी बीच हम चर्चा करने वाले हैं लंदन ओलंपिक में शामिल हुई एक महिला खिलाड़ी की। जिसे जीवनयापन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। अपने परिवार का पेट पालने के लिए खिलाड़ी चाय बागान में मजदूरी करने तक को मजबूर हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2012 के ओलंपिक में असम की पिंकी करमाकर ने लंदन की सड़कों पर मशाल लेकर दौड़ी थी। जब पिंकी करमाकर असम वापस लौटी थीं तब उनका स्वागत बिल्कुल वैसा ही हुआ जैसे टोक्यो ओलंपिक से वापस लौट रहे खिलाड़ियों का हो रहा है। लंदन की सड़कों पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाली पिंकी करमाकर 167 रुपए में प्रतिदिन काम करने के लिए मजबूर हैं।लंदन से वापस लौट रही पिंकी करमाकर को तत्कालीन सांसद सर्बानंद सोनेवाल रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचे थे। लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस तरह की उपलब्धि हासिल करने के बावजूद महिला खिलाड़ी देहाड़ी मजदूरी करने के लिए मजबूर है।प्राप्त जानकारी के मुताबिक स्कूल के दिनों में पिंकी करमाकर यूनिसेफ़ की स्पोर्ट्स फ़ॉर डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाती थी। इसके अलावा उन्होंने अशिक्षित महिलाओं को शिक्षित करने का संकल्प भी लिया था। उन्होंने 40 महिलाओं को हर शाम शिक्षा दी है। लेकिन मौजूद समय में अपने परिवार में कमाने वाली इकलौती शख्त हैं।