By अभिनय आकाश | Oct 17, 2024
महाराष्ट्र के चुनावी समर में 288 सीटों के लिए भिड़ंत 20 नवंबर को होगी। एक तरफ एनडीए गठबंधन जिसे महाराष्ट्र में महायुति के नाम से भी जानते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन वाली महा विकास अघाड़ी है। उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरे नंबर की लोकसभा और विधानसभा सीट महाराष्ट्र से आती हैं। यानी राजनीति के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र है। लेकिन ये चुनाव थोड़ा अलग है। कुछ बाते पहली बार महाराष्ट्र के चुनाव में हो रही है। शिवसेना और एनसीपी के दो फाड़ होने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है। शरद पवार और अजित पवार गुट अलग अलग होकर तो उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की शिवसेना अलग अलग होकर मैदान में उतरेंगी। किसी विधानसभा चुनाव में ये भी पहली बार हो रहा है कि कांग्रेस और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट साथ साथ चुनाव लड़ेंगे। सालों साल महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस अपना 10 वर्षों का सूखा खत्म करने के मिजाज के साथ मैदान में होगी। कांग्रेस आगामी 20 अक्टूबर को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक करेगी। इस बैठक में राज्य के उम्मीदवारों की लिस्ट को फाइनल किया जाएगा।
महाराष्ट्र में भी दिखेगा हरियाणा इफेक्ट?
महाराष्ट्र में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बन गई थी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उसने वापसी की। हालिया आम चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 17 पर चुनाव लड़ा था और 13 सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सिर्फ एक सीट हासिल की थी, लेकिन इस साल 13 सीटें जीत लीं। इससे न सिर्फ कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि उसकी अपने सहयोगियों के साथ बार्गेनिंग पॉवर भी बढ़ी है। अब सवाल ये है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा वाला इफेक्ट दिखेगा या फिर जैसे हरियाणा में हुए चुनाव में न केवल लोकसभा में हुए नुकसान की भरपाई करती बीजेपी नजर आई बल्कि खुद सत्ता की हैट्रिक भी लगाने में कामयाब हो गई।
बदलापुर वाला चुनाव
हरियाणा में कांग्रेस की करारी हार के बाद इंडिया गठबंधन, खासकर काँग्रेस पर बेहतर प्रदर्शन दबाव काफी बढ़ गया है। इंडिया गठबंधन के लिए ये चुनाव इसलिए अहम है, क्योंकि महाराष्ट्र में उसे महाविकास अघाड़ी के नेतृत्व में सरकार बनानी है। ये चुनाव महाविकास अघाड़ी के लिए बड़ा अहम है। दरअसल, जिस तरह से उद्धव ठाकरे नीत अघाड़ी सरकार गिरी थी, उसे देखते हुए आरोप लगाया गया था कि बीजेपी ने शिवसेना में टूट कराकर वहां सरकार बना ली। अपनी पार्टी में टूट के बाद उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद बीजेपी ने एकनाथ शिंदे की अगुआई में वहाँ महायुति की सरकार बना ली। शिवसेना के बाद शरद पवार की एनसीपी में भी टूट देखी गई। अघाड़ी इसे मोदी सरकार नीत केंद्र सरकार द्वारा गैर बीजेपी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश के तौर देखती रही है। इस चुनाव के जरिए विपक्षी गठबंधन अपनी उस हार और सरकार गिराने का बदला लेना चाहेगा, जिसे वह विश्वासघात के तौर पर देखती आई है।
क्या होगी कांग्रेस की आगे की रणनीति
कांग्रेस की रणनीति अब खुद को मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित करने की होगी। एमवीए में अब तक एनसीपी मुख्य विपक्ष की भूमिका में थी। एनसीपी और शिवसेना की ताकत आधे से भी अधिक कम हो गई है। महाराष्ट्र की सियासी आपदा में कांग्रेस के लिए अवसर तो है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है अंतर्कलह और नेतृत्व का अभाव। कांग्रेस के पास महाराष्ट्र में अशोक चह्वाण जैसे कद्दावर नेता तो हैं लेकिन शरद पवार और उद्धव ठाकरे के कद के सामने ये कहीं नहीं ठहरते। कांग्रेस को महाराष्ट्र में मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।
एमवीए ने आम चुनाव में 151 सीटों पर हासिल की थी लीड
लोकसभा 2024 के परिणामों पर नजर डालें तो महाविकास अघाड़ी ने 288 विधानसभा सीटों में 151 सीटों पर बढ़त बनाई थी। यानी ये बहुमत के 145 आंकड़े से ऊपर जाता दिखा था। वहीं महायुति 127 सीटों पर बढ़त बनाई थी, वहीं अन्य के खाते में 10 गए थे। इसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 83 सीटों पर बड़त बनाई वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही जिसने 63 सीटों पर लीड हासिल की। उद्धव गुट ने 56 तो एकनाथ शिंदे गुट 38 पर बढ़त बनाता दिखा। शरद पवार की एनसीपी और अजित पवार की एनसीपी क्रमश: 32 और 6 सीटों पर लीड में रहे।