By नीरज कुमार दुबे | Apr 16, 2020
लॉकडाउन के कोरोना वायरस को रोकने का समाधान नहीं होने संबंधी राहुल गांधी के बयान पर निशाना साधते हुए भाजपा ने कांग्रेस से सवाल किया कि अगर यह (लॉकडाउन) समाधान नहीं है तब कांग्रेस शासित राज्यों ने केंद्र की घोषणा से पहले ही बंदी की अवधि क्यों बढ़ायी। भाजपा ने कांग्रेस नेता के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भारत में संक्रमण के संबंध में पर्याप्त जांच नहीं किये जाने का दावा किया । केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि भारत में संक्रमण के स्तर पर जांच की संख्या गंभीर रूप से प्रभावित देशों की तुलना में अधिक है। भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष और विनय सहस्त्रबुद्धे ने राहुल गांधी के बयान पर निशाना साधा, वहीं पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने गांधी के प्रेस वार्ता का वीडियो क्लिप के साथ उनके कुछ शब्दों को लेकर तंज किया। भाजपा नेता विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि सरकार आगे बढ़कर स्थिति का सामना कर रही है और कोविड-19 को परास्त करने का प्रयास कर रही है, दूसरी ओर वह (राहुल गांधी) ऐसे विचारों को रख रहे हैं जो हारी हुई मानसिकता का परिचायक है। भाजपा के संगठन मंत्री बी एल संतोष ने ट्वीट किया कि कांग्रेस शासित कुछ राज्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल से बढ़ाने की घोषणा से पहले ही बंदी को बढ़ा दिया था। संतोष ने कहा, ‘‘राहुल गांधी के अनुसार लॉकडाउन समाधान नहीं है.... तब कांग्रेस और उसके द्वारा समर्थित सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा क्यों की ?’’ गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी वहां गठबंधन सरकार का हिस्सा है और राज्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा से पहले ही 30 अप्रैल तक बंदी को बढ़ा दिया था। पंजाब में भी कांग्रेस सत्ता में है और वहां भी प्रधानमंत्री मोदी के लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा से पहले ही बंदी की अवधि को बढ़ा दिया गया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अधिकांश मुख्यमंत्रियों ने महामारी से मुकाबला करने के लिये लॉकडाउन का समर्थन किया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस संकट का स्थायी समाधान नहीं होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर और रणनीतिक रूप से जांच से ही इस वायरस को पराजित किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से यह आग्रह भी किया कि राज्यों और जिलों को पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए जाएं। राहुल ने कहा, 'लॉकडाउन कोई समाधान नहीं है। यह वायरस को पराजित नहीं करता है। यह सिर्फ कुछ समय के लिए रोकता है। जब हम लॉकडाउन से बाहर आएंगे तो वायरस फिर से जोर पकड़ सकता है। इसलिए इसे पराजित करने का सबसे बड़ा हथियार जांच है।' बहरहाल, बी एल संतोष ने इस पर कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद ने गांधी के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि भारत में पर्याप्त जांच नहीं हुई। उन्होंने कहा कि उसने कहा है कि भारत में जांच का अनुपात 24 : 1 है जो दुनिया में उच्चतम है....इटली, अमेरिका, जापान से अधिक है। वहीं, भाजपा ने अपने ट्विटर हैंडल पर आंकड़ा जारी करते हुए जोर दिया कि भारत गंभीर रूप से प्रभावित देशों की तुलना में कोविड-19 को काफी हद तक रोक सका और प्रति 10 लाख आबादी पर केवल 9 मामले सामने आए और प्रति 10 लाख आबादी पर 0.3 मौत हुई है। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित 12 हजार मामलों को देखें तब भारत में इसके फैलने की रफ्तार गंभीर रूप से प्रभावित देशों की तुलना में काफी कम है।
देश में कोरोना से 420 मौत; संक्रमितों की संख्या 12,759 पहुंची
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बृहस्पतिवार को 420 हो गई और मामलों की संख्या बढ़कर 12,759 तक पहुंच गई। मंत्रालय ने हालांकि, बताया कि कोविड-19 के 10,824 मरीजों का अभी भी इलाज चल रहा है, जबकि 1,514 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है और एक मरीज विदेश चला गया है। संक्रमण के कुल मामलों में 76 विदेशी नागरिक शामिल हैं। मंत्रालय ने अपने अद्यतन आंकड़ों में कहा है कि बुधवार शाम से 28 मौतें हुई हैं। मंत्रालय के अनुसार, इनमें से महाराष्ट्र में नौ, गुजरात में छह, आंध्र प्रदेश में पांच, , दिल्ली और तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में दो-दो मौत हुई है। अब तक कुल 420 मौतों में से, सबसे ज्यादा 187 मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं, इसके बाद मध्य प्रदेश में 53, गुजरात में 36, दिल्ली में 32 पर और तेलंगाना में 18 मौतें हुई हैं। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में 14-14 लोगों के मारे जाने की सूचना है। पंजाब, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में 13-13 मौतें हुई हैं। पश्चिम बंगाल में सात मौतें दर्ज की गई हैं। जम्मू-कश्मीर में चार लोगों की जान चली गई है जबकि केरल, हरियाणा और राजस्थान में तीन-तीन मौतें हुई हैं। झारखंड में दो मौतें हुई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मेघालय, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक मौत हुई है। हालांकि, बुधवार शाम तक विभिन्न राज्यों द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के संकलन के आधार पर तैयार की गई तालिका के मुताबिक, कोविड-19 के कम से कम 12,953 मामले दर्ज किए गए है और 436 मौतें हुई हैं। विभिन्न राज्यों द्वारा घोषित किए गए मौतों की संख्या और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में अंतर रहता है, जो शायद राज्यों के मामलों की संख्या रिपोर्ट करने में प्रक्रियागत देरी के चलते ऐसा होता है। मंत्रालय के सुबह के अपडेट के अनुसार, देश में सबसे अधिक मामलों की संख्या महाराष्ट्र में है, जहां 2,919 मामले हैं, इसके बाद दिल्ली में 1,578 और तमिलनाडु में 1,242 मामले हैं। मध्य प्रदेश में 1,120, राजस्थान में 1,023, गुजरात में 871 और उत्तर प्रदेश में 773 मामले हैं। तेलंगाना में 698 मामले, जबकि आंध्र प्रदेश में 534 और केरल में 388 मामले हैं। कर्नाटक में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 315, जम्मू-कश्मीर में 300 हो गई है। जबकि पश्चिम बंगाल में 271 और हरियाणा में 205 है। पंजाब में अब तक 186 संक्रमण के मामले सामने आए हैं। बिहार में कोरोना वायरस के 74 मामले सामने आए हैं, जबकि ओडिशा में 60 मामले हैं। उत्तराखंड में 37 लोग वायरस से संक्रमित हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में 35 मामले सामने आए हैं। असम और छत्तीसगढ़ में 33-33 मामले सामने आए हैं। झारखंड में 28 मामले, चंडीगढ़ में 21 मामले और लद्दाख में 17 मामले मिले हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 11 मामले सामने आए हैं। मेघालय, गोवा और पुडुचेरी से कोविड-19 के सात-सात मामले सामने आये हैं। मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो मामले हैं, जबकि मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामला सामना आया है। मंत्रालय की वेबसाइट पर यह भी कहा गया कि नगालैंड के एक कोविड-19 मरीज को असम में स्थानांतरित कर दिया गया है।
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प्रवासी मजदूरों, फंसे लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा
केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को प्रवासी मजदूरों और फंसे हुए लोगों की सुरक्षा, आश्रय और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है। महाराष्ट्र और गुजरात में प्रवासी लोगों के प्रदर्शनों के हालिया उदाहरणों के मद्देनजर यह निर्देश काफी अहम है। इसके अलावा, ऐसी खबरें भी हैं कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने राज्यों से कहा है कि जिलाधिकारी नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करें जो प्रवासी मजदूरों की व्यवस्थाओं के समन्वय के लिए जिम्मेदार होंगे। गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को एक ट्वीट में कहा, "प्रत्येक शिविर में एक वरिष्ठ अधिकारी प्रभारी के रूप में तैनात किया जाना चाहिए।"
विदेश में फंसे भारतीयों को निकाल कर लाना संभव नहीं
केन्द्र सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि कोविड-19 लॉकडाउन की मौजूदा परिस्थितियों में विदेश से भारतीयों को निकालकर लाना संभव नहीं है। केन्द्र ने यह जवाब अदालत में दायर एक जनहित याचिका पर दिया है, जिसमें मलेशिया में फंसे लगभग 350 भारतीयों को निकालने की मांग की गई। न्यायमूर्ति आर सुबइया और न्यायमूर्ति आर पोंगियप्पन की विशेष पीठ ने दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिये स्थगित कर दी। केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जी राजगोपालन द्वारा दाखिल जवाब में केन्द्र ने कहा है कि सरकार ने कोविड-19 के मद्देनजर देश में मौजूद नागरिकों की तरह ही विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमा से लगी देश की सीमाओं पर स्थित आव्रजन चौकियों के जरिये सड़क मार्ग से होने वाला यात्रियों का आवागमन बंद है, इसी तरह अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी निलंबित हैं।
परीक्षण कम होने की बात अनुचित
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या, दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में कम होने के लिये, कम परीक्षण किये जाने की दलील को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने आंकड़ों के आधार पर गलत बताया है। आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका, इटली, ब्रिटेन और जापान जैसे देशों की तुलना में कोरोना मरीजों की पहचान के लिये भारत में न सिर्फ ज्यादा परीक्षण हो रहे हैं, बल्कि तार्किक और विवेकपूर्ण तरीके से भारत में परीक्षण किये जा रहे हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा भारत में कम परीक्षण किये जाने के आरोप के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना परीक्षण की नीति को जनसंख्या के आधार पर देखना समझदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे दूसरे नजरिये से समझना होगा।
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इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पूरी दुनिया में कोविड-19 के परीक्षण की प्रक्रिया और मानक पहले से परिभाषित हैं। भारत में इन मानकों के आधार पर ही परीक्षण प्रक्रिया को अपनाया गया है। अग्रवाल ने कहा कि भारत ने सभी नागरिकों का परीक्षण कर संसाधनों को व्यर्थ गंवाने की बजाय संभावित अथवा संदिग्ध मरीजों का ही परीक्षण करने की रणनीति अपनायी है। उन्होंने कहा कि गैरजरूरी परीक्षण करने से बचने के लिये ही पूरे देश को हॉटस्पॉट, संदिग्ध हॉटस्पॉट और ग्रीन जोन में बांट कर संक्रमण रोधी अभियान चलाया गया है और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं।
गृह मंत्रालय का निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने, सामाजिक दूरी कायम करने और पांच या इससे अधिक लोगों के जमा नहीं होने जैसे नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन प्रभावी तरह से लागू किया जा सके। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि यह सुनिश्चित होना चाहिए कि किसी सार्वजनिक स्थल पर पांच या इससे अधिक लोग जमा नहीं हों। उन्होंने कहा लोगों को सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर थूकना नहीं चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि बुजुर्गों, जो लोग स्वस्थ नहीं हैं, उन्हें और छोटे बच्चों के माता-पिता को घर से काम के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यस्थलों पर शरीर का तापमान जांचने के लिए स्क्रीनिंग का और हैंड सैनेटाइजर्स का इस्तेमाल अनिवार्य होना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि लॉकडाउन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शराब, गुटखा और तंबाकू की बिक्री पर पाबंदी रहनी चाहिए।
जूम ऐप का इस्तेमाल नहीं करने को कहा
गृह मंत्रालय ने कहा है कि जूम ऐप सुरक्षित नहीं है और सरकारी अधिकारी आधिकारिक कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करें। गृह मंत्रालय के साइबर समन्वय केंद्र (साइकोर्ड) ने एक परामर्श में यह चेतावनी जारी की है। इससे पहले यह चेतावनी, कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) द्वारा जारी की गई थी। मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा आधिकारिक कार्यों के लिए इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल नहीं किया जाए। कोरोना वायरस महामारी पर काबू के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान घर से काम करने वाले अधिकारियों के लिए जूम एक लोकप्रिय मंच बन गया। मंत्रालय ने कहा कि दस्तावेज़ में सर्ट-इन द्वारा पहले जारी परामर्श का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि ज़ूम एक सुरक्षित मंच नहीं है। यह निर्देश उन लोगों की सुरक्षा के लिए जारी किए गए हैं जो अब भी व्यक्तिगत मकसदों के लिए इस मंच का उपयोग करते हैं।
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विमान टिकट का पूरा पैसा वापस मिलेगा
नागर विमानन मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि जिन यात्रियों ने तीन मई तक यात्रा करने के लिये, लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान विमान टिकट बुक कराये थे, उन्हें एयरलाइनों से इसका पूरा पैसा अवश्य वापस मिलेगा और टिकट रद्द किये जाने का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। दरअसल, कई यात्री सोशल मीडिया पर यह शिकायत कर रहे हैं कि घरेलू एयरलाइनों ने लॉकडाउन के चलते रद्द हो चुकी उड़ानों के लिये किराये की नकद राशि नहीं लौटाने का फैसला किया है और इसके बजाय अगले एक साल के दौरान यात्रा के लिये उतनी ही राशि के ‘वाउचर’ दिये जा रहे हैं। गौरतलब है कि भारत ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू किया था, जिसका दूसरा चरण 15 अप्रैल से तीन मई तक है। सभी घरेलू और अंतराष्ट्रीय यात्री उड़ानें लॉकडाउन की अवधि के दौरान निलंबित कर दी गई हैं।
जमातियों को अस्थायी जेलों में रखने के निर्देश
उत्तर प्रदेश में मुकदमे की जद में आए तबलीगी जमात के लोगों को अस्थायी जेलों में रखने का निर्देश दिया गया है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने संवाददाताओं से कहा, 'तबलीगी जमात के एक—एक व्यक्ति का विवरण लेकर उनके विरुद्ध जहां भी कार्रवाई होनी है, उसका निर्देश दिया गया है।' उन्होंने कहा, 'जिन जमातियों पर मुकदमा दर्ज है, उन्हें अस्थायी जेल में रखने का निर्देश संबंधित जिलाधिकारियों को दिया गया है।' मालूम हो कि दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज प्रकरण के बाद उत्तर प्रदेश सरकार तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की धरपकड़ कर उनकी जांच पर खास ध्यान दे रही है। स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में संक्रमित जमातियों और कथित रूप से उनके सम्पर्क में आने से संक्रमित हुए लोगों की संख्या बताने के लिये अलग कॉलम भी बनाया गया है। अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लॉकडाउन की समीक्षा के दौरान कोरोना संक्रमण को छुपाने वाले लोगों और ऐसे लोगों को पनाह देने वालों के खिलाफ कार्रवाई के साथ—साथ संबंधित थानेदारों के विरुद्ध भी कार्रवाई के आदेश दिये हैं।
जेलों से कई कैदी रिहा किए गए
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से ओडिशा, कर्नाटक और मणिपुर की जेलों से कुल 4,610 कैदियों को पेरोल पर या जमानत पर रिहा कर दिया गया। वहीं तेलंगाना में कैदियों की पेरोल पर रिहाई की प्रक्रिया जारी है। ओडिशा में आज 3,481 विचाराधीन कैदियों और दोषियों को क्रमश: जमानत पर और पेरोल पर रिहा किया गया। भुवनेश्वर में कारागार डीजीपी एस के उपाध्याय ने बताया ‘‘हमने अस्थायी तौर पर आज 3,481 विचाराधीन कैदियों और दोषियों को क्रमश: को जमानत पर और पेरोल पर रिहा किया है। न्यायिक प्रक्रिया के बाद इन लोगों को जाने की इजाजत दी गई।’’ उन्होंने बताया कि कुछ कैदियों को कम भीड़ वाली जेलों में स्थानांतरित किया गया है। उपाध्याय के अनुसार, जिला विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति ने कैदियों के रिकॉर्ड का अध्ययन करने के बाद उन्हें जमानत देने का फैसला किया। उन बंदियों को प्राथमिकता दी गई जिन्हें अधिकतम दस साल की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने बताया गया कि इसी प्रकार पांच साल की सजा काट चुके बंदियों को भी इस अस्थायी राहत के दायरे में लाया गया। उपाध्याय के अनुसार, नए कैदियों को पहले 14 दिन के लिए पृथकवास में रखा जाता है उसके बाद उन्हें कोठरियों में अन्य कैदियों के साथ रहने भेजा जाता है। इसी प्रकार कर्नाटक में आज तक रिहा किए गए कैदियों की संख्या 1,112 है। मणिपुर में 11 कैदी इसी प्रकार रिहा किए गए। इन कैदियों को सजीवा मणिपुर केंद्रीय जेल से रिहा किया गया।
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मुख्यमंत्री ने कोविड-19 को ‘अमीरों का रोग’ कहा
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कोरोना वायरस संक्रमण को ‘अमीरों का रोग’ और एक ‘बड़ी चुनौती’ बताते हुए कहा कि राज्य इस महामारी को फैलने से रोकने में सफल रहा है क्योंकि संक्रमण के प्रतिदिन के मामलों में कमी आ रही है। इस बीच, राज्य में कोविड-19 संक्रमण से एक और व्यक्ति की मौत हो जाने से मृतक संख्या बढ़ कर 15 पहुंच गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन को तीन मई के बाद हटाने की रणनीति तैयार करने के लिये वित्त सचिव एस कृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा कि यह रणनीति चरणबद्ध तरीके वाली हो सकती है। 20 अप्रैल के बाद किन उद्योगों को चलने की इजाजत दी जाए, उस पर चर्चा कर समिति फैसला लेगी।
आबे ने पूरे जापान में आपातकाल लागू किया
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कोरोना वायरस के चलते तोक्यो और अन्य शहरी इलाकों में लागू आपातकाल का दायरा बढ़ाते हुए इसे पूरे देश में लागू कर दिया। इसके साथ ही आबे ने देश की 12 करोड़ आबादी को एक-एक लाख येन (करीब 71 हजार 500 रुपये) नकद देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि आपातकाल का विस्तार करने का उद्देश्य लोगों की आवाजाही को कम करना और 80 प्रतिशत सामाजिक दूरी के लक्ष्य को हासिल करना है। आबे ने सात अप्रैल को सीमित आपाकाल की घोषणा की थी जो तोक्यो और छह अन्य प्रीफेक्चर (जिलों) में लागू थी जहां पर संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा था। उन्होंने इन क्षेत्रों के लोगों से घर में ही रहने का अनुरोध किया था लेकिन बाद में इसका विस्तार पूरे देश में कर दिया।
वायरस पर चीन ने बहुत देर से जानकारी दी
चीन की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने 14 जनवरी को प्रांतीय अधिकारियों को बता दिया था कि नये कोरोना वायरस की वजह से वे महामारी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने छह दिनों तक लोगों को सतर्क नहीं किया। एसोसिएटेड प्रेस को मिले आंतरिक दस्तावेजों में बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने गुप्त रूप से महामारी से निपटने की तैयारियों के आदेश दिए जबकि राष्ट्रीय टेलीविजन पर उन्होंने महामारी के फैलने को तवज्जो नहीं दी। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सातवें दिन 20 जनवरी को लोगों को आगाह किया। पूर्व प्रभावी संक्रमण आंकड़ों के मुताबिक तब तक करीब एक हफ्ते की चुप्पी के कारण तीन हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे।
कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 1,37,500 पहुंची
दुनियाभर में आधिकारिक स्रोतों से एएफपी द्वारा अंतरराष्ट्रीय समयानुसार बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे तक संकलित आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस महामारी से अब तक 1,37,500 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन में दिसंबर में सबसे पहली बार कोरोना वायरस महामारी के सामने आने के बाद से 193 देशों में अब तक संक्रमण के 20,83,820 से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें से कम से कम 4,50,500 रोगी अब तक स्वस्थ हो चुके हैं। एएफपी द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की सूचना और राष्ट्रीय प्राधिकारों से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल करके तैयार की गयी तालिका में संक्रमण के वास्तविक मामलों की संख्या में मामूली अंतर ही दिखाई देता है। कई देश केवल अति गंभीर मामलों में जांच कर रहे हैं। इस समय दुनियाभर में कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित अमेरिका में अब तक संक्रमण के 6,39,664 मामले सामने आए हैं और मृतक संख्या 30,985 पहुंच चुकी है। इस देश में कम से कम 50,107 रोगी स्वस्थ भी हो चुके हैं। अमेरिका के बाद सबसे बुरी तरह प्रभावित इटली है जहां संक्रमण के कुल 1,65,155 मामलों में से 21,645 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन में मामलों की संख्या है।
53 देशों में 3,336 भारतीय संक्रमित
कोरोना वायरस संक्रमण से 53 देशों में कुल 3,336 भारतीय संक्रमित हुए, जबकि इस वैश्विक महामारी में विदेशों में 25 भारतीय नागरिकों की जान चली गई। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में फंसे भारतीयों को संयम रखना होगा क्योंकि सरकार देश में कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के व्यापक नीतिगत फैसले के तहत उन्हें वहां से स्वदेश नहीं ला रही है। उन्होंने कहा कि भारत ने 55 देशों को वाणिज्यिक आधार पर और मदद के रूप में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की आपूर्ति करने का फैसला किया है। विदेशों से मेडिकल उपकरण मंगाने के विषय पर उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण कोरिया और चीन से कोविड-19 जांच किट खरीद रहा है। सूत्रों ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये भारत मेडिकल उपकरण जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया, जापान और फ्रांस से खरीदने पर विचार कर रहा है।
आईपीएल 2020 सत्र अनिश्चितकाल के लिये स्थगित
कोरोना वायरस महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ाये जाने के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने गुरूवार को इंडियन प्रीमियर लीग 2020 सत्र आगामी सूचना तक स्थगित कर दिया जिसकी सूचना फ्रेंचाइजी को कुछ दिन पहले ही दे दी गई थी। आईपीएल 29 मार्च से होना था लेकिन इसे पहले 15 अप्रैल तक स्थगित किया गया था। कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन तीन मई तक बढाये जाने के कारण इसका टलना तय था । पीटीआई ने 14 अप्रैल को ही खबर दी थी कि आठों फ्रेंचाइजी को टूर्नामेंट अनिश्चितकाल तक स्थगित किये जाने की जानकारी दे दी गई है। बोर्ड के सचिव जय शाह ने आज जारी बयान में कहा, ''कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया भर में पैदा हुए स्वास्थ्य संकट और महामारी को रोकने के लिये सरकार द्वारा किये गए लॉकडाउन के कारण बीसीसीआई की आईपीएल संचालन परिषद ने 2020 सत्र आगामी सूचना तक स्थगित करने का फैसला लिया है।’’
अमेरिका में मरने वाले लोगों की संख्या 30,000 पार
अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या बृहस्पतिवार को 30,000 के आंकड़े को पार कर गई। अमेरिका के जॉंस हॉपकिंस विश्वविद्यालय के आंकड़ों में यह बताया गया है। विश्वविद्यालय (ट्रैकर) के मुताबिक देश में कोविड-19 से अब तक 30,990 लोगों की मौत हुई है। इस महामारी से विश्व में सबसे अधिक संख्या में लोगों की मौत अमेरिका में ही हुई है, जिसके बाद इटली का स्थान है जहां 21,645 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, इटली की आबादी अमेरिका की जनसंख्या का महज पांचवां भाग ही है। स्पेन में 19,130 और फ्रांस में 17,167 लोगों की मौत हुई है।
मोदी के संबोधन को रिकॉर्ड 20.3 करोड़ लोगों ने देखा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन-दो को लेकर टीवी पर संबोधन को रिकॉर्ड 20.3 करोड़ लोगों ने देखा। प्रसारण दर्शक अनुसंधान परिषद (बार्क) ने कहा है कि प्रधानमंत्री के संबोधन ने उनके ही पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा है। अपने इस संबोधन में मोदी ने राष्ट्रव्यापी बंद को 19 दिन बढ़ाने की घोषणा की। बाजार अनुसंधान एजेंसी एसी नील्सन ने कहा कि रिकॉर्ड संख्या लोगों ने संपर्क का पता लगाने के आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड किया है लेकिन इनमें से सिर्फ 10 प्रतिशत ही इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कोरोना वायरस महामारी पर देश की जनता को चार बार संबोधित कर चुक हैं। पहली बार उन्होंने‘जनता कर्फ्यू का आह्वान किया। उसके बाद लॉकडाउन की घोषणा और तीसरी बार घरों में मोमबत्तियां और दीये जलाने का आह्वान किया। इससे पहले मोदी ने जब पहली बार 21 दिन के बंद की घोषणा की तो उनके इस संबोधन को रिकॉर्ड 19.3 करोड़ लोगों ने देखा। बार्क के मुख्य कार्यकारी सुनील लुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने मंगलवार को राष्ट्रव्यापी बंद को 19 दिन बढ़ाने की घोषणा की। उनके इस 25 मिनट के संबोधन का प्रसारण 199 प्रसारण कंपनियों ने किया। सभी दर्शकों की संख्या के आधार पर गणना की जाए तो इस प्रसारण को चार अरब मिनट देखा गया। यह भी एक रिकॉर्ड है।
-नीरज कुमार दुबे