केशव प्रसाद मौर्य का दावा, यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव में 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई होने वाली है

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 02, 2021

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अगले वर्ष की शुरुआत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में 2017 की तरह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणाम आने का दावा करते हुए कहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई होने वाली है क्योंकि ‘‘दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। उत्तर प्रदेश के चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़े जाने की बात कहते हुए उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव बाद मुख्यमंत्री का फैसला केंद्रीय नेतृत्व और निर्वाचित विधायक करेंगे। उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बृहस्पतिवार को 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले में 2022 में उनकी भूमिका को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि वह अध्यक्ष नहीं हैं लेकिन 2022 में उनका दायित्व अध्यक्ष से कम नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम उप-मुख्‍यमंत्री हैं, योगी जी मुख्‍यमंत्री, स्‍वतंत्रदेव सिंह प्रदेश अध्यक्ष और डॉक्टर दिनेश शर्मा उप-मुख्‍यमंत्री के रूप में हैं। इस लिहाज से भाजपा की टीम 2017 की तुलना में ज्यादा समर्थ है।

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मौर्य ने दावा किया कि भाजपा 2022 में 300 का आंकड़ा पार करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘इस आंकड़े को पार करने में मुझे कोई संशय दिखाई नहीं देता है। हम यह मानते हैं कि 2022 के चुनाव और 2024 के चुनाव एक दूसरे के सहायक सिद्ध होंगे। इसलिए 2022 के चुनाव में भाजपा का कार्यकर्ता जी जान लगाकर लड़ेगा और भाजपा को जिताएगा। उन्होंने कहा, जैसे जनता ने हमें 2014, 2017 और 2019 में आशीर्वाद दिया उसी तरह 2022 में भी किसी विरोधी दल के बहकावे में आए बगैर फैसला करेगी। जब चुनावी मौसम आता है तो ये (विपक्षी दल) सक्रिय हो जाते हैं। किसी की परिवार की सीमा है, किसी की जाति की सीमा है, किसी की तुष्टीकरण की सीमा है और किसी की अपराधियों और गुंडे को साथ लेकर चलने की सीमा है लेकिन सबके विकास का जो लक्ष्य है वह भारतीय जनता पार्टी का है।

भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है और सबसे बड़े नेता का मार्गदर्शन हमारे पास है। बाकी दलों में इसका अभाव है। विधानसभा चुनाव में नेतृत्व के सवाल पर मौर्य ने कहा कि, जब सरकार नहीं होती तो स्वाभाविक रूप से लोग मानने लगते हैं कि जो अध्यक्ष होगा वही सरकार बनने पर मुख्यमंत्री बनेगा। लेकिन वर्तमान में ‘‘योगी आदित्यनाथ मुख्‍यमंत्री हैं। अभी तो हम भी मान रहे हैं और बाकी भी सभी मान रहे हैं कि 2022 के जब परिणाम आएंगे तो योगी जी ही मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन, यह मेरे द्वारा नहीं कहा जा सकता है। उत्तर प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन हो, यह फैसला जो केंद्रीय नेतृत्व है, केंद्रीय संसदीय बोर्ड है और जो केंद्रीय पर्यवेक्षक आएंगे उनके जरिये उस समय जो विधायक दल होगा उसके द्वारा तय किया जाएगा।’’ मौर्य ने कहा, ‘‘मेरा व्यक्तिगत तौर पर एक कार्यकर्ता के नाते पार्टी की सफलता के लिए जी जान लगाने का संकल्प है और मैंने जो मेहनत 2017 के विधानसभा चुनाव में की है उससे ज्यादा मेहनत 2022 के चुनाव में करूंगा। 2022 के विधानसभा चुनाव में 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई होने वाली है...क्योंकि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव के समय केशव प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे और तब उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में भाजपा को 403 सीटों में से 312 और सहयोगी दलों को 13 सीटें मिली थीं। इस बहुमत के बाद केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बनाये जाने की अटकलें लगी थीं लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को मुख्‍यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्य को उप मुख्‍यमंत्री बनाया।

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उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ी जाति के भाजपा के सबसे प्रमुख चेहरों में हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, उप्र में पिछड़ी जातियां 55 प्रतिशत हैं। 55 प्रतिशत समुदाय को उपेक्षित छोड़कर राजनीति करना या उप्र में काम करना संभव ही नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर वर्ग के उत्थान के लिए हम काम कर रहे हैं। 2014 से लेकर अब तक जो भी चुनाव जीते हैं उनमें सबसे बड़ा योगदान पिछड़े वर्ग का रहा है। यह पूछे जाने पर कि पिछड़े वर्ग ने भाजपा को भरपूर समर्थन दिया पर क्या पार्टी ने भी उसी अनुपात में पिछड़ों को प्रतिनिधित्व दिया है, मौर्य ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़े वर्ग से ही आते हैं। भाजपा लगातार सामाजिक उत्थान और सामाजिक समरसता की दृष्टि से सोचती है और काम करती है। समाज के हर हिस्से - पिछड़ा, अगड़ा, अनुसूचित वर्ग, आदिवासी वर्ग सबको भरोसा दिलाते हैं। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की ओर से ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित किये जाने के संदर्भ में यह पूछे जाने पर कि क्या ब्राह्मण भाजपा से नाराज हैं, उप- मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा से कोई भी वर्ग नाराज नहीं है। उन्होंने कहा,2017 में जिन दलों को विपक्ष में रहकर जनता की सेवा का उत्तरदायित्व मिला था वह अपना उत्तरदायित्व भूल गये थे। उन्होंने कहा, ‘‘चुनावी मौसम में जैसी सक्रियता कुछ दलों और नेताओं की दिखती है इसके सिवा इन सम्मेलनों का कोई निहितार्थ नहीं है।

भाजपा जितनी ताकतवर 2017 में थी उससे ज्यादा ताकतवर 2022 में होगी। मौर्य ने कहा, हर समाज का सम्मान होना चाहिए व उसकी जो समस्या है उसका समाधान होना चाहिए और जो तमाम प्रकार की महत्वाकांक्षा होती है, उसकी पूर्ति समाज के अन्य वर्गों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए करना चाहिए। उन्होंने कहा, इसका मैं समर्थन करता हूं कि कोई भेदभाव सत्‍ता के माध्‍यम से नहीं होना चाहिए। हमारी सरकार में कोई भेदभाव नहीं हो रहा है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष एवं उत्‍तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 18 जुलाई को मीडिया से दावा किया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण सत्तारूढ़ भाजपा को वोट नहीं देंगे। उन्होंने घोषणा की थी कि ब्राह्मण समाज को जागरूक करने के लिए महासचिव सतीश मिश्रा के नेतृत्व में बसपा अभियान शुरू करेगी जिसमें ब्राह्मणों को भरोसा दिया जाएगा कि बसपा शासन में ही उनका हित सुरक्षित है। इसके बाद सतीश मिश्र की अगुवाई में जिलेवार प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की श्रृंखला चल रही है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने भी जनेश्‍वर मिश्र के बलिया जिले में स्थित पैतृक गांव से बुद्धिजीवी वर्ग सम्मेलन की शुरुआत की है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार और खासकर मुख्यमंत्री एक जाति विशेष को तरजीह दे रहे हैं और ब्राह्मणों की नाराजगी का एक कारण यह भी है। इस बारे में मौर्य ने कहा, इस प्रकार के आरोप आते हैं, सच है, मैं इसे स्वीकार करता हूं लेकिन इस प्रकार के आरोपों में उतनी सच्चाई नहीं है जितना दुष्प्रचार किया जाता है।

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने हाल ही में कहा किभाजपा ने केशव मौर्य को वादा करने के बाद भी मुख्‍यमंत्री नहीं बनाया। इस बारे में सवाल करने पर मौर्य ने कहा, ओमप्रकाश राजभर जी को किसने यह बात बताई थी मैं नहीं जानता क्योंकि तब मैं प्रदेश अध्यक्ष था और उस समय कोई भी निर्णय मेरी अनुपस्थिति में नहीं होते थे। जब मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जी के नाम का प्रस्ताव आया तो उसको लेकर जरूर कुछ लोग स्वाभाविक तौर पर बोले क्योंकि जो प्रदेश अध्यक्ष होता है, वही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनता है, इस प्रकार के भाव लोगों के मन में थे लेकिन, हम लोग सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे थे और सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ते समय यह नहीं तय था कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कौन किस प्रकार की जिम्मेदारी का निर्वहन करेगा। पार्टी नेतृत्व ने पर्यवेक्षक भेजे और पर्यवेक्षकों द्वारा विधायक दल से चर्चा के बाद यह फैसला किया गया कि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होंगे और उनके नेतृत्व में हम लोग साढ़े चार साल से काम कर रहे हैं। ओमप्रकाश जी की तमाम प्रकार की इच्‍छाएं थीं, हो सकता है कि उनकी इच्छा अनुसार काम न हुआ हो। राजभर ने पीटीआई-को दिये गये साक्षात्कार में यह बात कही थी कि अगर भाजपा योगी को मुख्यमंत्री बनाएगी तो वह किसी कीमत पर भाजपा से समझौता नहीं करेंगे।

मौर्य ने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी क्या करेगी, इसका वह निर्धारण नहीं कर सकते हैं। भाजपा देश में सबसे बड़ी पार्टी है और हमारी पार्टी हर निर्णय लेने में सक्षम है। कोरोना-काल में भाजपा के ही सांसदों, विधायकों और एक केंद्रीय मंत्री द्वारा व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर करने की याद दिलाने पर उप मुख्‍यमंत्री ने कहा, कहीं कुछ कमी रह गई होगी, इससे हम इंकार नहीं करते हैं। उस समय की एक परिस्थिति थी जिसका सबने मुकाबला किया। लेकिन यह भी सच है कि देश के दूसरे राज्यों की तुलना में कोविड के खिलाफ लड़ाई में उप्र सबसे अच्छे तरीके से लड़ा है। हमारी सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उस पर विजय प्राप्त की। आने वाले चुनाव में विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा पर उपलब्धियों के बजाय धार्मिक ध्रुवीकरण के सहारे चुनाव लड़ने की तैयारी का आरोप लगाये जाने के जवाब में मौर्य ने कहा, “मुझे लगता है कि लोग अपने अपने तरीके से आकलन करते हैं। हम तो मेरिट पर ही चुनाव लड़ते हैं और चुनाव जीतते हैं। जिनको इस प्रकार का भय सता रहा है वह केवल सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के आधार पर हमारे सरकार के कार्यकाल में किये गये कामों को देख लें। चाहे केंद्र सरकार के माध्‍यम से चाहे राज्‍य सरकार के माध्‍यम से हर वर्ग के लिए काम हुए हैं। धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए हमारी सरकार में जगह ही नहीं है। यह सच है कि हमारी सरकार में कोई दंगे नहीं हुए, कोई विवाद नहीं हुए, कोई बवाल नहीं हुए, इससे विरोधी दल के लोगों को जरूर बेचैनी होती है। विकास के कार्य में अगर विपक्षी दलों को ध्रुवीकरण दिखाई देता है तो यह उनका दृष्टि दोष है।

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