Lockdown के 43वें दिन सरकार ने दिये पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू होने के संकेत, गुजरात के हालात पर केंद्र चिंतित

By नीरज कुमार दुबे | May 06, 2020

महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ जिलों में कोविड-19 के मरीजों में अधिक मृत्यु दर पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार को राज्यों से कहा कि वे प्रारंभिक निगरानी, संपर्कों का तेजी से पता लगाने और शुरू में ही रोग निदान जैसे कदमों पर ध्यान केंद्रित करें ताकि इन क्षेत्रों में मौत के मामलों में कमी आ सके। हर्षवर्धन ने गुजरात के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री नितिनभाई पटेल तथा महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में हर्षवर्धन ने अत्यंत गंभीर श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) और इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के मामलों की स्क्रीनिंग और जांच जैसे उचित कदमों की आवश्यकता पर जोर दिया क्योंकि इससे संक्रमण को अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रभावी नियंत्रण रणनीति का क्रियान्वयन राज्यों की शीर्ष प्राथमिकता होना चाहिए। नए मामलों को रोकने के लिए सुव्यवस्थित तरीके से रोग निवारण, पहले पहल और समग्र कदम उठाना तथा केंद्र द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना समय की आवश्यकता है।’’ बैठक में रेखांकित किया गया कि कुछ मामलों में रोगियों ने या तो अपने संक्रमित होने की जानकारी छिपाई या वे उपचार के लिए देरी से अस्पताल पहुंचे। इसकी वजह कोविड-19 को लेकर कोई डर या बदनामी की कोई आशंका हो सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 को लेकर बदनामी जैसी चीजों को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन अभियान चलाया जाना चाहिए जिससे मामलों की समय पर जानकारी मिलने, चिकित्सीय प्रबंधन और मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिलेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में बुधवार सुबह तक आए कोरोना वायरस संक्रमण के 49,391 मामलों और मौत के 1,694 मामलों में से महाराष्ट्र सबसे ऊपर है जहां संक्रमण के 15,525 मामले सामने आए हैं और 617 लोगों की मौत हुई है। वहीं, गुजरात दूसरे नंबर पर है जहां संक्रमण के 6,245 मामले सामने आए हैं और 368 लोगों की मौत हुई है। महाराष्ट्र और गुजरात में बड़ी संख्या में संक्रमण और मौत के मामलों के चलते हर्षवर्धन ने सुझाव दिया कि निषिद्ध क्षेत्रों में निगरानी टीमों के साथ वार्ड स्तर पर सामुदायिक स्वयंसेवियों की भी पहचान की जानी चाहिए जो हाथ अच्छी तरह धोने और भौतिक दूरी जैसे कदमों के बारे में जागरूकता फैला सकें। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद और पुणे जैसे कुछ जिलों ने यह काम किया है। हर्षवर्धन ने कहा कि मंत्रालय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्यों को पूरा सहयोग देगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र के अधिकारियों वाली अतिरिक्त टीमें भी राज्यों में उनके आग्रह के अनुसार तैनात की जाएंगी। हर्षवर्धन ने सूचित किया कि कोविड-19 के उपचार से जुड़े डॉक्टर केंद्र तक पहुंचने के लिए देश के किसी भी हिस्से से मोबाइल नंबर (+91 9115444155) पर संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने राज्यों से ‘आरोग्य सेतु मोबाइल एप’ के प्रचार-प्रसार का भी आग्रह किया और कहा कि वे उन लोगों के लिए ‘आरोग्य सेतु इंटरेक्टिव वॉयस रेस्पांस सिस्टम’ सुविधा को भी प्रचारित करें जिनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं।


जल्द शुरू होंगी सार्वजनिक परिवहन सेवाएं


केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संकेत दिया है कि देश में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं जल्द शुरू होंगी। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बंद हैं। गडकरी ने बुधवार को कहा कि सरकार सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश बना रही है। इसमें सामाजिक दूरी यानी सोशल डिस्टैंसिंग आदि पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिवहन सेवाएं और राजमार्ग खुलने से जनता का भरोसा कायम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही गडकरी ने सतर्क करते हुए कहा कि लोगों को बसों या कारों के परिचालन के दौरान सभी सुरक्षा उपायों... मसलन हाथ धोना, सैनिटाइज करना, फेस मास्क पहनना आदि का ध्यान रखना होगा। यात्री परिवहन उद्योग की राहत पैकेज की मांग पर गडकरी ने कहा कि सरकार को उनकी समस्याओं की पूरी जानकारी है। सरकार उनके मुद्दों को हल करने के लिए पूरा समर्थन देगी। उन्होंने कहा कि वह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संपर्क हैं। दोनों कोविड-19 के कठिन समय में अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। मंत्री ने निवेशकों और उद्योग का आह्वान किया कि वे कोराना वायरस की वजह से पैदा संकट को अवसर में बदलें और वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएं। गडकरी ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था संकट में है। हमें इसे अवसर के रूप में लेना चाहिए। अब कोई चीन के साथ व्यापार नहीं करना चाहता। जापान के प्रधानमंत्री अपने उद्योगों को चीन के बाहर निवेश करने को कह रहे हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का अवसर है।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को इस अवसर का लाभ उठाते हुए विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता देना चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया कि देश और उसके उद्योग दोनों लड़ाइयों में सफलता हासिल करेंगे। कोरोना वायरस से लड़ाई और अर्थव्यवस्था को सुस्ती से निकालने की लड़ाई। ऑपरेटरों द्वारा जताई गई चिंता पर गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय लंदन की तरह का सार्वजनिक परिवहन मॉडल अपनाने पर विचार कर रहा है। इस मॉडल में सरकार की ओर से न्यूनतम निवेश किया जाता है और निजी निवेश को प्रोत्साहन दिया जाता है। उन्होंने भारत में बसों और ट्रकों की बॉडी की कमजोरी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां यह सिर्फ 5-7 साल चल पाता है, जबकि यूरोपीय मॉडल की बॉडी 15 साल तक चलती है।

 

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संक्रमण के मामले बढ़ कर 49,391 हुए


देश में कोरोना वायरस संक्रमण से पिछले 24 घंटे में 126 और लोगों की मौत हो जाने से इस महामारी से मरने वाले लोगों की संख्या बुधवार को बढ़ कर 1,694 हो गई, जबकि संक्रमण के मामले बढ़ कर 49,391 हो गये हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के 2,958 नये मामले सामने आये हैं। उल्लेखनीय है कि मंत्रालय ने मंगलवार शाम कहा था कि मामलों की राष्ट्रव्यापी स्थिति इसकी वेबसाइट पर दिन में सिर्फ एक बार, सुबह में अपडेट की जाएगी। अब तक यह दिन में दो बार की जाती रही थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले 24 घंटे में 1,457 मरीज संक्रमण मुक्त हुए हैं। अब तक कुल 14,183 लोग इस रोग से उबर चुके हैं। मरीजों के संक्रमण मुक्त होने की दर 28.72 प्रतिशत है।’’ अधिकारी ने कहा कि अभी 33,514 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों इलाज चल रहा है और एक मरीज देश से जा चुका है। कुल मामलों में 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया कि मंगलवार शाम से गुजरात में 49, महाराष्ट्र में 34, राजस्थान में 12, पश्चिम बंगाल में सात, उत्तर प्रदेश में तीन, पंजाब एवं तमिलनाडु में दो-दो और कर्नाटक एवं हिमाचल प्रदेश में एक-एक मरीज की मौत हुई है। देश में कोविड-19 से हुई कुल 1,694 मौतों में से सबसे ज्यादा 617 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई है। इसके बाद गुजरात में 368, मध्य प्रदेश में 176, पश्चिम बंगाल में 140, राजस्थान में 89, दिल्ली में 64, उत्तर प्रदेश में 56 और आंध्र प्रदेश में 36 मरीजों की मौत हुई है। तमिलनाडु में मृतक संख्या 33 तक पहुंच गई है, जबकि तेलंगाना में 29 लोगों की संक्रमण ने जान ली है। कर्नाटक में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 29 हो गई है। पंजाब में कोरोना वायरस संक्रमण से हुई मौतों की संख्या 25 है, जम्मू कश्मीर में आठ और हरियाणा में छह मरीजों की संक्रमण से मौत हुई है। केरल और बिहार में चार-चार मरीजों की मौत हुई है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड में तीन लोगों की मौत हुई। मेघालय, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड और असम में एक-एक मरीज की मौत हुई है। बुधवार सुबह अद्यतन किये गये मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में हैं, जहां 15,525 लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं। इसके बाद गुजरात में 6,245, दिल्ली में 5,104, तमिलनाडु में 4,058, राजस्थान में 3,158 मध्य प्रदेश में 3,049 और उत्तर प्रदेश में 2,880 लोग संक्रमित हुए हैं। आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 1,717 हो गए हैं और पंजाब में 1,451 लोग संक्रमित हैं। पश्चिम बंगाल में 1,344 लोग संक्रमित पाए गए हैं। तेलंगाना में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,096, जम्मू-कश्मीर में 741, कर्नाटक में 671, हरियाणा में 548 और बिहार में 536 हो गई है। केरल में कोरोना वायरस के 502 मामले सामने आए हैं, जबकि ओडिशा में 175 मामले हैं। झारखंड में 125 और चंडीगढ़ में 111 लोग संक्रमित हुए हैं। उत्तराखंड में 61 मामले सामने आए हैं जबकि छत्तीसगढ़ में 59, असम में 43 और हिमाचल प्रदेश में 42 और लद्दाख में 41 मामले सामने आए हैं। अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में 33 मामले हैं। त्रिपुरा में 43, मेघालय में 12 और पुडुचेरी में नौ मामले हैं जबकि गोवा में कोविड -19 के सात मामले सामने आए हैं। मणिपुर में दो मामले सामने आए हैं और मिजोरम, दादरा एवं नगर हवेली तथा अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामला सामने आया है। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘‘हमारे आंकड़ों का आईसीएमआर के आंकड़ों के साथ मिलान किया जा रहा है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘राज्यवार आंकड़ों के और अधिक सत्यापित किये जाने और मिलान किये जाने की जरूरत है।’’


ममता बनर्जी सरकार ने रणनीति बदली


कोविड-19 महामारी से कथित रूप से अकुशलता से निपटने को लेकर आलोचना से घिरी पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने परीक्षण कई गुणा बढ़ाकर, कोरोना वायरस मौतों पर ऑडिट समिति के क्षेत्राधिकार में बदलाव लाकर और लॉकडाउन उपायों को कड़ा करके अपनी रणनीति बदली है। तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अनुसार रणनीति में बदलाव लोगों में बढ़ते असंतोष तथा निम्न परीक्षण एवं कमजोर निगरानी को लेकर केंद्र की टीमों की तीखी टिप्पणी जैसे विभिन्न कारणों से किया गया है। यह तृणमूल के लिए अगले साल के विधानसभा चुनाव में महंगा साबित हो सकता है। एक वरिष्ठ तृणमूल नेता ने कहा, ''जिलों से आ रही रिपोर्टें परेशान करने वाली थीं क्योंकि लोग राज्य सरकार द्वारा इस संकट के प्रबंधन से क्रुद्ध थे। केंद्र के फैसलों की नियमित आलोचना भी लोगों के गले नहीं उतरी और पश्चिम बंगाल की कोविड-19 स्थिति को लेकर लगातार सवाल उठते रहे।’’ नवीनतम आंकड़े के अनुसार राज्य में कोविड-19 के 1344 सत्यापित मामले सामने आये और 140 मरीजों की मौत हुई। इन 140 मरीजों में 68 की मौत की वजह वायरस को बताया गया जबकि बाकी में अन्य कई बीमारियां भी थीं। अधिकारियों के अनुसार पश्चिम बंगाल में अब रोजाना करीब 2500 परीक्षण हो रहे हैं और अबतक 25,116 नमूनों की जांच हो चुकी है। दो अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों के पहुंचने से महज दो दिन पहले 18 अप्रैल को मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कहा था कि राज्य में कोरोना वायरस के 233 मामले सामने आये और बस 12 मरीजों की जान गयी। राज्य में 4,600 नमूनों का परीक्षण किया गया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर इस बीमारी के कुल मामले 1259 और उससे मरने वालों की संख्या 133 बतायी गयी। तृणमूल नेता ने कहा कि पार्टी का एक वर्ग कोविड-19 मौतों के प्रमाणन के लिए विशेषज्ञ ऑडिट समित के गठन की जरूरत को लेकर अनिश्चित था। लेकिन समिति बनायी गयी और उसने कोविड-19 मरीजों की मौतों की बड़ी संख्या की जांच की और बहुत कम मौत के लिए इस वायरस को जिम्मेदार माना एवं उच्च रक्तचाप, हृदया एवं वृक्क की बीमारी जैसे अन्य रोगों को जिम्मेदार ठहराया। इस बीच कोविड-19 के मरीजों की मौत और कथित रूप से उनके शवों के ‘चोरी छिपे’ दाहसंस्कार एवं दफनाने के वीडियो सोशल मीडिया पर वाइरल हो गये। एक अन्य तृणमूल नेता ने कहा, ''2021 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए यह बड़ा जोखिमपूर्ण बन रहा था।’’ उन्होंने कहा, ''तब शीर्ष नेतृत्व ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से संपर्क करने का निर्णय लिया। एक बहुआयामी रणनीति बनायी गयी जिसे लागू करने के लिए प्रशासनिक एवं राजीनतिक इच्छाशक्ति की जरूरत थी। उनके मार्गदर्शन में पार्टी ने अपन आप को सशक्त दिखा रही है तथा गलतियां सुधारने लगीं एवं भाजपा से दो-दो हाथ करने लगी।’’


प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल परीक्षण के लिए मंजूरी


भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 से जुड़ी जटिलताओं को सीमित करने के मकसद से इस बीमारी से स्वस्थ हुए व्यक्ति के प्लाज्मा के प्रभाव का आकलन करने के लिए 21 संस्थानों को एक अध्ययन में शामिल होने की स्वीकृति दे दी है। अधिकारियों ने बताया कि इस अध्ययन में 452 नमूने शामिल किये जाएंगे। इसमें 400 नमूनों का पंजीकरण होने के बाद कोई नया संस्थान नहीं जोड़ा जाएगा। आईसीएमआर ने केंद्रीय स्तर पर क्लीनिकल परीक्षण जवाबदेही बीमा खरीदा है। इस थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त प्लाज्मा से एंटीबॉडी लेकर उन्हें कोरोना वायरस के रोगी के शरीर में चढ़ाया जाता है जिससे संक्रमण से लड़ने में प्रतिरोधी क्षमता काम करना शुरू कर सकती है। आईसीएमआर ने कहा कि उसने कई केंद्रों पर क्लीनिकल परीक्षण की पहल की है जिसे प्लासिड ट्रायल नाम दिया गया है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। 111 संस्थानों से आशय पत्र प्राप्त हुए हैं। चार मई तक आईसीएमआर ने इस प्लासिड परीक्षण के लिए 21 संस्थानों को मंजूरी दी है।’’ इनके अलावा 90 और अस्पतालों ने भी परीक्षण के तहत आवेदन किया है और जरूरी दस्तावेज पूरे होने के आधार पर अर्जियों पर विचार किया जा रहा है।


अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का निर्यात प्रतिबंधित


सरकार ने बुधवार को कहा कि अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा। कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने में अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर को काफी प्रभावी माना जा रहा है। हालांकि, अब उद्योग बिना अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का निर्यात कर सकेगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। डीजीएफटी ने अपनी 24 मार्च की अधिसूचना में संशोधन करते हुए कहा है कि अब सिर्फ अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध रहेगा। 24 मार्च की अधिसूचना में सभी हैंड सैनिटाइजर के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में हैंड सैनिटाइजर और फेस मास्क की कमी हो गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का निर्यात प्रतिबंधित रहेगा। सैनिटाइजर कीटाणुनाशक के रूप में काम करता है। इससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। एक अनुमान के अनुसार भारत ने 2018-19 में 48.5 करोड़ डॉलर के सैनिटाइजर का निर्यात किया था।


पैकेज पर काम कर रही सरकार


सरकार भारत को एक बड़े वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केन्द्र के रूप में बदलने के लिये उभरते क्षेत्रों में ढांचागत सुधारों के मामले में एक पैकेज पर काम कर रही है। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने यह कहा। अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (आइमा) द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के कोविड-19 बाद के परिदृश्य पर आयोजित आनलाइन परिचर्चा सत्र में उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवागमन, जिनोमिक्स, कृत्रिम मेधा, 5जी नेटवर्क, वित्तीय प्रौद्योगिकी और विनिर्माण को बुनियादी ढांचागत सुधारों के मामले में त्वरित और उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र बताया। आइमा के यहां जारी वक्तव्य में कांत के हवाले से कहा गया है, ‘‘ये वृद्धि के नये क्षेत्र हैं जिनमें आने वाले समय में तीव्र बदलाव होना जरूरी लगता है और जिनमें गति, आकार और व्यापक पैमाने की की जरूरत होगी।’’ कांत ने कहा कि कोविड-19 के बाद की अवधि में सरकार के लिये विनिर्माण एक महत्वपूर्ण ध्यान देने वाला क्षेत्र होगा क्योंकिं भारत चीन में आपूर्ति श्रृंखला में आ रहे व्यावधान का लाभ उठाना चाहता है।

 

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मामले दायर करने की अवधि बढ़ाई


कोविड-19 महामारी के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर वकीलों और वादकारों को हो रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुये उच्चतम न्यायालय ने कानूनों के तहत मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने और चेक बाउन्स के मामलों में याचिका दायर करने की समयावधि बुधवार को 15 मार्च से अगले आदेश तक के लिये बढ़ा दी। मध्यस्थता एवं सुलह कानून, 1996 और निगोश्येबल इंस्ट्रूमेन्ट्स कानून, 1881 के तहत वादकारों के पास कार्यवाही शुरू करने के लिये एक निश्चित अवधि का प्रावधान है और अगर कानून में प्रदत्त अवधि के भीतर मामला दायर नहीं किया जाये तो यह निरर्थक हो जाता है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ ने कहा कि यदि समय सीमा 15 मार्च के बाद खत्म हो गयी है तो 15 मार्च से अगले आदेश तक, लॉकडाउन खत्म होने की तारीख तक, यह अवधि बढ़ी रहेगी। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुयी सुनवाई के दौरान केंद्र को नोटिस जारी किया। इस मामले में केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल मौजूद थे। पीठ ने कहा कि वह ऐसी राहत देना चाहती है परंतु ऐसा व्यापक आदेश नहीं हो सकता और इसलिए उसने इस बारे में केन्द्र की राय मांगी है। इससे पहले, न्यायालय ने कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से उच्च न्यायालय या अधिकरण के फैसलों के खिलाफ निश्चित अवधि के भीतर अपील दायर करने में वकीलों तथा वादकारों के सामने पेश आ रही कठिनाइयों का स्वत: ही संज्ञान लिया और संविधान में प्रदत्त अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुये यह समय सीमा बढ़ाने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह आदेश सभी उच्च न्यायालयों के संज्ञान में लाया जाये ताकि वे इसे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली अधीनस्थ अदालतों और अधिकरणों तक पहुंचा सकें।


हरियाणा से नहीं जाने की अपील की


हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उद्योगों में काम कर रहे प्रवासी कामगारों से राज्य से नहीं जाने की अपनी अपील दोहराई और कहा कि जिन इकाइयों को उत्पादन की अनुमति दी गई है वे वहां काम करना शुरू कर दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति बेहतर हैं और प्रवासी कामगारों को कोई निर्णय लेने से पहले अपने गृह राज्य के हालात और हरिणाया के हालात के बीच तुलना करनी चाहिए। खट्टर ने टेलीविजन पर जनता के नाम अपने संदेश में कहा, ‘‘मैं उद्योगों में काम करने वाले प्रवासी कामगारों से फिर से अपील करना चाहता हूं कि वे चिंता छोड़ दें। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि यहां स्थिति बेहतर है, रोजगार ठीक है,यहां का माहौल अच्छा है और कोविड-19के हालात बेहतर हैं।’’ हरियाणा में अधिकतर प्रवासी कामगार बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश से हैं। उन्होंने कामगारों से कहा, ‘‘आप जब भी कोई निर्णय लें तो उस पर दोबारा विचार करें और यहीं रहें। घर जाने की जल्दबाजी नहीं दिखाएं। कोविड-19 फैल रहा है और ऐसे वक्त में सुरक्षित रहने का सर्वश्रेष्ठ तरीका यही है कि आप जहां हैं वहीं रहें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई यहां से जाना चाहता है तो इसके लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप उनके लौटने की व्यवस्था पहले की कर दी है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि बुधवार को पहली विशेष ट्रेन हिसार से 1,200 प्रवासी कामगारों को ले कर बिहार के कटिहार के लिए रवाना हो गई है। आने वाले दिनों में और ट्रेनें चलाई जाएगीं।


वरिष्ठ डॉक्टरों का एक दल कर सकता है अहमदाबाद का दौरा


एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया समेत दिल्ली और मुम्बई के तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम के अहमदाबाद का दौरा करने की संभावना है, जहां कोविड-19 से होने वाली मृत्यु की उच्च दर है। गुजरात सरकार ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बहुत ही अनुभवी डॉक्टरों की एक टीम भेजने का अनुरोध किया है। अधिकारियों के अनुसार अहमदाबाद की कोविड-19 मृत्यु दर 6.1 है, जो 3.3 के राष्ट्रीय औसत से करीब-करीब दोगुनी है। अहमदाबाद में अबतक कोरोना वायरस से 4425 लोग संक्रमित हुए हैं और इससे 273 मरीजों की मौत हुई है। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘भारत के शीर्ष डॉक्टर गंभीर मरीजों का बेहतर उपचार करने और टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए अहमदाबाद में सिविल अस्पताल के कर्मियों का मार्गदर्शन करेंगे।’’ अधिकारियों के मुताबिक इस टीम में डॉ. गुलेरिया के अलावा नयी दिल्ली के ही अपोलो अस्पताल के डॉ. राजेश चावला और मुम्बई के मशहूर फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित पंडित के इस टीम का हिस्सा होने की संभावना है। सरकार ने इन डॉक्टरों के आने की ठीक-ठीक तारीख की अभी घोषणा नहीं की है।


अहमदाबाद में दुकानें अगले एक हफ्ते तक बंद रहेंगी


अहमदाबाद शहर में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के उद्देश्य से स्थानीय निकाय अधिकारियों ने बुधवार को दूध एवं दवाईयों की दुकानें छोड़ कर सभी दुकानों को एक हफ्ते के लिये बंद करने का आदेश दिया है। निगम आयुक्त मुकेश कुमार की ओर से हस्ताक्षरित आदेश के अनुसार, दुकानें सात मई की आधी रात से लेकर 15 मई को सुबह छह बजे तक बंद रहेंगी। आदेश में कहा गया है कि दूध एवं दवाईयों की दुकानें खुली रहेंगी । इसके अलावा बाकी सभी दुकानें बंद रहेंगी, जिनमें फल, सब्जी एवं किराना दुकानें भी शामिल हैं।


कांग्रेस ने ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम को जिम्मेदार ठहराया


गुजरात कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार द्वारा 24 फरवरी को आयोजित ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम राज्य में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के लिए जिम्मेदार है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि इस मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा स्वतंत्र जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि पार्टी सरकार की इस ‘‘आपराधिक लापरवाही’’ के खिलाफ जल्द ही गुजरात उच्च न्यायालय जाएगी। हालांकि प्रदेश भाजपा ने इस आरोप को निराधार बताया और कहा कि यह कार्यक्रम कोविड-19 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक महामारी घोषित किये जाने से काफी समय पहले आयोजित किया गया था और राज्य में कोरोना वायरस का पहला मामला इस कार्यक्रम के लगभग एक महीने बाद सामने आया। गत 24 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में एक रोड शो किया था जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे। रोड शो के बाद दोनों नेताओं ने मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में एक लाख से अधिक लोगों को संबोधित किया था। गुजरात में कोरोना वायरस का पहला मामला 20 मार्च को सामने आया था। तब राजकोट का एक व्यक्ति और सूरत की एक महिला संक्रमित पाए गए थे। गुजरात भाजपा के प्रवक्ता प्रशांत वाला ने कांग्रेस के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। गुजरात में अब तक कोविड-19 के संक्रमण के 6,245 मामले सामने आए हैं और 368 लोगों की मौत हो चुकी है।


बंगाल में कोविड-19 की जांच


केंद्र ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच दर बहुत कम है, जबकि कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर बहुत ज्यादा है जो लॉकडाउन उल्लंघन की घटनाओं के साथ बढ़ी है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखे दो पृष्ठों के पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि लॉकडाउन का सख्त अनुपालन कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समस्या स्वास्थ्य विशेषज्ञों के असहयोग और राज्य में पृथक-वास सुविधाओं के अभाव के चलते पैदा हुई। उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच दर आबादी के अनुपात में बहुत कम हो रही है, जबकि राज्य में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर (किसी भी राज्य के मामले में) सर्वाधिक है।’’ इसमें कहा गया है कि राज्य में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 13.2 प्रतिशत है। भल्ला ने कहा कि यह राज्य में उपयुक्त निगरानी नहीं किया जाना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये लोगों का तत्परता से पता नहीं लगाना और जांच दर कम रहने को यह प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों में लोगों की औचक जांच बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोलकाता और हावड़ा शहरों में कुछ खास समुदायों द्वारा कुछ खास स्थानों पर लॉकडाउन उल्लंघन की घटनाएं देखने को मिली हैं। साथ ही, ऐसे इलाकों में पुलिसकर्मियों सहित कोरोना योद्धाओं पर हमले की खबरें भी मीडिया में आईं। गृह सचिव ने कहा कि समुचित स्वच्छता का अभाव, बाजारों में अत्यधिक भीड़, बिना मास्क पहने लोगों के बड़ी संख्या में आवाजाही करने, नदियों में लोगों के नहाने, क्रिकेट और फुटबॉल खेलने, निषिद्ध क्षेत्रों में लॉकडाउन उपायों का पालन कराने में गंभीर लापरवाही, बगैर किसी प्रतिबंध के रिक्शा चलाया जाना, लॉकडाउन के निर्देशों और सामाजिक मेलजोल से दूरी के मानकों के गंभीर उल्लंघन के उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी जिला प्रशासन द्वारा उपयुक्त निरीक्षण नहीं किये जाने और भीड़ नियंत्रण के उपायों को लागू नहीं करने के नतीजे हैं। दो अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों (आईसीएमटी) द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भल्ला ने यह पत्र लिखा है। ये दोनों टीमें कोलकाता और जलपाईगुड़ी जिलों में 20 अप्रैल से तैनात थीं तथा ये सोमवार को लौटी हैं। भल्ला ने कहा कि आईसीएमटी ने राज्य के सात जिलों का व्यापक दौरा किया और अपने अवलोकन से राज्य सरकार को समय-समय पर अवगत कराया।


बेटे को वापस लाने के लिए 18 घंटे स्कूटर चलाया


कोविड-19 लॉकडाउन में फंसे अपने 14 साल के बेटे को घर वापस लाने के लिए पुणे की एक दिव्यांग महिला ने अमरावती से 1200 किलोमीटर की यात्रा स्कूटर से तय की। एक निजी कंपनी में एकाउटेंट सोनू खंडारे ने कभी नहीं सोचा था कि लॉकडाउन के चलते उन्हें जीवन में कभी ऐसी यात्रा करनी पड़ेगी। पच्चीस अप्रैल को 37 वर्षीय यह दिव्यांग महिला ने महाराष्ट्र के अमरावती के एक गांव से अपने बेटे को वापस घर लाने के लिए 18 घंटे तक स्कूटर चलाया। खंडारे ने कहा, ''मेरा बेटा प्रतीक 17 मार्च को अंजगनागाव सुरजी तहसील में मेरे सास-ससुर के घर गया था और वह लॉकडाउन की घोषणा के बाद वहीं फंस गया।’’ प्रारंभ में खंडारे दंपत्ति को बच्चे को लेकर कोई चिंता नहीं थी लेकिन जब चार मई तक लॉकडाउन बढ़ाया गया तब दोनों मियां-बीवी परेशान हो गये। खंडारे ने जिला प्रशासन से संपर्क किया और यात्रा पास के लिए ऑनलाइन आवेदन किया। उन्होंने किराये पर एक कार लेने की सोची लेकिन उसका 8000 रूपये का भारी भरकम भाड़ा था। जब कोई विकल्प व्याहारिक नहीं लगा तब खंडारे विशेष अनुमति के लिए व्यक्तिगत रूप से पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंची। उन्होंने कहा, ''जब मुझे 24 अप्रैल को 48 घंटे के लिए यात्रा पास मिला तब मैं सीधे घर गयी, कुछ खाद्य चीजें और पानी लिया एवं बिना कुछ और विचारे मैं अपने दो पहिये से चल पड़ी।’’ उन्होंने कहा, ''मैं रात में भी अपना स्कूटर चलाती रही जबकि हेडलाइट से आ रही धुंधली रोशनी से ज्यादा कुछ नहीं था। मुझे रास्त में हर चेकपोस्ट पर रोका गया और सवाल जवाब किया गया।’’ खंडारे ने कहा, ''जब मुझे पेट्रोल पंप के समीप सीसीटीवी नजर आया तब मैंने वहां खुले में सुस्ताने का निर्णय लिया क्योंकि मेरे मन में चल रहा था कि यदि कुछ मेरे साथ (गलत) होता है तो वह रिकार्ड हो जाएगा।’’ अगले दिन वह तड़के फिर चल पड़ी एवं दोपहर सास-ससुर के घर पहुंची। तीन बच्चों की मां ने कहा, ''मैंने वहां बमुश्किल कुछ घंटे बिताये क्योंकि मेरे दिमाग में यात्रा पास खत्म होने से पहले सुरक्षित वापसी की बात चल रही थी।’’ वह 26 अप्रैल को पास खत्म होने से महज एक घंटे पहले करीब ग्यारह बजे पुणे के भोसारी इलाके में अपने घर लौट आयीं। उन्हें इस यात्रा में भूख-प्यास, असहज रास्ते से दो-चार होना पड़ा।


कर्नाटक सरकार ने की 1,610 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा


कर्नाटक सरकार ने कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन (बंद) से प्रभावित हुए लोगों को लाभ देने के लिए 1,610 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की बुधवार को घोषणा की और राजस्व बढ़ाने के लिए शराब पर आबकारी शुल्क 11 प्रतिशत बढ़ा दिया। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज के तहत हजारों धोबियों, नाइयों, ऑटो रिक्शाचालकों एवं टैक्सी चालकों के लिए पांच-पांच हजार रुपए के मुआवजे समेत कई कदमों की घोषणा की गई है। इस पैकेज से किसानों, मालियों, एमएसएमई, बड़े उद्योगों, बुनकरों, निर्माण कर्मियों आदि को भी राहत मिलेगी। येदियुरप्पा ने बताया कि सरकार ने शराब पर आबकारी शुल्क 11 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम के उपायों के तहत शराब की दुकान खोलने पर लगी रोक हटाने के दो दिन बाद इस पर आबकारी शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि राजस्व बढ़ाया जा सके। बजट में भी शराब पर आबकारी शुल्क छह प्रतिशत बढ़ाया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से समाज के सभी वर्गों के लोग वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रहे हैं... बंद में ढील देने से उनकी मुश्किलें समाप्त नहीं हुई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी को इस रियायत का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद करनी चाहिए।’’ मुख्यमंत्री ने राहत पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन संकट में लोगों की मदद करना सरकार का दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि इस हालात में किसी राज्य ने इतने बड़े पैकेज की घोषणा नहीं की है। बंद के कारण मांग कम हो जाने की वजह से बागवानी वालों ने अपने फूल नष्ट कर दिए हैं। सरकार ने उनकी समस्याओं को समझते हुए फसल के नुकसान के लिए 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा देने की घोषणा की है। फसल के नुकसान पर अधिकतम एक हेक्टेयर तक के लिए मुआवजा दिया जाएगा। सब्जियां एवं फल उगाने वाले किसान मंडियों तक अपना सामान नहीं ले जा सके। सरकार ने उनके लिए भी राहत की घोषणा की है। कोविड-19 ने नाइयों एवं धोबियों जैसे सेवा प्रदाताओं को भी प्रभावित किया है इसलिए करीब 60,000 धोबियों और 2,30,000 नाइयों को पांच-पांच हजार रुपए का एक बार मुआवजा मुहैया कराया जाएगा। इसके अलावा करीब 7,75,000 ऑटो एवं टैक्सी चालकों को भी पांच-पांच हजार रुपए मुहैया कराए जाएंगे। येदियुरप्पा ने कहा कि बंद के कारण एमएसएमई को भी भारी नुकसान हुआ है और उन्हें पटरी पर लाने में समय लगेगा। एमएसएमई का दो महीने का तय मासिक बिजली बिल माफ किया जाएगा। बड़े उद्योगों का दो महीने का बिजली का तय मासिक बिल जुर्माना या ब्याज लगाए बिना निलंबित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी वर्गों के बिजली उपभोक्ताओं को भी कुछ राहत दिए जाने की घोषणा की। राज्य सरकार ने बुनकरों के लिए 109 करोड़ रुपए की ऋण माफी योजना की पहले ही घोषणा कर दी है, जिसमें से 29 करोड़ रुपए 2019-20 में जारी कर दिए गए। शेष 80 करोड़ रुपए की राशि तत्काल जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री ने ‘बुनकर सम्मान योजना’ की भी घोषणा की। इसके जरिए सरकार डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के जरिए हथकरघा बुनकरों के खाते में सीधे दो-दो हजार रुपए डालेगी। इससे 54,000 हथकरघा बुनकरों को लाभ होगा। राज्य में 15.80 लाख पंजीकृत निर्माण कर्मी हैं। सरकार ने डीबीटी के जरिए 11.80 लाख निर्माण कर्मियों के खाते में पहले ही दो-दो हजार रुपए भेज दिए हैं। शेष कर्मियों के खातों में भी यह राशि पहुंचाए जाने की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा, सरकार ने डीबीटी के जरिए निर्माण कर्मियों को तीन-तीन हजार रुपए की अतिरिक्त राशि भेजने का फैसला किया है। येदियुरप्पा ने अपने गृह राज्यों को लौटने के इच्छुक एक लाख प्रवासी श्रमिकों से अपील की कि वे राज्य से नहीं जाएं, क्योंकि निर्माण एवं औद्योगिक गतिविधियां आरम्भ हो गई हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का संकट समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन यह स्पष्ट है कि संक्रमण को फैलने से रोकने और राज्य के विकास के लिए आर्थिक गतिविधियां जारी रखने का काम साथ-साथ करना होगा।

 

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दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की संक्रमण से मौत


दिल्ली पुलिस के 31 वर्षीय कांस्टेबल की मंगलवार शाम को बीमार पड़ने के बाद मौत हो गई और उसके नमूने की जांच रिपोर्ट में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है। यह दिल्ली पुलिस में इस संक्रमण से होने वाली पहली मौत है। अधिकारियों ने बताया कि कांस्टेबल का नमूना कोविड-19 की जांच के लिये भेजा गया था। जांच रिपोर्ट में बुधवार को संक्रमण की पुष्टि हुई। अब तक दिल्ली पुलिस के 26 पुलिसकर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। उनमें से कई ने उपचार के बाद स्वस्थ होकर ड्यूटी शुरु कर दी है। दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने ट्वीट कर कांस्टेबल की मौत पर दुख जताया और मृतक के परिजनों को सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने ट्वीट किया, "पीएस भारत नगर के कांस्टेबल अमित कुमार के आकस्मिक निधन से पुलिस बिरादरी दुखी है। हम दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़े हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। उनके परिवार को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।" पुलिस ने बताया कि हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला कांस्टेबल उत्तर पश्चिम दिल्ली के भारत नगर पुलिस थाने में तैनात था। उन्होंने बताया कि वह मंगलवार को बीमार पड़ गया और उसकी दीप चंद बंदी अस्पताल में जांच की गई, जहां उसे दवाइयां दी गईं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंगलवार शाम को जब कांस्टेबल ने बताया कि उसकी तबियत ठीक नहीं लग रही है तो उसे फौरन राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत लाया गया घोषित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि कांस्टेबल के संपर्क में आए पुलिसकर्मियों को घर में पृथक-वास के लिए कहा गया है। अभी पोस्टमार्टम नहीं किया गया है। अधिकारी ने बताया कि उसके परिवार में पत्नी और तीन साल का एक बेटा है।


ग्रीष्मावकाश की घोषणा


दिल्ली सरकार ने सरकारी एवं सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में 11 मई से 30 जून तक ग्रीष्मावकाश की घोषणा की है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोविड-19 संक्रमण के कारण पैदा हुए हालात की वजह से अवकाश संबंधी किसी भी गतिविधि के लिए छात्रों को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा। कोविड-19 संक्रमण के कारण स्कूल पिछले करीब डेढ़ महीने से बंद हैं। शिक्षा निदेशालय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘सरकारी एवं सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में 11 मई से 30 जून तक ग्रीष्मावकाश रहेगा। कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान किसी प्रकार की शिक्षण गतिविधि के लिए छात्रों को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा।’’ 


सोनिया ने लॉकडाउन के मापदंड पर सवाल उठाया


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लॉकडाउन को लगातार बढ़ाए जाने को लेकर बुधवार को सवाल किया कि यह तय करने का सरकार का मापदंड क्या है कि लॉकडाउन कितने लंबे समय तक जारी रहेगा। उन्होंने पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में यह टिप्पणी की। बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कोरोना महामारी के कारण राजस्व के भारी नुकसान का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को प्रदेशों के लिए आर्थिक पैकेज देना चाहिए। मुख्यमंत्रियों ने यह आरोप भी लगाया कि कोरोना से संबंधित जोन का निर्धारण करने के लिए केंद्र की तरफ से राज्यों के साथ सलाह-मशविरा नहीं किया जा रहा है। इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी शामिल हुए। सोनिया ने कहा, ‘‘17 मई के बाद क्या? 17 मई के बाद कैसे होगा? भारत सरकार यह तय करने के लिए कौन सा मापदंड अपना रही है कि लॉकडाउन कितना लंबा चलेगा।’’ बैठक में उनकी बात का समर्थन करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘जैसा सोनिया जी ने कहा है कि हमें यह जानने की जरूरत है कि लॉकडाउन -3 के बाद क्या होगा?’’ किसानों को लेकर सोनिया ने कहा, ‘‘हम अपने किसानों खासकर पंजाब और हरियाणा के किसानों का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने तमाम दिक्कतों के बावजूद गेंहू की शानदार उपज पैदा करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है।’’ बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि कोविड-19 से निपटने की रणनीति का मुख्य बिंदु बुजुर्गों तथा मधुमेह और दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों को बचाना है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के अनुसार कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राय थी कि वित्तीय पैकेज की मांग को लेकर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से पत्र लिखेंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘‘जब तक व्यापक प्रोत्साहन पैकेज नहीं दिया जाता तब तक राज्य और देश कैसे चलेगा? हमें 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। राज्यों ने प्रधानमंत्री से पैकेज के लिए लगातार आग्रह किया है, लेकिन हमें अब तक भारत सरकार से कुछ नहीं पता चला।’’ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे राज्यों को तत्काल सहायता की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां 80 फीसदी छोटे उद्योग फिर से आरंभ हो गए हैं और 85,000 कामगार काम पर लौट चुके हैं।’’ पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया कि दिल्ली में बैठे लोग जमीनी हकीकत जाने बिना कोविड-19 के जोन का वर्गीकरण कर रहे हैं, जो चिंताजनक बात है। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने भी कहा, ‘‘भारत सरकार राज्यों के साथ विचार-विमर्श किए बिना जोन का निर्धारण कर रही है और इससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो रही है। किसी मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया?’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के लिए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के बारे में एक शब्द नहीं बोले हैं।


मारुति 12 मई को मानेसर कारखाने को फिर चालू करेगी


देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने बुधवार को कहा कि वह हरियाणा के मानेसर कारखाने में उत्पादन 12 मई को फिर शुरू कर देगी। कंपनी ने शेयर बाजार को यह सूचना दी है। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए आवागमन पर राष्ट्रव्यापी पाबंदियों के चलते कंपनी ने अपने कारखाने बंद कर रखे हैं। पाबंदियों को धीरे-धीरे उठाने के सरकार के निर्णय के बाद वाहन और कई अन्य क्षेत्रों की कंपनियां अपने कल-कारखाने फिर चालू कर रही हैं। इसके लिए उन्हें सरकारों की ओर से जारी कुछ हिदायतों का पालन करना जरूरी है। मारुति ने बताया कि हरियाणा सरकार से उसे मानेसर कारखाना चालू करने की अनुमति 22 अप्रैल को ही मिल चुकी है। लेकिन वह वाहनों के उत्पादन में निरंतरता बनाए रखने और बाजार में उनकी बिक्री की सुविधा का आकलन करने के बाद ही उत्पादन शुरू करेगी। कंपनी ने शेयर बाजार को सूचित किया है कि वह मानेसर कारखाने में 12 मई को फिर उत्पादन चालू करेगी। गुडगांव जिला प्रशासन ने मारुति सुजुकी को अभी एक पाली के आधार पर काम शुरू करने की छूट दी है। कारखाने में फिलहाल कुल 4,696 कर्मचारियों को को काम पर रखने की इजाजत है। कंपनी का मानेसर कारखाना गुड़गांव (गुरुग्राम) नगर निगम की सीमा से बाहर है जबक गुरुग्राम संयंत्र शहर की सीमा में है। दोनों काराखानों में कुल मिलाकर वार्षिक 15.5 लाख कार बनाने की क्षमता है। दोनों कारखाने 22 मार्च से बंद हैं।


69.28 लाख टन अनाज उठाया


गरीब राशनकार्ड धारकों को मुफ्त अनाज वितरित कर के उन्हें कोविड-19 संकट का सामाना करने में मदद करने के लिए, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना (पीएमजीएवाई) के तहत सरकारी पूल से अब तक 69.28 लाख टन खाद्यान्नों का उठाव किया है। केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। मंत्रालय ने बताया कि पीएमजीएवाई के तहत करीब 14 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने एक माह के कोटे का खाद्यान्न उठायाहै जबकि 18 राज्यों ने दो माह और पांच केन्द्र शासित प्रदेशों ने पूरे तीनों महीने का कोटा उठा लिया है। मार्च-अंत में, सरकार ने अप्रैल से जून तक तीन महीनों के लिए 81 करोड़ राशन कार्ड धारकों में से प्रत्येक को 5 किलो खाद्यान्न के मुफ्त वितरण की घोषणा की। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत प्रत्येक लाभार्थी को रियायती दर पर दिये जाने वाले पांच किलोग्राम के अलावा अधिक आवंटन है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इस योजना के लिए राज्य सरकारों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया रही है तथा छह मई तक पहले ही 69.28 लाख टन मात्रा का उठाव कर लिया गया है।’’ इसका मतलब यह है कि इस योजना के तहत अब तक 120 लाख टन के कुल आवंटन में से लगभग 57 प्रतिशत हिस्से का उठाव कर लिया गया है। हालांकि, कुल मिलाकर उठाव उत्साहजनक रहा है, मंत्रालय ने कहा कि योजना के तहत उठाव की पद्धति में राज्यों के बीच भिन्नताएं हैं। अब तक चंडीगढ़, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार, लद्दाख और लक्षद्वीप सहित पांच केंद्र शासित प्रदेशों ने पीएमजीएवाई के तहत पूरे तीन महीने का खाद्यान्न उठा लिया है। आंध्र प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश सहित लगभग 18 राज्यों ने दो महीने के लिए खाद्यान्न उठाया है। पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, बिहार, गुजरात, असम, मणिपुर और नागालैंड जैसे लगभग 14 राज्यों ने एक महीने के लिए खाद्यान्न उठा लिया है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा जल्द से जल्द स्टॉक उठाने के लिए राज्यों को हर समर्थन दिया जा रहा है।’’ केंद्र सरकार पर पीएमजीएवाई के तहत मुफ्त अनाज की आपूर्ति से लगभग 46,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ आने का अनुमान है। राज्य सरकारों पर बिना कोई वित्तीय बोझ डाले पीएमजीएवाई को लागू किया जा रहा है।


मोदी ने इथियोपिया के प्रधानमंत्री के साथ चर्चा की


प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बुधवार को इथियोपिया के प्रधानमंत्री डॉ. अबिय अहमद अली के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और इथियोपिया को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में भारत के सहयोग का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, मोदी ने भारत एवं इथियोपिया के बीच घनिष्ठ संबंधों और दोनों राष्ट्रों के बीच उत्कृष्ट विकास साझेदारी का स्‍मरण किया। दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न घरेलू, क्षेत्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा की और इस स्वास्थ्य संकट के दौरान एक-दूसरे के साथ एकजुटता व्यक्त की। बयान के अनुसार, ''प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा के दौरान इथियोपिया को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने और महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में भारत की ओर से सहयोग देने का आश्‍वासन डॉ. अबिय अहमद अली को दिया।’’ मोदी ने भारत की जनता और अपनी ओर से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में इथियोपिया के लोगों को सफलता मिलने की कामना की। 


जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ी


सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 की वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को तीन माह बढ़ाकर सितंबर 2020 तक कर दिया है। उद्योग एवं व्यावसाय के पक्ष में लिये गये एक और निर्णय के तहत केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 24 मार्च को अथवा इससे पहले लिये गये ई-वे बिलों जिनकी वैघता अवधि 20 मार्च से 15 अप्रैल 2020 के बीच होने वाली थी उनकी वैधता अवधि को भी बढ़ा दिया है। इसके साथ ही सरकार ने उद्योग एवं व्यापार की सुविधा में लिये गये एक और फैसले में उद्योग एवं व्यावसाय को जीएसटी रिटर्न फाइलिंग और कर भुगतान की इलेक्ट्रानिक वेरीफिकेशन कोड (ईवीसी) के जरिये सत्यापित करने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति 30 जून तक के लिये दी गई है। डिजिटल हस्ताक्षर की जरूरत को देखते हुये मासिक जीएसटी रिटर्न फाइल करने और कर भुगतान में हो रही देरी को देखते हुये सरकार ने कारोबारियों को ईवीसी के जरिये ही रिटर्न को सत्यापित करने की अनुमति दे दी है। केन्द्रीय अप्रतयक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट जारी कर कहा है कि वित्त वर्ष 2018- 19 की माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वार्षिक रिटर्न दाखिल करने और उसके मिलान वक्तव्य के लिये समय सीमा को 30 सितंबर 2020 तक बढ़ाने के बारे में एक अधिसूचना जारी की जा चुकी है। ईवाई के कर भागीदारी अभिषेक जैन ने कहा, ‘‘देश का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से लॉकडाउन में है या फिर आंशिक लॉकडाउन के तहत है ऐसे में उद्योगों के लिये जून अंत की समयसीमा को भीतर यह काम करना मुश्किल होता। ऐसे में सीबीआईसी की तरफ से समय सीमा को बढ़ाने का फैसला उद्योगों को काफी राहत देगा। साथ ही इससे सरकार की सामंजस्य बिठाने की मंशा का भी पता चलता है।’’ इसके साथ ही 24 मार्च को अथवा इससे पहले निकाले गये ई-वे बिलों जिनकी समयसीमा 20 मार्च से 15 अप्रैल 2020 के बीच समाप्त हो रही थी उनकी वैधता को भी आगे के लिये बढ़ा दिया गया है। वहीं सीबीआई से ने एक अन्य अधिसूचना में कहा है कि 21 अप्रैल 2020 से लेकर 30 जून 2020 के बीच किसी भी पंजीकृत व्यक्ति को यह अनुमति होगी कि वह धारा 39 के तहत फार्म जीएसटीआर-3बी में रिटर्न भरकर उसका इलेकट्रानिक सत्यापन कोड (ईवीसी) के जरिये सत्यापन कर सकता है। वर्तमान में कारोबारियों को अपनी मासिक जीएसटी रिटर्न भरने और कर का भुगतान करने के लिये जीएसटीआर-3बी फार्म में डिजिटल हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है। बहरहाल लॉकडाउन की वजह से कार्यालयों के बंद होने के कारण कारोबारी डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं जिसकी वजह से रिटर्न दाखिल करने में देरी हो रही है। यह भी एक वजह हो सकती है कि सरकार को अप्रैल माह के जीएसटी प्राप्ति आंकड़े जारी करने का समय आगे टालना पड़ा। आमतौर पर पिछले महीने के जीएसटी संग्रह के आंकड़े नये महीने की शुरुआत में ही जारी कर दिये जाते हैं। लेकिन इस बार अप्रैल 2020 के जीएसटी प्राप्ति के आंकड़े जारी नहीं किये गये।


बिना हाथ लगाए साबुन और पानी उपलब्ध कराने वाला उपकरण बनाया


दुर्गापुर के केंद्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई) ने वायरस संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के लिए 'सपंर्करहित साबुन एवं जल वितरण इकाई' विकसित की है, जोकि कोरोना वायरस महामारी के मद्देजनर काफी उपयोगी साबित हो सकती है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इस प्रणाली में ऐसे सेंसर लगे हैं जोकि किसी वस्तु के करीब आने पर खुद ही सक्रिय हो जाते हैं। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर हरीश हिरानी ने बुधवार को कहा कि इस इकाई में एक ही बिंदु से साबुन और पानी दोनों ही निकलते हैं। साबुन गिरने के करीब 20 सेकेंड के अंतराल के बाद पानी गिरता है। उन्होंने कहा कि साबुन गिरने के बाद 20 सेकंड बाद पानी गिरता है, ऐसे में उपयोगकर्ता को हाथ अच्छे धोने के लिए उपयुक्त समय मिल जाता है। हिरानी ने कहा कि इस इकाई को अस्पताल, मॉल, बैंक और स्टेडियम आदि स्थानों पर लगाया जा सकता है। 


हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोई चमत्कारी दवा नहीं


विश्वभर में विभिन्न देश जहां कोविड-19 के उपचार के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की ओर देख रहे हैं, वहीं कई विशेषज्ञों ने कहा है कि यह कोई चमत्कारी दवा नहीं है और कुछ मामलों में यह घातक सिद्ध हो सकती है। कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए दुनियाभर में वैज्ञानिक तथा डॉक्टर कोई टीका खोजने के प्रयासों में लगे हैं और ऐसे में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन उपचार का एक प्रमुख बिन्दु बनकर उभरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन या एचसीक्यू पर निर्भरता तत्काल बंद होनी चाहिए। उनकी यह बात इस चर्चा को बल देती है कि यह साबित करने का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि एचसीक्यू कोविड-19 के उपाचार में लाभकारी है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक एवं भारत के शीर्ष सर्जनों में से एक एस सी मिश्रा ने कहा, ‘‘यह केवल एक उपाख्यानात्मक सबूत है कि डॉक्टर कोविड-19 के उपचार में प्रयोगवादी पद्धति के रूप में अन्य विषाणु रोधी दवाओं (एचआईवी या अन्य विषाणु संक्रमण में इस्तेमाल होने वाली) के साथ एचसीक्यू का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’ मिश्रा ने कहा, ‘‘हालांकि ऐसी खबरें हैं कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की वजह से कुछ मरीजों में हृदय संबंधी समस्या उत्पन्न होने से अचानक ही हृदय गति रुक सकती है और मौत हो सकती है।’’ एम्स की कोविड-19 टीम के प्रमुख सदस्य युद्धवीर सिंह ने इस बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘‘विश्व में अकेले एचसीक्यू दिए जाने या इसे एजिथ्रोमाइसिन के साथ दिए जाने से भी कुछ मामलों में लोगों की मौत की खबर मिली है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘एचसीक्यू पोटेशियम वाहिकाओं को अवरुद्ध कर देती है और संभवत: दिल की धड़कन को लंबा कर देती है जिसके परिणामस्वरूप अचानक हृदय गति रुक जाने से मौत हो सकती है और अन्य हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह बात प्रमुख अध्ययनों में भी सामने आई है।’’? उन्होंने कहा कि कोविड-19 के उपचार में एचसीक्यू के इस्तेमाल को लेकर विरोधाभासी रिपोर्ट हैं। महामारी के तेज प्रसार के बीच भारत एचसीक्यू का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है और इसने अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात तथा ब्रिटेन को बड़ी मात्रा में इस दवा की खेप भेजी है। भारत में भी कई अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों का उपचार करने में इस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है।


‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ लौटे बोरिस जॉनसन


कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पहली बार देश के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में बुधवार को उपस्थित हुए। जॉनसन की तबीयत खराब हो जाने के कारण उन्हें पिछले महीने अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री से प्रश्न पूछे जाने के सत्र में विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीयर स्टारमर ने जॉनसन से वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सरकार की रणनीति के संबंध में एक सवाल पूछा, जिसका जवाब देते हुए ब्रितानी प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण संबंधी रोजाना होने वाली जांच की संख्या के लक्ष्य को मई के अंत तक दोगुना करके दो लाख किया जाएगा। उन्होंने स्टारमर के प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘हम प्रतिदिन एक लाख नमूनों की जांच कर रहे है। और हमारा लक्ष्य इस माह के अंत तक प्रतिदिन दो लाख लोगों की जांच करना है और इसके बाद इस संख्या को और बढ़ाना है।’’ जॉनसन ने सांसदों से कहा कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में पटरी पर लाने के लिए जांच की संख्या बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने पुष्टि की कि संक्रमण को काबू करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन में ढील देने के संबंध में अगले सोमवार को संसद में बयान जारी किया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि जॉनसन रविवार को टीवी के माध्यम से देश को संबोधित करेंगे, जिसमें वह ब्रिटेन की अर्थव्यस्था को फिर से आगे बढ़ाने के संबंध में ‘‘समग्र योजना’’ की जानकारी देंगे। जॉनसन के 26 मार्च को कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी और उन्हें इसके 10 दिन बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसके अगले ही दिन उन्हें आईसीयू ले जाया गया। उन्हें 12 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी मिली थी।

 

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दाढ़ी कटवाने का कठिन निर्णय किया


कनाडा में रहने वाले दो सिख चिकित्सक भाईयों ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिये अपनी दाढ़ी कटवाने का कठिन निर्णय किया। संक्रमित मरीजों का इलाज करने के लिये मास्क पहनना आवश्यक है और इसी कारण सिख डाक्टरों ने यह निर्णय किया है। दाढ़ी सिख धर्म में आस्था का प्रतीक मानी जाती है। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि मांट्रियल में रहने वाले फिजिशियन संजीत सिंह सलूजा और उनके न्यूरोसर्जन भाई रंजीत सिंह ने धार्मिक सलाहकार, परिवार एवं दोस्तों से संपर्क करने के बाद दाढ़ी कटवाने का निर्णय किया। मैक्गिल युनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर ने बयान जारी कर बताया, 'सिख होने के कारण उनकी दाढ़ी उनकी शिनाख्त का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन इससे उन्हें मास्क पहनने में दिक्कत आती थी। बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने अपनी दाढ़ी कटवाने का कठिन निर्णय किया।' एमयूएचसी में बतौर न्यूरो सर्जन काम कर रहे रंजीत ने कहा, 'हम काम नहीं करने का विकल्प चुन सकते थे, कोविड मरीजों को देखने से मना कर सकते थे लेकिन यह फिजिशियन रूप में ली गयी शपथ एवं सेवा के सिद्धांतों के खिलाफ होता।' उन्होंने एमयूएचसी की वेबसाइट पर पोस्ट एक वीडियो संदेश में यह बात कही है। सलूजा ने कहा, 'यह हमारे लिये बहुत कठिन निर्णय था लेकिन हमने यह महसूस किया कि मौजूदा समय में यह सबसे आवश्यक है।' उनके हवाले से मांट्रियल गजट ने खबर दी, 'इस निर्णय ने मुझे उदास कर दिया। यह कुछ ऐसा था जो मेरी पहचान से जुड़ा था। मैं आईने में स्वयं को बहुत अलग देखता हूं। प्रत्येक सुबह जब मैं सुबह खुद को देखता हूं तो यह मुझे थोड़ा झटका देता है। उन्होंने कहा, 'मुख्य रूप से मैं और मेरे भाई ने ऐसा किया। मेरा भाई चाहता था कि हम चुपचाप ऐसा करें। वह किसी प्रकार का प्रचार नहीं चाहता था।’


-नीरज कुमार दुबे


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