मुंबई। एस्सार समूह ने अपनी गुजरात स्थित रिफाइनरी रूस की रोसनेफ्ट को बेचने की आखिरी बाधा भी दूर कर ली है। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) समेत अन्य ऋणदाताओं ने उसे इस सौदे के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। एस्सार समूह के सूत्रों ने बताया कि देश के संभावित इस सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 86,000 करोड़ रुपये का सौदा होगा। कंपनी को उम्मीद है कि यह सौदा अगले महीने की शुरुआत में पूरा हो जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि एलआईसी समेत 23 ऋणदाताओं ने इसके लिए अनुमति दे दी है, के जवाब में एक अधिकारी ने सकारात्मक उत्तर दिया। उल्लेखनीय है कि कंपनी पर एलआईसी का करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज है और उसकी ओर से अनुमति मिलना एक बड़ी बाधा को पार करने के बराबर है। पिछले साल गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में 15 अक्तूबर को इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे।
कंपनी के सूत्रों ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के नेतृत्व वाले 23 ऋणदाताओं के संयुक्त समूह ने इसे मंजूरी दे दी और रोसनेफ्ट को हिस्सेदारी बेचने के लिए एस्सार ऑयल के शेयरों को जारी करने के लिए अधिकृत किया है। यह भी जानने योग्य है कि गुरुवार को रोसनेफ्ट के मुख्य कार्यकारी आइगॉर सेचिन ने कंपनी की आम वार्षिक बैठक में कहा था कि 'अब इस सौदे को पूर्ण हुआ माना जा सकता है।' एस्सार ऑयल गुजरात के वाडीनार में 2 करोड़ टन सालाना क्षमता वाली रिफाइनरी का संचालन करती है। सौदे में इस रिफाइनरी के साथ कंपनी के 3,500 पेट्रोल पंपों की बिक्री भी शामिल है। गौरतलब है कि वाडीनार रिफाइनरी देश के कुल रिफाइनरी उत्पादन का नौ प्रतिशत उत्पादित करती है।