By नीरज कुमार दुबे | Dec 17, 2024
अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार बुरी तरह फंसती नजर आ रही है। हम आपको बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर उनसे लंबित 14 सीएजी (कैग) रिपोर्ट सदन के समक्ष पेश करने के लिए निवर्तमान विधानसभा की तत्काल विशेष बैठक आहूत करने के लिए कहा है। राज निवास की ओर से जारी एक नोट में कहा गया है उपराज्यपाल ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 की धारा 48 के अनुसरण में दिल्ली विधानसभा के समक्ष सभी रिपोर्ट को पेश करने के लिए अपनी औपचारिक सहमति दे दी है। उपराज्यपाल ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट शासन में पारदर्शिता की कसौटी है और उन्हें शीघ्रता से विधानमंडल के समक्ष रखना सरकार का संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा, ‘‘कैग रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष शीघ्रता से प्रस्तुत न करके सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में विफल रही है।’’ हम आपको बता दें कि यह सभी रिपोर्ट उस समय की हैं जब आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे।
नोट में दावा किया गया है कि सक्सेना ने इस बात पर जोर दिया है कि संवैधानिक दायित्व का पालन सुनिश्चित करने के लिए समय गंवाये बिना सत्र आहूत किया जाना चाहिए, क्योंकि विधानसभा का अभी तक सत्रावसान नहीं किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस साल 22 फरवरी और 29 नवंबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री को उपराज्यपाल द्वारा सूचित किए जाने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया। नोट में कहा गया है, ‘‘दिल्ली में शराब के विनियमन और आपूर्ति पर निष्पादन लेखापरीक्षा”, “दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन पर निष्पादन लेखापरीक्षा”, “सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन”, “दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कामकाज पर निष्पादन लेखापरीक्षा रिपोर्ट” सहित ये रिपोर्ट लगभग डेढ़ साल से लंबित हैं।''
इस बीच, दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि हम विधानसभा अध्यक्ष से मांग करते हैं कि आगामी शनिवार 21 दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलायें और दिल्ली सरकार को वहां सी.ए.जी. की सभी 14 रिपोर्ट रखने का निर्देश दें। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि यह अजीब विडम्बना है की जिस अरविंद केजरीवाल ने 2011-12 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के विरूद्ध अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत सी.ए.जी. रिपोर्टों को सार्वजनिक कर उन पर कार्रवाई एवं पावर डिस्कॉम की भागीदार निजी कम्पनियों के खातों की जांच मांग से की थी उन्ही अरविंद की सरकार आज दो साल से अधिक से सी.ए.जी. की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने से बच रही है। साथ ही अब केजरीवाल दल की सरकार पावर डिस्कॉम के निजी पार्टनरों के बचाव में भी सक्रिय है।
अरविंद केजरीवाल ने ना सिर्फ
कामनवेल्थ खेलों के व्यय पर आई सी.ए.जी. रिपोर्ट को उठा कर राजनीतिक यात्रा शुरू की थी पर 6 फरवरी 2014 को मुख्य मंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने एक सी.ए.जी. रिपोर्ट के आधार पर अपनी पूर्ववर्ती शीला दीक्षित ए.सी.बी. जांच के आदेश भी दिये थे। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया की सी.ए.जी. एक स्वतंत्र संस्था है जिसका काम है हर सार्वजनिक व्यय एवं कार्य की समीक्षा करना और सी.ए.जी. की रिपोर्ट हर सरकार को जवाबदेह बनाती है और न्यायालय में स्वीकार्य होती है।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा था कि यह अजीब विडम्बना है की 2017-18 से 2021-22 के बीच सी.ए.जी. ने अरविंद केजरीवाल सरकार के दौरान शराब पर एक्साइज ड्यूटी, प्रदूषण एवं अन्य वित्तीय मुद्दों पर हुई गड़बड़ियों को लेकर 14 प्रमुख रिपोर्टें आई पर केजरीवाल सरकार उन्हे आज तक दबा कर बैठी है।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था ऐसी है कि सरकारी व्यय का ऑडिट करने वाली सर्वशक्तिमान संस्था सी.ए.जी. अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपती है और राज्य सरकार उपराज्यपाल से प्रशासनिक धारा 48 के तहत अनुमति लेकर विधानसभा सत्र में रखती है पर अरविंद केजरीवाल तो जानते ही थे की यदि यह रिपोर्ट सार्वजनिक होंगी तो उन्ही की सरकार पर अनेक आर्थिक घोटालों के मुकदमे बनेंगे तो वह एक के बाद एक आई लगभग 14 प्रमुख रिपोर्टों को लेकर दबाते रहे। उन्होंने कहा कि यहां यह याद रखना जरूरी है कि इन रिपोर्टों के दबाये जाने के लिए यूं तो पहले पूरा अरविंद केजरीवाल मंत्रिमंडल और अब आतिशी मार्लेना मंत्रीमंडल दोषी हैं पर विशेष यह है कि केजरीवाल सरकार में वित्त मंत्री होने के नाते आतिशी मार्लेना एवं मनीष सिसोदिया मुख्य मंत्री के विशेष भागीदार रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह पहले अरविंद केजरीवाल ने रिपोर्टों को दबाया उसी तरह अब आतिशी मार्लेना भी दबा रही है।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि भाजपा विधायक दल लगातार दो वर्ष इन रिपोर्टों को विधानसभा के पटल पर रखने की बार बार मांग करता रहा पर जब अरविंद केजरीवाल के कान पर जूं नही रेंगी तब दिल्ली भाजपा के निर्देश पर विधायक दल के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता एवं अन्य 6 विधायकों- अजय महावर, ओमप्रकाश शर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, अभय वर्मा, जितेन्द्र महाजन एवं अनिल बाजपेयी ने सी.ए.जी. रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखकर सार्वजनिक करने की मांग को लेकर माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका 29 अक्टूबर 2024 को दायर की थी। जिस पर माननीय न्यायालय ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा पर सरकार ने यह कर कि रिपोर्ट उपराज्यपाल महोदय के पास है और वह सक्षम अधिकारी हैं, माननीय न्यायालय को भी भ्रमित कर लम्बा स्थगन लेने का प्रयास किया पर दिल्ली वालों के सौभाग्यवश सी.ए.जी. ने भी अपना हलफनामा माननीय न्यायालय में रख दिया जिससे सिथती पूरी तरह साफ हो गई।
वीरेन्द्र सचदेवा ने बताया कि सी.ए.जी. के हलफनामे ने साफ कर दिया की उसने दिल्ली सरकार को हस्ताक्षरित पूरी रिपोर्ट भेजी जिसकी बिना हस्ताक्षर की कापी सील लिफाफे में उपराज्यपाल को भेजी जो केवल सूचनात्मक थी। इस दौरान क्योंकि दिल्ली विधानसभा का सत्र चल रहा था तो भाजपा विधायकों ने जल्दी सुनवाई की अर्जी माननीय न्यायालय में लगाई और अंततः कार्रवाई आगे बढ़ी। सी.ए.जी. के हलफनामे के बाद अरविंद केजरीवाल के रिमोट से चलने वाली दिल्ली की सुश्री आतिशी मार्लेना सरकार को माननीय न्यायालय में सवीकारना पड़ा की उसे ही उपराज्यपाल को रिपोर्ट भेजकर विधानसभा में रखने की अनुमति लेनी है और उसने अब यह कर दिया है। उन्होंने कहा कि मार्लेना सरकार फिर भी मामले को टालती रही और सदन के अंतिम सत्र को 4 दिसम्बर को खत्म होने दिया पर सी.ए.जी. रिपोर्ट सदन में नही रखा, जिसके बाद भाजपा विधायक दल ने पुनः माननीय न्यायालय से निर्देश की मांग की।