By दिनेश शुक्ल | Apr 09, 2020
पूरे देश में कोविड-19 की मार से कोई अछूता नहीं है। यही वजह है कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया है। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च 2020 के अपने संबोधन में कोरोना के प्रकोप को सीमित करने के लिए 14 अप्रैल 2020 तक पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की है। देश में 21 दिन के इस लॉकडाउन के दौरान सभी लोगों को घर पर ही रहने की हिदायत दी गई है। इस दौरान लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक है। कुछ जरूरी सामान और सेवाओं के अलावा बाकी सभी कारोबार और इंडस्ट्री में भी ताले लग गए है। यही कारण है कि जितने भी उद्योग, व्यवसाय है सब ठप पड़ गए और उनमें काम करने वाले लोग भी बेरोजगारी की कगार पर आ खड़े हुए है। यही कारण है कि लोगों का पलायन फिर से एक बार अपने-अपने स्थानीय क्षेत्रों की तरफ हुए है। दूसरे क्षेत्रों की तरह ही उद्योग धंधों पर अचानक लॉकडाउन की मार ने एक तरह से इसकी कमर तोड़ने जैसी स्थिति बना दी है। कोरोना संक्रमण की वजह से देश में लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था पर बहुत गंभीर असर पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के अनुसार 21 दिन के इस लॉकडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था को 100 अरब डॉलर यानी करीब 7.6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
भारत में सबसे अधिक रोजगार देने वाले सूक्ष्म, लघु और मझोले (एमएसएमई) उद्योग कोरोना की मार से खुद संकट में घिर गए हैं। लॉकडाउन के चलते यह बंद पड़ गए हैं, एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन अगर आगे बढ़ता है तो करीब 1.7 करोड़ छोटे उद्योग हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं क्योंकि इनके पास पूंजी का अभाव है। ग्लोबल अलायंस फॉर मास इंटरप्रिन्योरशिप (जीएएमई) के चेयरमैन रवि वेंकटेशन माने तो अगर देश में लॉकडाउन चार से आठ हफ्तों बढ़ता है, तो कुल एमएसएमई की 25 फीसदी यानी करीब 1.7 करोड़ एमएसएमई बंद हो जाएंगी। देश में 6.9 करोड़ एमएसएमई हैं। इंफोसिस के को-चेयरमैन और बैंक ऑफ बड़ौदा के चेयरमैन रहे वेंकटेशन ने ऑल इंडियन मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के हवाले से कहा कि अगर कोरोना संकट चार से आठ माह तक बढ़ता है, तो देश की 19 से 43 फीसदी एमएसएमई हमेशा के लिए भारत के नक्शे गायब हो जाएंगी। उनका कहना है कि एमएसएमई के हर क्षेत्र में छंटनी हो सकती है। पांच करोड़ लोगों को नौकरी देने वाले होटल उद्योग में करीब 1.2 करोड़ नौकरी जा सकती हैं। वहीं 4.6 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले खुदरा क्षेत्र से 1.1 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती एमएसएमई से अप्रत्यक्ष रूप से या अस्थाई रूप से जुड़े लोगों के लिए है। दिहाड़ी मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस दौरान करीब 3.3 करोड़ लोगों की नौकरी जा सकती है।
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रेटिंग एजेंसी एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की जिसके अनुसार कोरोनावायरस महामारी की रोकथाम के लिए देश भर में जारी लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को हर दिन करीब 4.64 अरब डॉलर यानि करीब 34 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। एजेंसी का कहना है कि लॉकडाउन के पूरे 21 दिनों के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 98 अरब डॉलर का नुकसान होगा। दरअसल, लॉकडाउन में लोगों के घरों से निकलने पर प्रतिबंध के साथ ही उड़ान, परिवहन व अन्य आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान झेलना पड़ेगा। एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के सीईओ शंकर चक्रवर्ती ने कहा, "हमने वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी अनुमानों का आकलन करने के लिए कई तरीके अपनाए हैं। हमारा मानना है कि जिस तरह कोविड-19 से पहले पांच फीसदी के विकास का अनुमान लगाया गया था, उससे तुलना करें तो इस बात में जोखिम है कि यह आकंड़ा पांच से छह फीसदी तक पहुंचे।" लॉकडाउन के कारण परिवहन, होटल, रेस्तरां और रियल एस्टेट गतिविधियां सबसे अधिक प्रभावित होगी। एजेंसी के अनुसार, इन क्षेत्रों में लगभग 50 फीसदी सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) हानि होगी। वहीं वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में समग्र जीवीए हानि लगभग 22 फीसदी होगी। वहीं दूसरी ओर इस संकट के दौरान जिन क्षेत्रों की गतिविधियां बढ़ी हैं, उनमें संचार सेवाएं, प्रसारण और स्वास्थ्य सेवा शामिल हैं। हालांकि इन क्षेत्रों का समग्र जीवीए में मात्र 3.5 फीसदी के साथ एक छोटा-सा योगदान है।
वही ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ लॉकडाउन की वजह से जायदा नुकसान नहीं झेलना पड़ा रहा है। जिसमें दवा, गैस, बिजली और चिकित्सा उपकरण शामिल है। इनकों छोड़कर पहली तिमाही में अन्य उद्योग पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है। इनका जीवीए में लगभग पांच फीसदी हिस्सा है। एक्यूट रेटिंग्स के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में पांच से छह फीसदी की गिरावट की आशंका है। दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में अगर वृद्धि होगी भी तो बहुत कम होगी। रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर दो से तीन फीसदी ही रहेगी। यह स्थिति इस आधार पर है कि वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में आर्थिक पुनरुद्धार तेजी से होगा।
फेडरेशन ऑफ मध्य प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष तथा हिंद फार्मा के सीईओ डॉ. राधा शरण गोस्वामी कहते है कि लॉकडाउन की वजह से सबसे पहले तो उद्योगों को उत्पादन में कमी (Production loss) का सामना करना पड़ेगा। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद इससे उबरने में करीब दो से तीन महिने का वक्त लगेगा। गोस्वामी कहते है कि कोरोना संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन से भुगतान चक्र (Payment cycle) प्रभावित हुआ है। जिसका सीधा असर उद्योगों पर पड़ने वाला है। मध्यप्रदेश में काम करने वाले उद्योगों के परिपेक्ष में वह लॉकडाउन के दौरान करीब 4 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाते है। लेकिन एक सहासी उद्यमी की तरह डॉ. गोस्वामी कहते है कि इससे भी निपटा जाएगा। एक उद्यमी श्रमशील एवं सहासी होता है जो ऐसी परिस्थियों से निपटना जानता है।
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तो दूसरी ओर अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) के मध्य प्रदेश प्रवक्ता विवेक साहू लॉकडाउन के दौरान ट्रेडिंग में करीब 1100 करोड़ प्रतिदिन के नुकसान की बात कहते है। उनका कहना है कि सामान्य दिनों में जब व्यापारियों की हड़ताल होती थी तो उस समय करीब 700 करोड़ का व्यापार ठंड पड़ता था इस दौरान जबकि कई व्यवसायिक संस्थान खुले रहते थे। इस अनुमान के अनुसार अगर भोपाल संभाग में प्रतिदिन 100 करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है तो प्रदेश के 11 संभागों में करीब 11 सौ करोड़ का नुकसान संभावित है। जिसमें कपड़ा व्यवसाय, किराना व्यवसाय, सराफा व्यवसाय और ऑटोमोबाइल व्यवसाय सहित सभी तरह के व्यापार शामिल है।
गौरतलब है कि कोरोना का कहर भारत सहित पूरे विश्व में लगातार बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से दुनिया के करीब एक तिहाई देशों में लॉकडाउन की स्थिति है। इससे दुनियाभर की इकोनॉमी को काफी नुकसान हो रहा है। हालंकि सरकारें इसको लेकर जायदा चिंतित नहीं है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो यहाँ तक कह दिया है कि जनता की जिंदगी ज्यादा जरूरी है। लॉकडाउन सह लेंगे, अर्थव्यवस्था दोबारा खड़ी कर लेंगे। मगर, लोगों की जिंदगी चली गई तो वापस नहीं लाई जा सकती है।
दिनेश शुक्ल