एक वायरस ने दुनिया को जिंदगी के कई अनमोल सबक सिखा दिये हैं

By दीपक कुमार त्यागी | May 11, 2020

कोरोना से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन 3 का समय चल रहा है, भयानक वैश्विक आपदा के तौर पर पूरी दुनिया के सामने एकाएक आए कोरोना वायरस संक्रमण ने आज हम लोगों को जिंदगी के बेहद कटु व अच्छे अनमोल सबक सीखने पर मजबूर कर दिया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए दुनिया की अधिकांश आबादी पिछ़ले लम्बे समय से अपने घरों में कैद होकर रह गयी है, वहीं इस आपदा के दौरान दुनिया भर में प्राकृतिक और भौगोलिक स्तर पर बहुत सारे सबक व सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। आज धरती के अधिकांश भू-भाग में हर तरफ बेहद शांति है, अधिकांश ऑफिस व कल-कारखाने पूर्ण या आंशिक रूप से बंद हैं। ऐसे समय में धरती पर जो पहले नहीं हुआ था उसके तरह-तरह प्राकृतिक नजारे देखने को मिल रहे हैं। दुनिया में इस वक्त प्रकृति या इंसान के द्वारा उत्पन्न वायरस के चलते हर तरफ जीवन-मरण के संघर्ष की अजीब स्थिति कायम हो गयी है, संकट के इस काल में हमारे जीवन में कई ऐसी नई संभावनाएं भी पैदा हो गई हैं, जिनसे आने वाले समय में विश्व में कई महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद की जा सकती है। हमारा देश भी इस समय कोरोना आपदा के गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है, कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 50 हजार पार हो गयी है, हमारे यहां कोरोना संकट के बीच सबसे ज्यादा दबाव लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कोरोना वारियर्स पर है। देश में कई जगह तो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए डॉक्टर, नर्स व कोरोना वारियर्स खुद संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, देश में कुछ जगह हम लोगों की जान बचाने वाले कोरोना वारियर्स पर हमला तक हो रहा है जो कुछ ओछे लोगों की ओछी सोच को दर्शाता है। आज के दौर में सबसे पहला महत्वपूर्ण सबक तो यही है कि हमको देश के चिकित्सा सिस्टम को आपदा के लिए तैयार करके बेहतरीन बनाना होगा। कोरोना संक्रमण पर विश्व भर की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार विश्व के अधिकांश वैज्ञानिक समुदाय का मानना है कि जब तक कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती, तब तक इस वायरस के संक्रमण को पूरी तरह रोक कर रखना बहुत बड़ी चुनौती है। लोगों के रोजमर्रा के व्यवहार में बदलाव लाये बिना आने वाले समय में वायरस के प्रकोप को सीमित करके नियंत्रण करना असंभव है। हम लोगों को इस वायरस के साथ सुरक्षा के उपाय करके जीना सीखना होगा।

 

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देश में कुछ छूट के साथ लॉकडाउन 3 का दौर जारी है। इसमें भी देश में हर तरफ सड़कें एकदम सूनी पड़ी हैं। अधिकांश कामकाज एकदम ठप पड़ा है। समझदार लोग घरों में रहकर लॉकडाउन खुलने का व वायरस का प्रकोप कम होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन कोरोना काल में एक बात यह भी तय हो गयी है कि एक वायरस दुनिया को जिंदगी के अलग-अलग तरह के अनमोल सबक भी सिखा रहा है, जिस तरह से वायरस से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन लागू किया है उसने आज देश में बिल्कुल ही एक अलग तरह की स्थिति उत्पन्न कर दी हैं, जिस तरह से देश के लोगों को लॉकडाउन वन व टू का समय बहुत कुछ सिखा गया और अब लॉकडाउन थ्री का काल चल रहा है वो भी हम लोगों को जिंदगी के बहुत बड़े सबक सिखा कर जायेगा। देश में आने वाले समय में बहुत बड़े बदलाव नजर आयेंगे।


हम लोगों के जीवन में लॉकडाउन का सबसे बड़ा सबक यह है कि जिस प्रदूषण को कम करने के बारे में अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी हमारे व सरकार के प्रयास नाकाफी पड़ रहे थे, आज उस प्रदूषण को लॉकडाउन ने आश्चर्यजनक रूप से एकाएक नियंत्रित कर दिया है। लॉकडाउन के बीच सबसे अच्छी ख़बर यह आई है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली समेत देश के तमाम दूसरे शहरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में अप्रत्याशित रूप से भारी कमी आयी है, जिस तरह से गंगा, यमुना, हिंड़न, नर्मदा आदि नदियों को हम हजारों करोड़ों रुपये सालाना खर्च करके भी स्वच्छ नहीं कर पा रहे थे, उसको लॉकडाउन के चंद दिनों ने स्वच्छ व निर्मल बनाकर साफ कर दिया। जिस दिल्ली में प्रदूषण के चलते आसमान में धूल व धुएं के गुब्बार के अलावा और कुछ नज़र नहीं आता था आज उस दिल्ली के नीले आसमान में टिमटिमाते तारों का समूह नजर आते है, सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदूषण न होने के चलते उस दिल्ली में लगभग 20 वर्ष बाद 17 अप्रैल की सायं को आधा-अधूरा इंद्रधनुष बनता हुआ नज़र आया था। दिल्ली के प्रदूषण पर अगर प्रदूषण विभाग के आँकड़ों की बात करें तो आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर वर्ष 2018 और वर्ष 2019 के दौरान 5 अप्रैल को पीएम 2.5 का स्तर तीन सौ से ऊपर था जो इस वर्ष लॉकडाउन की वजह से गिरकर बेहद कम औसतन 101 के स्तर पर आ गया था। वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार सब कुछ बंद होने के चलते पृथ्वी के कंपन में भी आश्चर्यजनक रूप से कमी आयी है लॉकडाउन के पहले जहां धरती बहुत अधिक काँपती थी, लेकिन अब उसमें एकाएक बहुत कमी आई है। वैज्ञानिकों की मानें तो इससे काफी फायदा हुआ है, अब छोटे स्तर के भूकंपों का भी पता लगाना आसान हो गया है, जबकि इसके पहले ऐसा करने में मुश्किल आती थी। वहीं देश में सब कुछ बंद होने के चलते ध्वनि प्रदूषण में भी बहुत अधिक कमी आयी है, देशवासी को शोरगुल से फिलहाल निजात मिली हुई है। वो बिना शोरशराबे के चैन से रहना सीख रहे हैं।

 

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लॉकडाउन के चलते हम लोगों की दिनचर्या पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गयी है। सामान्य दिनों की दिनचर्या से जब हम हटकर कोई काम करते हैं तो उसका प्रभाव हमारे जीवन में अवश्य दिखाई पड़ता है। देश में कुछ ऐसा ही प्रभाव दिखाई दिया है, इस कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के काल के दौरान। कुछ लोग तो अपने घरों में रहकर ही ऑनलाइन अपने रोजमर्रा के कार्य को बखूबी कर रहे है, जिससे देश में आने वाले समय में वर्क टू होम की कल्चर को बढ़ावा मिलेगा। कुछ लोगों को अपनी शराब पीने व गुटखा खाने जैसी गंदी आदतों से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल रहा है, बेवजह के खर्चों पर लगाम लग रही है। कुछ लोग हर समय अपनी दुनिया में व्यस्त रहते थे वो लोग अब परिवार के लिए आजकल अपनी आदतों में बदलाव करके मां, बाप, भाई, बहन, पत्नी, बच्चों के साथ खुश है और उनको भरपूर समय देने के लिए इस अवसर का पूरा सदुपयोग कर रहे है। वहीं अपनी दुनिया में मस्त रहने वाली देश की युवा पीढ़ी को रिश्ते-नाते निभाने का ज्ञान करवा गया यह लॉकडाउन का काल।


हर आपदा जीवन बचाने के लिए लोगों को एकजुट करके संगठित करने का काम करती है, कोरोना काल ने भी वही कमाल किया है। कभी पड़ोसियों से बात तक ना करने वाले लोग आज आसपास में घर की बालकनी में खड़े होकर रिश्तों की मिठास बढ़ा रहे है। देश में अपराध नाम मात्र के लिए रह गया है, हर तरह के प्रदूषण के ग्राफ में भी एकाएक बहुत गिरावट आयी है, देश में रोजाना कचरे के निकलने वाले ढेरों का ग्राफ बहुत कम हुआ है। लोगों में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता का बढ़ावा हुआ है। लोगों ने अपनी जिम्मेदारी समझना शुरू किया है, लापरवाही पूर्ण नज़रिए में कमी आयी है। फिलहाल एकतरफ इंसान जहां अपने घरों में रहने को मजबूर है, वहीं दूसरी तरफ देश में ऐसे में वन्यजीवों को काफी सुकून मिला है। देश के कई हिस्सों में ऐसे दुर्लभ नज़ारे देखने को मिले हैं जहां वन्य जीव हिरन, हाथी, बारहसिंघा, तेंदुआ आदि सड़कों पर व आबादी के बीच निकल कर बेखौफ होकर घूम रहे हैं। प्रकृति तरह-तरह के खूबसूरत नजारे दिखा रही है।

 

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आपदा काल में शैक्षणिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन होता नजर आ रहा है। देश में स्कूल और यूनिवर्सिटी इस बात की कोशिश में हैं कि आने वाले समय में पढ़ाई के तौर-तरीकों को बदला जाए। ऑनलाइन वर्चुअल क्लासेज का इस्तेमाल एकाएक बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। आने वाले समय में कोरोना संक्रमण फैलने के भय के चलते भविष्य में भी लोगों को भीड़-भाड़ वाले मार्केट्स, रेस्टोरेंट और मॉल्स में जाने से कुछ रोका जायेगा, लोग ऑनलाइन शॉपिंग करने में और तेजी लायेंगे। कोरोना वायरस ने देश के घर-घर में साफ-सफाई और हाइजीन की अहमियत को सिखा दिया है, क्योंकि भारत में अभी तक हाइजीन के स्टैंडर्ड विकसित देशों की तरह नहीं थे, लेकिन आज व आने वाले समय में इसमें बहुत ही तेजी से सकारात्मक बदलाव आता दिख रहा है। देशवासी अब साफ-सफाई के महत्व को समझ रहे हैं और भविष्य में इन चीजों को लेकर वो बहुत ज्यादा सतर्क रहेंगे। आने वाले समय में लोग सड़कों पर थूकने वाले लोगों को पीटना शुरू कर देंगे।


कोरोना काल ने सच पूछो तो अंधाधुंध भागती दुनिया को एकाएक रोककर आराम से यह सोचने का मौका दिया है कि भविष्य में इंसान व इंसानियत के लिए क्या जरूरी है और क्या जरूरी नहीं है। आज एक वायरस ने दुनिया को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि पैसा कमाने की कभी खत्म नहीं होने वाली दौड़ और विनाश की तर्ज पर अंधाधुंध विकास की अंधी दौड़ होना दुनिया के हित में ठीक नहीं है। आपदा के वक्त में लोगों में इंसानियत बढ़ी है। कोरोना व लॉकडाउन का यह काल जिंदगी का सबसे बड़ा सबक हम लोगों को देकर गया है कि अगर व्यक्ति में संतोष का भाव है तो वो बेहद सीमित संसाधनों में परिवार के साथ रह कर आपसी भाईचारे व प्यार मोहब्बत से खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है। कोरोना ने हम लोगों को सिखा दिया है कि "जान है तब ही जहान है" बाकी सब मिथ्या है।


-दीपक कुमार त्यागी

(स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार)


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