By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 19, 2021
नयी दिल्ली। केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सोमवार को उच्च सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते लोकसभा दोपहर 3.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई जबिक राज्यसभा आज दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित हो गई है।
इससे पूर्व उच्च सदन की कार्यवाही को दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र एवं राजीव सातव के सम्मान में एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया था। एक बार के स्थगन के बाद जब पूर्वाह्न 12.24 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने मानसून सत्र के पहले दिन सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के चलते पिछले डेढ़ साल से देश की जनता अनिश्चितता के माहौल में जी रही है और किसी को भी यह नहीं पता कि यह कब तक चलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर से मिली सीख और अनुभवों को लेकर तीसरी लहर की चुनौतियों का सामना करना जरूरी है।
उपराष्ट्रपति के संबोधन के दौरान ही कुछ विपक्षी सदस्यों ने उनकी किसी बात पर आपत्ति करते हुए हंगामा आरंभ कर दिया लेकिन नायडू ने उन्हें शांत कराते हुए कि सदन की शुरुआत में सभापति का वक्तव्य एक परंपरा रही है। इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में प्रवेश किया। सत्ताधारी दल के सदस्यों ने मेज थपथपाकर उनका स्वागत किया। हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रधानमंत्री को अपनी मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों का परिचय कराने को कहा। इसी बीच विपक्षी दलों के सदस्य आसन के निकट पहुंच गए और जोर से नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्यों को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते सुना गया। हंगामे के कारण प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय नहीं करा सके और उन्होंने नये मंत्रियों की सूची को सदन के पटल पर रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में महिलाएं ओबीसी, आदिवासी और दलित सांसद नये मंत्री बने हैं। उन्होंने सवाल किया कि यह कौन सी मानसिकता है जिसमें महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, किसानों के बेटों के गौरव का सम्मान नहीं होने दिया जा रहा है। उन्होंने इसे ‘‘दलित-आदिवासी और महिला विरोधी मानसिकता’’ करार दिया।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्ष के इस आचरण की निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने सदन में पहले कभी ऐसा दृश्य नहीं देखा कि नये मंत्रियों का परिचय सदन से नहीं करवाया जा सका। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री के समय से चल रही इस परंपरा में बाधा पहुंचाना बहुत दुखद है। उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह व्यवहार देश के लोकतंत्र को ‘‘हानि’’ पहुंचायेगा। इसके बाद नायडू ने हंगामे के बीच ही आवश्यक दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखवाया। उन्होंने सदस्यों से अपनी सीट पर वापस लौटने का आग्रह किया लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामा जारी रखा। हंगामा जारी देख सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी। इससे पहले, राज्यसभा की कार्यवाही मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को दिवंगत वर्तमान सदस्यों रघुनाथ महापात्र एवं राजीव सातव के सम्मान में एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी।