By नीरज कुमार दुबे | May 23, 2020
घरेलू उड़ान सेवाएं 25 मई से बहाल करने की घोषणा करने के तीन दिन बाद नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि भारत अगस्त से पहले अच्छी-खासी संख्या में अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों को फिर से शुरू करने की कोशिश करेगा। कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे विभिन्न राज्यों ने अपने यहां घरेलू उड़ानों से आने वाले यात्रियों के लिए पृथक-वास के उपायों की घोषणा की है, लेकिन मंत्री ने कहा कि अगर आरोग्य सेतु ऐप में किसी यात्री की स्थिति ‘हरी’ (स्वस्थ) नजर आ रही है तो उसे पृथक-वास में रखने की कोई जरूरत नहीं है। मंत्री ने एक ‘फेसबुक लाइव’ सत्र के दौरान एक बार फिर स्पष्ट किया कि हवाई यात्रियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप जरूरी नहीं है और इसकी जगह वे एक स्वघोषित फॉर्म दे सकते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कोरोना वायरस महामारी के बीच कुछ राज्यों ने सोमवार से घरेलू सेवा शुरू करने की जरूरत को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ हिचकिचाहट की उम्मीद थी और केंद्र भी उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास कर रहा है। पुरी ने सत्र के दौरान कहा, ‘‘मैं इसकी तारीख (अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को फिर से शुरू करने की) नहीं बता सकता। लेकिन यदि कोई व्यक्ति कहता है कि क्या यह अगस्त या सितंबर तक हो सकता है, तो मेरा जवाब होगा कि इससे पहले क्यों नहीं और यह यह स्थिति पर निर्भर करता है।’’ अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को शुरू करने की मंत्री की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर विमानन कंपनी विस्तार ने कहा कि वह नागर विमानन मंत्रालय के दिशानिर्देशों का इंतजार करेगी। अन्य एयरलाइंस ने इस मामले में पीटीआई के सवाल पर प्रतिक्रिया नहीं दी। पुरी ने कहा, ‘‘मुझे पूरी उम्मीद है कि अगस्त या सितंबर से पहले हम पूर्ण रूप से ना सही, लेकिन अच्छी-खासी संख्या में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन को फिर से शुरू करने की कोशिश करेंगे।” उन्होंने कहा, “हमारा ज्यादा महत्वाकांक्षी लक्ष्य (अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संदर्भ में) होना चाहिए। क्यों नहीं उन्हें जून मध्य या जून के अंत या जुलाई में शुरू करें।” कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिये केंद्र ने 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू किया था और तब से सरकार ने सभी वाणिज्यिक यात्री उड़ान सेवाएं स्थगित कर दी थी। पुरी ने कहा कि सात मई को शुरू हुए वंदे भारत मिशन के तहत इस महीने के अंत तक हम विदेशों में फंसे करीब 50 हजार भारतीय नागरिकों को विशेष विमानों के जरिए वापस ला पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस मिशन के जरिये सात मई से 21 मई के बीच एअर इंडिया और उसकी सहायक एअर इंडिया एक्सप्रेस करीब 23 हजार भारतीयों को वापस लेकर आई। पुरी ने कहा कि श्रीलंका में फंसे भारतीयों को वंदेभारत मिशन के तहत पोतों या विमानों से वापस लाए जाने की योजना बनाई जा रही है। मंत्री ने कहा कि यदि किसी यात्री के पास स्मार्टफोन नहीं है तो आरोग्य सेतु ऐप नहीं होने के चलते किसी को यात्रा करने से रोका नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “हमनें कहा है कि यह एक परामर्श है, ऐसा हो तो अच्छा है…अगर आपके पास आरोग्य सेतु ऐप नहीं है तो आप स्व-घोषित फॉर्म दे सकते हैं।” उन्होंने कहा, “अगर आपके पास आरोग्य सेतु ऐप है और अगर आपने अपनी कोविड-19 जांच कराई, जिसमें संक्रमण नहीं मिला और आपके कोई लक्षण नहीं हैं तो मुझे लगता है कि पृथक-वास की कोई आवश्यकता नहीं है।” यह ऐप उपयोगकर्ता के स्वास्थ्य की स्थिति और यात्रा के विवरण के आधार पर रंगों से कूट स्थिति दर्शाता है। इससे उपयोगकर्ता को यह जानने में मदद मिलती है कि कहीं वह किसी ऐसे व्यक्ति के करीब तो नहीं है जो वायरस से संक्रमित हो। पुरी ने कहा अगर किसी यात्री के पास ऐप नहीं है तो वह यात्रा से दो-तीन दिन पहले अपनी जांच करा कर चिकित्सा प्रमाण-पत्र हासिल कर सकता है और फॉर्म में यह लिख सकता है कि वह कोविड-19 संक्रमित नहीं है। तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए 25 मई से घरेलू उड़ानों को शुरू किये जाने पर चिंता जाहिर की थी। पुरी ने कहा कि अधिकतर राज्य जहां तैयार हैं, वहीं कुछ राज्यों ने उनके “वरिष्ठ सहयोगियों” (मंत्रियों) से बात कर घरेलू उड़ानों को इतनी जल्दी शुरू करने की जरूरत पर सवाल उठाए थे। सत्र के दौरान मंत्री ने कहा, “उन्होंने कहा कि केंद्र इसे दो-तीन दिन और टाल सकता था। इसलिये उन्होंने (मंत्रियों ने) राज्यों से लिखित में अपनी चिंताएं भेजने को कहा। राज्यों ने लेकिन ऐसा नहीं किया।” उन्होंने कहा, “यह चलता रहेगा। जब हम ऐसी स्थिति से जूझ रहे हैं, तो हमें उम्मीद करनी चाहिए कि कुछ हिचकिचाहट होगी। लेकिन यह हमारी (केंद्र की) जिम्मेदारी है कि उन चिंताओं को दूर करने के हर संभव प्रयास करें।''
जांच एजेंसियों से डरें नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बताया कि बैंकों को ‘3-सी’ नाम से चर्चित जांच एजेंसियों ‘सीबीआई, सीवीसी और सीएजी’ के डर के बिना अच्छे कर्जदारों को स्वचालित रूप से कर्ज देने के लिये कहा गया है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों व प्रबंध निदेशकों के साथ बैठक में स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि बैंकों को ऋण देने से डरना नहीं चाहिये, क्योंकि सरकार द्वारा 100 प्रतिशत गारंटी दी जा रही है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नलिन कोहली के साथ एक बातचीत में यह कहा। वित्त मंत्री की इस बातचीत को पार्टी के सोशल मीडिया खातों पर डाला गया है। सीतारमण ने कहा, ‘‘कल, मैंने दोहराया कि अगर कोई निर्णय गलत हो जाता है, और अगर कोई नुकसान होता है, तो सरकार ने 100 प्रतिशत गारंटी दी है। यह व्यक्तिगत अधिकारी और बैंक के खिलाफ नहीं जाने वाला है। अत: बिना किसी डर के उन्हें इस स्वचालित मार्ग को इस अर्थ में अपनाना चाहिये कि सभी पात्र लोगों को अतिरिक्त ऋण और अतिरिक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध हो।’’ सरकार ने 20.97 लाख करोड़ रुपये के व्यापक आर्थिक पैकेज के हिस्से के रूप में एमएसएमई क्षेत्र के लिये तीन लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण गारंटी योजना की घोषणा की है। यह कहा जा रहा है कि बैंकिंग क्षेत्र में थ्री-सी यानी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा अनुचित उत्पीड़न की आशंका के कारण निर्णय प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने इन आशंकाओं को दूर करने के लिये कई कदम उठाये हैं। इन कदमों में कुछ ऐसी अधिसूचनाओं को वापस लेना भी शामिल है, जो बैंकरों में डर पैदा कर रहे थे। सीतारमण ने कहा,".....इन बैंकों के मन में चिंताएं पहले भी थीं और बहुतों को अब भी यह डर रहता है और उसका ठोस आधार भी है। वास्तव में मैंने पिछले सात-आठ महीनों में कम से कम तीन बार बैंकों से कहा है कि उनके मन में तीन-सी का डर नहीं होना चाहिये।’’ आर्थिक पैकेज में आतिथ्य सत्कार, वाहन और नागरिक उड्डयन सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को छोड़ दिये जाने को लेकर हो रही आलोचना के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि सरकार ने एक क्षेत्र आधारित दृष्टिकोण नहीं बल्कि समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा, "कृषि और बिजली क्षेत्रों में सुधार किये गये हैं। इन्हें छोड़कर मैंने किसी भी क्षेत्र विशेष का नाम नहीं लिया है। इसे अब एमएसएमई पैकेज कहा जा रहा है, लेकिन इसमें एमएसएमई शामिल हैं और अन्य क्षेत्रों को भी शामिल रखने के प्रयास किये गये हैं। अत: आप जिन क्षेत्रों का नाम ले रहे हैं, इससे (पैकेज से) उन्हें भी लाभ मिलेगा।''
इसे भी पढ़ें: कोरोना संकट का सबसे ज्यादा भार परिवार में महिलाओं पर आ पड़ा है
दस दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें
रेलवे ने कोविड-19 लॉकडाउन के चलते फंसे हुए करीब 36 लाख प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए अगले दस दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का कार्यक्रम तैयार किया है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने शनिवार को यह जानकारी दी। यादव ने बताया कि रेलवे ने करीब 36 लाख फंसे हुए प्रवासियों को पहुंचाने के लिए पिछले 23 दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायी हैं। उन्होंने यह दर्शाने के लिए ग्राफ का इस्तेमाल किया कि कैसे रेलवे ने एक मई को परिचालन की शुरुआत के पहले दिन चार ट्रेन चलाने के बाद इस संख्या को बढ़ाकर 20 मई तक 279 ट्रेन किया। अध्यक्ष ने कहा, ''हमने पिछले चार दिनों में रोजाना औसतन 260 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलायी हैं और प्रतिदिन तीन लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है। अगले दस दिनों में 2600 श्रमिक स्पशेल ट्रेनें 36 लाख प्रवासियों को (उनके गंतव्य तक) ले जायेगी। हम राज्यों के अंदर भी ट्रेनें चला सकते हैं, करीब 10-12 लाख लोग उन ट्रेनों से यात्रा कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि अगले दस दिनों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से स्पेशल ट्रेनें चलेंगी। उन्होंने कहा कि गंतव्य राज्य असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड, केरल, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल होंगे। जब रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से एक जून से चलने वाली स्पेशल ट्रेनों के किराए के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रेलवे लॉकडाउन से पहले का सामान्य किराया ही वसूल रहा है। उन्होंने दोहराया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के खर्च का 85 फीसद हिस्सा केंद्र वहन करता है जबकि राज्य भाड़े के रूप में बस 15 फीसद का भुगतान कर रहे हैं। यादव ने कहा, ''एक दूसरे से दूरी के नियम के हित में फिलहाल अनारक्षित यात्रा रोक दी गयी है। ट्रेनें बस निर्धारित क्षमता के हिसाब से ही भरी रहेंगी।’’ उन्होंने कहा, ''दुनिया में सभी के लिए यह मुश्किल स्थिति है। धीरे धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने की कोशिश की जा रही हैं हमने मार्गों पर मांग के पैटर्न का अध्ययन किया है और उसके आधार पर ट्रेनें दी गयी हैं।’’ उन्होंने प्रवासी श्रमिकों को आश्वासन दिया कि रेलवे तबक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाता रहेगा जबतक राज्यों को उनकी जरूरत होगी। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा चक्रवात अम्फान के चलते 26 मई तक राज्य में सभी प्रवासी स्पेशल ट्रेनें स्थगित करने का अनुरोध करते हुए भेजे गये पत्र के संबंध में यादव ने कहा कि ऐसा प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ है और चीजें शीघ्र ही सामान्य हो जाएंगी। उन्होंने कहा, ''पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने मुझे पत्र लिखा कि स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कार्य चल रहा है, और ऐसे में वे हमें शीघ्र ही बतायेंगे कि कब वे ट्रेनों को स्वीकार कर पायेंगे। जितना जल्दी वे हमें मंजूरी देंगे, हम पश्चिम बंगाल के लिए ट्रेनें चलायेंगे।’’ कुछ ट्रेनों को लंबे मार्गों से उनके गंतव्य तक भेजने के बारे में पूछे गये सवाल पर बोर्ड के अध्यक्ष ने इसे सामान्य बात बतायी। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि ज्यादातर प्रवासी स्पेशल ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार के एक या दो मार्गों पर चल रही हैं, ऐसे में उस मार्ग पर भीड़ हो जाती है।’’ वह गोरखपुर जाने वाली ट्रेन को ओडिशा के रास्ते ले जाने की घटना के बारे में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ''यह तरीका सामान्य दिनों में भी भीड़भाड़ से बचने के लिए अपनाया जाता है। यादव ने यह भी कहा कि 17 समर्पित अस्पतालों में करीब 5000 बिस्तर तथा 22 पृथक अस्पताल ब्लॉक कोविड-19 देखभाल के लिए चिह्नित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमित लोगों के लिए पृथक वार्ड के रूप में तब्दील किये गये डिब्बे अबतक उपयोग में नहीं आये हैं, इसलिए उनमें से 50 फीसद डिब्बों का श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसी सप्ताह के प्रारंभ में जारी किये गये एक आदेश में कहा गया था कि पृथक वार्ड के रूप में तब्दील किये गये करीब 5200 डिब्बों के 60 फीसद का प्रवासी स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए उपयोग किया जाएगा। रेलवे फिलहाल राजधानी मार्ग पर 15 जोड़ी विशेष ट्रेनें चला रहा है जबकि एक जून से 100 जोड़ी ट्रेनें चलने लगेंगी।
भारत में चार करोड़ प्रवासी श्रमिक हैं
केंद्र ने शनिवार को कहा कि देश भर में करीब चार करोड़ प्रवासी श्रमिक विभिन्न कार्यों में लगे हुए हैं और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बाद से अब तक उनमें से 75 लाख लोग ट्रेनों और बसों से अपने घर लौट चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा रेलवे ने देश के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिये एक मई से 2,600 से अधिक श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाई हैं। उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पिछली जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक देश में चार करोड़ प्रवासी श्रमिक हैं।’’ देश में 25 मार्च (जब राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरू हुआ) से प्रवासी श्रमिकों की सुविधा के लिये केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि श्रमिक विशेष ट्रेनों से 35 लाख प्रवासी श्रमिक अपने गंतव्य तक पहुंच गये हैं, जबकि 40 लाख प्रवासियों ने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिये बसों से यात्रा की। संयुक्त सचिव ने कहा कि 27 मार्च को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को यह परामर्श भेजा था कि प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे को संवेदनशीलता से लिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे लॉकडाउन के दौरान अपने मौजूदा स्थान को छोड़ कर नहीं जाएं। उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी श्रमिकों को भोजन एवं आश्रय उपलब्ध कराने को भी कहा गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी प्रवासी श्रमिकों को लेकर कई बार राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्श भेजे गये।
घर जाने के लिए जद्दोजहद
अपने सामान से भरा झोला और पीठ पर बैग लादे मोहम्मद सनी और उसका दोस्त मोहम्मद दानिश सभी विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए किसी भी तरह ईद के मौके पर बिहार के अररिया जिले में अपने घर पहुंचना चाहते हैं। शाहजहांपुर निवासी आदेश सिंह, उनकी पत्नी और तीन बच्चे तीन दिन पहले दक्षिण दिल्ली में अपने घर से निकले थे लेकिन गांव पहुंचने की कोशिश अब तक सफल नहीं हुई। टैक्सी चालकों से घर पहुंचाने के अनुरोध बेकार साबित हो रहे हैं क्योंकि वे जितना पैसा मांग रहे हैं, वो देने में असमर्थ हैं। दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर शुक्रवार को प्रवासी कामगारों के जीवन के कई दृश्यों में ये तस्वीरें भी शामिल हैं। आदेश सिंह की पत्नी मंजू सिंह ने बताया, ‘‘हम छतरपुर के पास रहते हैं और तीन दिन पहले वहां से निकले थे। हम पैदल निकले और सड़क किनारे रुकते रहे। रास्ते में लोगों ने हमें खाना दिया तो हम जीवित हैं। अब हम घर पहुंचना चाहते हैं। हम दिल्ली में नहीं रह सकते।’’ यह परिवार सीमापार कराने के लिए यूपी गेट पर टैक्सी मिलने का इंतजार कर रहा है। उनके 12, 9 और 8 साल के तीनों बच्चे साधारण मास्क पहने हुए हैं। वहीं आदेश और उनकी पत्नी ने कपड़े से मुंह और नाक ढक रखे हैं। इस दौरान पुलिस वालों को कई प्रवासियों से लौटने को कहते सुना जा सकता है जो दिल्ली-उप्र की सीमा की तरफ पैदल बढ़ रहे हैं। अनेक लोग लौट गए लेकिन सनी और दानिश कहते हैं, ‘‘अगर अल्ला हमें घर पहुंचाना चाहे तो हम जरूर पहुंचेंगे।’’ दोनों दिल्ली के एक रसायन कारखाने में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद उन्हें काम से निकाल दिया गया और दिल्ली में रहना उनके लिए मुश्किल हो गया। सनी ने कहा, ‘‘हमारे पास किराया देने या खाना खरीदने के लिए पैसा नहीं है। हमें अभी घर जाना है। हमारे पास और विकल्प ही क्या है।’’ दानिश ने आरोप लगाया कि सरकार ने गरीबों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।
दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में फंसे लाखों प्रवासी मजदूर पिछले दो महीनों से घर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। काफी श्रमिक अपने घर पहुंचे हैं और अनेक अन्य कोई उपाय न होने पर अपने घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े। दिल्ली में कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 231 तक पहुंच गई है। वहीं, शनिवार को संक्रमण के 591 नए मामले सामने आने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 12,910 हो गई है।
इसे भी पढ़ें: डॉ. हर्षवर्धन के अनुभव और कार्यशैली से डब्ल्यूएचओ को भी होगा बड़ा लाभ
पृथक-वास केन्द्र में रहना अनिवार्य किया जाए
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि हवाई यात्रा करने वाले सभी लोगों के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित और सशुल्क पृथक-वास केन्द्र में रहना अनिवार्य किया जाए। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने 25 मई से घरेलू उड़ान प्रारंभ करने के निर्णय के संबंध में नागर विमानन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखा है। बघेल ने लिखा है कि घरेलू उड़ान शुरू करने से संक्रमण फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 महामारी के रोकथाम तथा संक्रमण से बचाव की दृष्टि से नागर विमानन मंत्रालय को प्रभावी उपायों और दिशा-निर्देशों के अंतर्गत ही उड़ानें शुरू करनी चाहिए। केन्द्रीय मंत्री को लिखे पत्र में बघेल ने कहा है कि विभिन्न प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया है कि 25 मई से घरेलू उड़ान प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है और नागर विमानन मंत्रालय द्वारा यात्रियों के आवागमन के लिए अलग से कोई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) भी जारी नहीं की गई है। बघेल ने अनुरोध किया है कि राज्यों को प्रत्येक उड़ान की जानकारी उपलब्ध करायी जाए, जिसमें उस राज्य में आने वाले यात्रियों का विस्तृत विवरण सम्मिलित हो। हवाई यात्रा करने वाले सभी यात्रियों की 14 दिन पृथक-वास (केवल राज्य सरकार द्वारा संचालित और सशुल्क पृथक-वास) में रहना अनिवार्य किया जाए। पृथक-वास संबंधी शर्त और अनिवार्यता की जानकारी यात्रियों को टिकट बुक करने के समय ही दी जाए ताकि वे नियमों से भलीभांति परिचित रहें। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पत्र में उम्मीद जताई है कि इन सुझावों पर गंभीरता से विचार करते हुए सख्त और प्रभावी गाईडलाईन के साथ घरेलू उड़ान संचालन की कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।
सादगी से मनाया जाएगा ईद का त्योहार
कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच देश के प्रमुख उत्सवों में शुमार ईद का त्योहार इस वर्ष बेहद सादगी से मनाया जाएगा। देशभर में सोमवार को ईद मनाए जाने की संभावना है। पुरानी दिल्ली के रहने वाले अकरम कुरैशी ने कहा, 'ईद प्यार का त्योहार है और इस दिन दोस्तों और पड़ोसियों से गले मिला जाता है लेकिन अब कोरोना वायरस के कारण हाथ तक नहीं मिला सकते।' लॉकडाउन की पाबंदियों और महामारी के डर के साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासियों के शहर से चले जाने के कारण हर साल की तरह इस बार ईद पर वैसी रौनक नहीं दिखेगी। महामारी के कारण जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद समेत शहर की सभी मस्जिदें बंद हैं। अलविदा जुमा (रमजान का आखिरी शुक्रवार) की नमाज भी लोगों ने घरों में ही अदा की। इसी तरह, ईद की नमाज भी मस्जिद और ईदगाह में जमात के साथ पढ़ने के बजाय घरों में ही अदा की जाएगी। फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर रमजान के दौरान भी हमारी तरफ से लोगों को घरों में रहने की अपील की गई। लोगों को मस्जिद जाने के बजाय घरों में ही ईद की नमाज अदा करनी चाहिए।' लॉकडाउन के चौथे चरण में दुकानें खोले जाने की छूट मिलने के बावजूद ईद पर दिखायी देने वाली चहल-पहल और रौनक इस बार गायब है। जामा मस्जिद के आसपास का इलाका रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार के समय गुलजार रहता था, लेकिन इस बार जरूरत के सामान की कुछ ही दुकानें खुली हुई हैं। बाजार मटिया महल व्यापारी संघ के अध्यक्ष कुरैशी ने कहा, 'करीब 450 में से 20-22 दुकानें ही खुली हैं। ईद के मौके पर नए कपड़े खरीदने के साथ ही विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं लेकिन पिछले दो महीने से दुकानें बंद हैं। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण त्योहार मनाने के लिए लोगों में उत्साह नहीं है और पैसे की भी कमी है।' उन्होंने बताया कि सेवई विशेष तौर पर ईद पर बनायी जाती है लेकिन इस बार जाफराबाद और इंद्रलोक में सेवई बनाने वाले कारखानों में उत्पादन नहीं हुआ, क्योंकि प्रवासी श्रमिक अपने गांव जा चुके हैं। चांदनी चौक में काम करने वाले वाहिद अंसारी ने कहा, 'पिछले दो महीने से मुझे आधा वेतन ही मिल रहा है। सामान्य तौर पर हम ईद पर पूरे परिवार के कपड़े खरीदने के लिए अच्छी खासी रकम खर्च करते थे, लेकिन इस बार सिर्फ बच्चों को ही नए कपड़े दिलवा पाएंगे।'
"क्लीनिकल ट्रायल" को मंजूरी नहीं
सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद जिला प्रशासन ने शनिवार को इस बात से इंकार किया कि उसने योग गुरु रामदेव के पतंजलि समूह की कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को कोविड-19 के मरीजों पर चिकित्सकीय रूप से परखे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। स्थानीय मीडिया में छपी खबरों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जिला प्रशासन पर निशाना साधा है। इन खबरों में दावा किया गया है कि कुछ आयुर्वेदिक दवाओं को कोविड-19 के मरीजों पर परखे जाने को लेकर पतंजलि समूह के प्रस्ताव को प्रशासन ने हरी झंडी दिखा दी है। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का कहना है कि मरीजों पर दवाओं के चिकित्सकीय परीक्षण की मंजूरी सरकार की नियामकीय संस्थाएं देती हैं और प्रशासन को इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को अनुमति देने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस विवाद के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी मनीष सिंह ने कहा, "अव्वल तो एलोपैथी दवाओं की तरह आयुर्वेदिक औषधियों के मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल (चिकित्सकीय परीक्षण) किये ही नहीं जाते। बहरहाल, हमने पतंजलि समूह की ओर से भेजे गये प्रस्ताव पर इस तरह के किसी ट्रायल की फिलहाल कोई औपचारिक मंजूरी नहीं दी है।" सिंह ने हालांकि पतंजलि के नाम का जिक्र किये बगैर बताया कि जिले के पृथक-वास केंद्रों में रखे गये कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये उन्हें एलोपैथी दवाओं के साथ ही अश्वगंधा और अन्य जड़ी-बूटियों से बनी आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जा रही हैं। डॉक्टर इन मरीजों की सेहत पर बराबर निगाह रख रहे हैं। प्रदेश सरकार के एक आला अधिकारी ने बताया कि पतंजलि समूह की एक इकाई ने इंदौर में कोविड-19 के मरीजों की सहमति लेने के बाद उन पर अपनी कुछ आयुर्वेदिक दवाओं का असर परखने की मंजूरी के लिये एक प्रस्ताव हाल ही में भेजा है। इस प्रस्ताव को जिलाधिकारी की ओर बढ़ाया गया था। इंदौर, देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है और महामारी का प्रकोप कायम रहने के कारण यह रेड जोन में बना हुआ है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में अब तक इस महामारी के 2,933 मरीज मिले हैं। इनमें से 111 मरीजों की मौत हो चुकी है।
इसे भी पढ़ें: इस ईद पर सादगी की मिसाल पेश करेगा भारत का मुस्लिम समाज
सिक्किम में पहला मामला सामने आया
सिक्किम में शनिवार को कोविड-19 का पहला मामला आया। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित मिला व्यक्ति 25 वर्षीय छात्र है और हाल में दिल्ली से लौटा था। स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक सह सचिव पेम्पा शेरिंग भूटिया ने पत्रकारों को बताया कि छात्र के नमूने को जांच के लिए सिलिगुड़ी स्थित उत्तर बंगाल चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल भेजा गया था। रिपोर्ट आने पर उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उन्होंने बताया कि छात्र दक्षिण सिक्किम के रबांग्ला का रहने वाला है और उसका सर थूतोब नामग्याल स्मारक अस्पताल में इलाज चल रहा है। भूटिया ने बताया कि छात्र दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था।
कोविड-19 मरीज को गलती से छुट्टी दे दी गयी
गुजरात के अहमदाबाद में तब असहज करने वाला एक बड़ा घालमेल हो गया जब कोरोना वायरस के एक मरीज को निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी जबकि यह रिपोर्ट उसी के नाम के एक अन्य व्यक्ति की थी। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। नगर निकाय के सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल के प्रशासन ने शनिवार को यह गलती स्वीकार की और माफीनामा जारी किया। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि यह मानवीय भूल तुरंत सुधार ली गयी तथा अस्पताल से छुट्टी दे दिये गये व्यक्ति को कुछ ही घंटे में वापस लाकर भर्ती कर लिया गया। अस्पताल ने एक बयान में कहा, ''बृहस्पतिवार को अस्पताल को एक ही नाम के दो मरीजों के नमूनों की पांच घंटे के अंतराल में रिपोर्ट मिलीं। अस्पताल को दो बजे जो पहली रिपोर्ट मिली, वह निगेटिव थी, उसके आधार पर इन दोनों में से एक को छुट्टी दे दी गयी।’’ उसने कहा, ''उसी नाम के दूसरे मरीज के नमूने की रिपोर्ट शाम करीब सात बजे मिली और उसमें संक्रमण मिला था। दूसरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही अहसास हुआ कि जिस मरीज को दोपहर में अस्पताल से छुट्टी दी गयी थी, वाकई उसी में ही कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी।’’ उसने कहा कि मानवीय भूल का पता चलने पर, छुट्टी पाने वाले मरीज को सूचित किया गया और तत्काल उसे वापस अस्पताल लाने के लिए एम्बुलेंस भेजा गया। बयान के अनुसार अस्पताल प्रबंधन ने सख्त शब्दों में मेडिकल टीम को ऐसे मामलों में विशेष सावधानी बरतने का निर्देश दिया। अस्पताल ने यह भी कहा कि उसके यहां अब तक कोविड-19 के 4131 मरीजों का इलाज हुआ है। शनिवार सुबह तक अहमदाबाद शहर में कोविड-19 के 9,577 मामले सामने आये थे। उनमें से 638 मरीजों की मौत हो गयी। फिलहाल 5190 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
महाराष्ट्र पुलिस के 1,671 कर्मी अब तक संक्रमण की चपेट में आए
महाराष्ट्र में कोविड-19 से अब तक एक अधिकारी समेत कम से कम 18 पुलिस कर्मियों की मौत हो चुकी है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। राज्य में लॉकडाउन का पालन कराने में जुटी महाराष्ट्र पुलिस गंभीर रूप से इस महामारी की चपेट में है। अधिकारी ने बताया कि अभी तक विभाग के 174 अधिकारियों और 1,497 अन्य कर्मचारियों समेत 1,671 कर्मी संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में संक्रमण और इससे हुई मौत के सर्वाधिक मामले मुंबई पुलिस में सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक कोविड-19 से ग्रसित कम से कम 42 पुलिस अधिकारी और 499 कांस्टेबल उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। संक्रमण के खतरे के अलावा पुलिस को लॉकडाउन का पालन कराने के लिए जनता के गुस्से का भी शिकार होना पड़ रहा है। अधिकारी ने कहा कि राज्य भर में पुलिस पर हमले की 246 घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें 85 पुलिसकर्मी और एक होमगार्ड घायल हुआ। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत एक लाख से अधिक मामले दर्ज किए और इन मामलों में 22,753 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने राज्य में मुंबई को छोड़कर अन्य स्थानों पर पृथक-वास के नियम का उल्लंघन करने वाले 680 लोगों को खोज निकाला।
25 लाख लोगों ने काम शुरू किया
लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील के बाद गुजरात में करीब तीन लाख औद्योगिक इकाइयों ने परिचालन फिर से शुरू कर दिया है। इन इकाइयों में 25 लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के सचिव अश्वनी कुमार ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन औद्योगिक इकाइयों की बिजली की खपत सामान्य अवधि की तुलना में लगभग 82 प्रतिशत है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि औद्योगिक उत्पादन सामान्य स्थिति में वापस आ रहा है। राज्य सरकार ने संक्रमण के कारण बंद किये गये इलाकों को छोड़ अन्य भाग में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों को राज्य भर में संचालित करने की अनुमति दी है। औद्योगिक इकाइयों को मानक दिशानिर्देशों का पालन करने के लिये कहा गया है, जिनमें कामगारों की थर्मल स्क्रीनिंग, अलग-अलग प्रवेश व निकास तथा आपस में सुरक्षित दूरी का पालन आदि शामिल है। कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि शहरी इलाकों में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां फिर से शुरू हो गयी हैं। उन्होंने बताया कि आठ नगर निगमों और 162 नगर पालिकाओं में पीएम आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के घरों, कम आय वर्ग की परियोजनाएं, मेट्रो रेल लिंक कार्य आदि समेत 834 सरकारी परियोजनाओं से संबंधित कार्य फिर से शुरू हो गये हैं। इनमें 25,855 श्रमिक काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निजी निर्माण परियोजनाओं को भी फिर से शुरू करने की अनुमति दी गयी है और 264 ऐसी परियोजनाओं में 21,727 श्रमिक काम करने लगे हैं।
इसे भी पढ़ें: आरोग्य सेतु एप पर सवाल उठाने वाले क्या इसकी विशेषताएँ जानते हैं?
सोनू सूद की मंत्री ने की सराहना
महाराष्ट्र के मंत्री एवं राकांपा नेता जयंत पाटिल ने शनिवार को घर लौटने के इच्छुक प्रवासी श्रमिकों के लिए बसों की व्यवस्था करने के लिए बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद की प्रशंसा की। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि सूद ने अपनी कुछ फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई है लेकिन वास्तविक जीवन में वह प्रेरणादायक नायक हैं। राकांपा की राज्य इकाई के प्रमुख पाटिल ने ट्वीट किया, ‘‘सोनू सूद घर जाने के इच्छुक प्रवासियों के लिए बसों की व्यवस्था कर रहे हैं। वह कई प्रवासियों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। पर्दे पर खलनायक बनने वाला वास्तविकता में एक प्रेरणादायक नायक है! भगवान उनपर (सोनू सूद) कृपा बनाए रखे।’’ उन्होंने सूद की एक तस्वीर भी साझा की जिसमें वह बसों के पास खड़े हैं। प्रवासियों को वापस ले जाने के लिए इन बसों की व्यवस्था सूद ने की थी।
कुछ दवाओं का परीक्षण जारी
कोविड-19 के लिए नए टीके का निर्माण अभी नजर नहीं आ रहा ऐसे में वैज्ञानिक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि अन्य बीमारियों में दी जाने वाली पुरानी दवाओं से क्या इस बीमारी की काट तैयार की जा सकती है। इस कड़ी में एंटीवायरल रेम्डेसिविर संभावित दावेदारों की सूची में सबसे आगे हैं। कोविड-19 का प्रसार लगातार जारी है और दुनिया भर में इसके 52 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जबकि शनिवार तक तीन लाख 38 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में इस बीमारी को लेकर कुछ श्रेणियों की दवाओं का नैदानिक परीक्षण चल रहा है। इनमें से रेम्डेसिविर ने कोविड-19 के ठीक होने की दर तेज कर कुछ उम्मीदें जगाई हैं। इस दवा का परीक्षण शुरू में पांच साल पहले खतरनाक इबोला वायरस के इलाज में किया गया था। अमेरिका के एक स्वतंत्र आर्थिक थिंक टैंक मिल्कन इंस्टीट्यूट के एक ट्रैकर के मुताबिक कोविड-19 के इलाज के लिए 130 से ज्यादा दवाओं को लेकर परीक्षण चल रहा है, कुछ में वायरस को रोकने की क्षमता हो सकती है, जबकि अन्य से अतिसक्रिय प्रतिरोधी प्रतिक्रिया को शांत करने में मदद मिल सकती है। अतिसक्रिय प्रतिरोधी प्रतिक्रिया से अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। सीएसआईआर के भारतीय समवेत औषध संस्थान, जम्मू के निदेशक राम विश्वकर्मा ने बताया, “फिलहाल, एक प्रभावी तरीका है…वह है अन्य बीमारियों के लिये पहले से स्वीकृत दवाओं का इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कि क्या उनका प्रयोग कोविड-19 के लिये हो सकता है। एक उदाहरण रेम्डेसिविर का है।” विश्वकर्मा ने कहा कि रेम्डेसिविर लोगों को तेजी से ठीक होने में मदद कर रही है और गंभीर रूप से बीमार मरीजों में मृत्युदर कम कर रही है। यह जीवन रक्षक हो सकती है। विश्वकर्मा ने कहा, “हमारे पास नई दवाएं विकसित करने के लिये समय नहीं है। नई औषधि विकसित करने में 5-10 साल लकते हैं इसलिये हम मौजूदा दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह देखने के लिये नैदानिक परीक्षण कर रहे हैं कि वे प्रभावी हैं या नहीं।” उन्होंने कहा कि एचआईवी और विषाणु संक्रमणों के दौरान उपचार के तौर पर उपलब्ध कुछ अणुओं को नए कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल करके देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर इन्हें प्रभावी पाया जाता है तो औषधि नियामक संस्थाओं से उचित अनुमति हासिल कर कोविड-19 के खिलाफ इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। विश्वकर्मा के मुताबिक इसके अलावा फेवीपीराविर से भी कुछ उम्मीदें हैं और कोविड-19 के खिलाफ इसके प्रभावी होने को लेकर भी नैदानिक परीक्षण का दौर चल रहा है। सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मांडे ने इस महीने घोषणा की थी कि हैदराबाद स्थित भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान ने फेवीपिरावीर बनाने की प्रौद्योगिकी विकसित कर ली है। उत्तर प्रदेश में स्थित शिव नादर विश्वविद्यालय में रसायन विभाग के प्रोफेसर शुभव्रत सेन भी इस बात से सहमत हैं कि जिन दवाओं का परीक्षण चल रहा है उनमें रेम्डेसिविर से सबसे ज्यादा उम्मीद है। सेन ने बताया कि जिन दवाओं का परीक्षण चल रहा है उनमें से कुछ एंटीवायरल है और कुछ एंटीमलेरिया और एंटीबायोटिक हैं।
पैदल ही पहुंच गयी होने वाली ससुराल
परंपरा के अनुसार दूल्हा 'बैंड बाजा बारात' के साथ दुल्हन के घर जाकर विवाह करता है लेकिन कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन के कारण जब 19 वर्षीय दुल्हन को लगा कि उसका ब्याह टल सकता है तो उसने परंपरा को तोड़ने का फैसला किया। घटना की पूरी जानकारी रखने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वधू इस हफ्ते की शुरूआत में वर से विवाह करने कानपुर से कन्नौज तक 80 किलोमीटर पैदल चली गयी। कानपुर देहात जिले में डेरा मंगलपुर ब्लाक के लक्ष्मण तिलक गांव की गोल्डी का विवाह कन्नौज जिले में तालग्राम के बैसापुर गांव के वीरेन्द्र कुमार राठौर उर्फ वीरू से तय हुआ था। उनका विवाह चार मई को होना था, जिसे स्थगित कर दिया गया। लॉकडाउन की अवधि बढ़ने पर गोल्डी का धैर्य जवाब दे गया और इसी सप्ताह की शुरूआत में वह एक सुबह पैदल ही 80 किलोमीटर के सफर पर अपने होने वाले पति के घर की ओर चल दी। गोल्डी वहां शाम तक पहुंच गयी। वधू के अचानक यूं आ जाने अचंभित हुए वर के माता-पिता ने गोल्डी के पिता गोरेलाल को इस बात की सूचना दी जो अपनी लापता पुत्री की तलाश में इधर उधर भटक रहे थे। वीरू के पिता ने होने वाली बहू को समझाने बुझाने का प्रयास किया कि वह धैर्य रखे और जब तक वह 'बैंड बाजा बारात' के साथ उसके घर पहुंचकर अपने बेटे का विवाह रीति रिवाज के अनुसार उससे नहीं कर देते, तब तक के लिए वह अपने घर लौट जाए। लेकिन गोल्डी और इंतजार करने के मूड में नहीं थी और उसने अपने होने वाले पति एवं उसके परिवार वालों को अपनी बात मनवा ही ली। इसके बाद वीरू के माता-पिता ने विवाह का इंतजाम किया। पंडित को बुलाया गया, वर वधू ने सात फेरे लिये और विवाह संपन्न हो गया। कन्नौज के पुलिस अधीक्षक अमरेन्द्र सिंह ने इस विवाह के बाबत पूछे जाने पर कहा, 'ये बात सही है। मुझे इसकी जानकारी है।'
21 लाख लोग लौटे
उत्तर प्रदेश में देश के अन्य हिस्सों से प्रवासी श्रमिकों और कामगारों को लेकर अब तक 1018 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उत्तर प्रदेश आ चुकी हैं और इनसे 13 लाख 54 हजार से अधिक प्रवासी कामगार घर लौटे हैं। अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने शनिवार को बताया कि 1018 ट्रेनें उत्तर प्रदेश में आ चुकी हैं और इनसे 13 लाख 54 हजार से अधिक प्रवासी आ चुके हैं। ट्रेनों, बसों और अन्य साधनों से अब तक प्रदेश में 21 लाख लोग आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार और रविवार के दिन 178 और ट्रेनें चल रही हैं, जो जल्द ही प्रदेश में आ जाएंगी। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि वाराणसी में एक की जगह दो स्टेशन कर दिये गये हैं ... कैण्ट एवं मडुआडीह। प्रदेश में ऐसे 52 रेलवे स्टेशन हैं, जहां ट्रेनें लायी जा रही हैं। पहली बार पीलीभीत जिले में भी एक ट्रेन लायी गयी है। अवस्थी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रवासी श्रमिकों और कामगारों को उनके गृह प्रदेश लाने की व्यवस्था नि:शुल्क कर रही है। उत्तर प्रदेश की ट्रेनों में किसी को कोई शुल्क नहीं देना है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों एवं कामगारों के घर पर पृथकवास की व्यवस्था है। उनका पूरा डाटा एकत्र कर लिया है। उनके घर पर एक पर्चा लगा रहेगा, जिसमें पूरा ब्यौरा होगा। निगरानी समितियां उसे देखकर सुनिश्चित करेंगी कि प्रवासी घर पर पृथकवास का कडाई से पालन करें।
इसे भी पढ़ें: विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपनी छवि पर लगे दाग धोने ही होंगे
चीन में पहली बार कोविड-19 का कोई मामला नहीं आया
चीन में पहली बार शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया, जबकि लैटिन अमेरिका के देशों में कोविड-19 के मामलों में तीव्र वृद्धि हुई है। जर्मनी में फिर से खोले गये एक गरिजाघर में और एक रेस्तरां में भी संक्रमण के मामले सामने आये हैं। कोरोना वायरस महामारी का फैलना जारी रहने के चलते सरकारों को न सिर्फ लोगों को सुरक्षित रखने के लिये मशक्कत करनी पड़ रही है, बल्कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के चलते अमेरिका में सप्ताहांत में मनाये जाने वाला स्मारक दिवस बाधित हुआ है। साथ ही, दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय द्वारा सामूहिक रूप से मनाए जाने वाले ईद के त्योहार पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। कमजोर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली वाले देशों के लिये वायरस से लड़ना मुश्किल होता जा रहा है, जहां पर्याप्त स्वच्छ पेयजल नहीं है। तुर्की ने कड़ाई से लॉकडाउन लागू किया है जो शनिवार से शुरू हो रहा है। यमन के हूती विद्रोहियों ने रमजान के दौरान लोगों से मास्क पहनने और घरों के अंदर ही रहने का अनुरोध किया है। हालांकि, कहीं-कहीं कई सरकारें प्रतिबंधों में ढील दे रही हैं क्योंकि महामारी के चलते वे ऐतिहासिक आर्थिक मंदी का सामना कर रही हैं। अमेरिका स्थित जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक कुछ महीनों में दुनियाभर में कम से कम 338,000 लोगों की कोविड-19 से मौत हो गई है, जबकि 52 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। महामारी से निपटने के अपने तरीके को लेकर सराहना पाने वाले जर्मनी के उत्तर पश्चिम हिस्से में स्थित एक रेस्तरां में संक्रमण के सात नये मामले सामने आये हैं। देश में दो हफ्ते पहले प्रतिबंधों में छूट दिये जाने के बाद रेस्तरां खुलने के साथ यह पहला ज्ञात मामला होगा। समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक दक्षिण पश्चिम शहर फैंकफर्ट में एक नेता ने कहा कि 10 मई को गिरिजाघर की प्रार्थना सभा में शामिल होने के बाद कई लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। उनमें से छह लोग अस्पताल में भर्ती किये गये हैं। गिरिजाघर ने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिये हैं और अब इसकी धार्मिक गतिविधियां ऑनलाइन की जा रही हैं। क्षेत्र में सशर्त धार्मिक सेवाओं की एक मई से अनुमति दी गई है। चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा है कि महामारी से निपटने में देश की स्वास्थ्य प्रणाली अब तक सफल रही है। उधर, पूरे लैटिन अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण और इससे लोगों की मौत होने के आंकड़े में तीव्र वृद्धि हुई है। इस हफ्ते लगभग प्रतिदिन ब्राजील और मेक्सिको में संक्रमण के रिकार्ड संख्या में नये मामले सामने आये हैं। पेरू, चिली और इक्वाडोर मे आईसीयू में काफी संख्या में मरीजों को रखना पड़ा है। अमेरिका में कुछ क्षेत्रों में पाबंदियां तेजी से हटाई जा रही हैं। अमेरिका कोविड-19 महामारी से सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, जहां 96,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है संक्रमण के करीब 16 लाख मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद, रूस और ब्राजील का स्थान आता है। चीन में पहली बार शनिवार को संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया। जापान में संक्रमण के मामले प्रतिदिन दोहरे अंक में कम हो रहे हैं और देश में क्रमिक रूप से पाबंदियां हटाई जा रही हैं। कुछ देश कोरोना वायरस संक्रमण का दूसरा दौर शुरू होने की स्थिति का सामना कर रहे हैं जबकि इससे बुरी तरह से प्रभावित रूस अब भी पहले दौर से निपटने में संघर्ष कर रहा है।
-नीरज कुमार दुबे