By रेनू तिवारी | Apr 03, 2025
लोकसभा ने गुरुवार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने की पुष्टि करते हुए एक वैधानिक प्रस्ताव पारित किया। हालाँकि सभी दलों के सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने मणिपुर की स्थिति के लिए भाजपा शासित केंद्र की आलोचना की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने अशांत पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए हर संभव उपाय किए हैं। शाह ने कहा, "पिछले चार महीनों से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है। मैं यह नहीं कहूंगा कि मणिपुर में स्थिति संतोषजनक है, लेकिन यह नियंत्रण में है। कांग्रेस के पास इतने सांसद नहीं हैं कि वे अविश्वास प्रस्ताव ला सकें।"
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन संबंधी सांविधिक संकल्प को लोकसभा ने मंजूरी दी
हिंसाग्रस्त मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय के अनुरूप दो महीने के अंदर राष्ट्रपति शासन की पुष्टि के लिए एक सांविधिक संकल्प केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने सदन में कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया था जिसके बाद राज्यपाल ने विधायकों से चर्चा की और बहुमत सदस्यों ने कहा कि वे सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं।
शाह ने कहा कि इसके बाद कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जिसे राष्ट्रपति महोदया ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुरूप मैं दो महीने के अंदर इस संबंध में सदन के अनुमोदन के लिए सांविधिक संकल्प लाया हूं।’’
शाह ने कहा कि सरकार की पहली चिंता मणिपुर में शांति स्थापित करने की है और वहां पिछले चार महीने से एक भी मौत नहीं हुई है और केवल दो लोग घायल हुए हैं। उन्होंने कहा किसरकार चाहती है कि मणिपुर में जल्द शांति हो, पुनर्वास हो और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाया जाए। गृह मंत्री ने विपक्षी दलों से मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील की।
मणिपुर में हिंसा में 260 लोगों की मौत हो चुकी है
अमित शाह ने कहा कि राज्य में पिछले कुछ समय से जारी जातीय संघर्ष में अब तक कम से कम 260 लोग मारे जा चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद यहां जातीय दंगे शुरू हुए थे।
उन्होंने कहा, "जिस दिन आदेश आया, हमने हवाई मार्ग से केंद्रीय बलों को भेजा। हमारी ओर से (कार्रवाई करने में) कोई देरी नहीं हुई।" केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह पिछली सरकारों के कार्यकाल के दौरान मणिपुर में हुई झड़पों के बीच कोई तुलना नहीं करना चाहते, हालांकि उन्होंने लोकसभा को बताया कि 1990 के दशक के दौरान नागा और कुकी समूहों के बीच दंगे पांच साल तक जारी रहे।
उन्होंने कहा, "एक दशक तक छिटपुट हिंसा जारी रही और 750 लोगों की जान चली गई। 1997-98 में कुकी-पैटे झड़पें हुईं, जिसमें 352 लोग मारे गए। 1990 के दशक में मैतेई-पंगल झड़पों में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए। न तो तत्कालीन प्रधानमंत्री और न ही तत्कालीन गृह मंत्री ने मणिपुर का दौरा किया।" जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद मणिपुर में दंगे भड़क उठे थे।