जानें डबल निमोनिया के बारे में, जिसने ली पोप फ्रांसिस की 88 वर्ष की आयु में जान

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By रितिका कमठान | Apr 21, 2025

जानें डबल निमोनिया के बारे में, जिसने ली पोप फ्रांसिस की 88 वर्ष की आयु में जान

ईसाई समुदाय के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें डबल निमोनिया और जटिल फेफड़ों के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वो कई सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती थे। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा था। उन्हें लगातार खून भी चढ़ रहा था। इसी बीच उनका निधन हो गया जिसे लेकर वेटिकन द्वारा जारी एक बयान में कार्डिनल केविन फैरेल ने उनकी मृत्यु की घोषणा की। 

 

इस बयान के अनुसार, "प्रिय भाइयो और बहनों, गहरे दुःख के साथ मुझे हमारे पवित्र पिता फ्रांसिस के निधन की घोषणा करनी पड़ रही है। "आज सुबह 7.35 बजे रोम के बिशप फ्रांसिस फादर के घर लौट आये। उनका पूरा जीवन प्रभु और उनकी कलीसिया की सेवा के लिए समर्पित था।

 

"उन्होंने हमें सुसमाचार के मूल्यों को निष्ठा, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ जीना सिखाया, विशेष रूप से सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के पक्ष में।" "प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में उनके उदाहरण के लिए असीम कृतज्ञता के साथ, हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को एक और त्रिएक ईश्वर के असीम दयालु प्रेम को समर्पित करते हैं।"

 

यह जानकारी पोप की अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ बैठक के बाद आई है। दोनों की मुलाकात वेटिकन सिटी के कासा सांता मार्टा स्थित पोप के निवास में हुई थी। जानकारी के मुताबिक 88 वर्षीय कैथोलिक नेता को लम्बे समय से श्वसन संबंधी बीमारी थी। निमोनिया का यह दौर एक गंभीर फेफड़ों का संक्रमण है जो बेहद "जटिल" है। 

 

डबल निमोनिया के बारे में जानें

गौरतलब है कि निमोनिया एक गंभीर संक्रमण है जो फेफड़ों में तरल पदार्थ या मवाद भर देता है। इस बीमारी में मरीज के लिए सांस लेना काफी मुश्किल हो जाता है। लोगों को सीने में दर्द, हरे रंग का बलगम खांसी और बुखार भी हो सकता है। हालांकि "डबल निमोनिया" कोई आधिकारिक चिकित्सा शब्द नहीं है। हो सकता है कि इसका इस्तेमाल पोप फ्रांसिस की स्थिति के दो अलग-अलग पहलुओं का वर्णन करने के लिए किया जा रहा हो।

 

जानकारी के मुताबिक पोप फ्रांसिस को दोनों फेफड़ों में निमोनिया हुआ था। इसे "द्विपक्षीय निमोनिया" के रूप में जाना जाता है। दोनों फेफड़ों में संक्रमण का मतलब यह नहीं है कि यह हर स्थिति में अधिक गंभीर होता है मगर फेंफड़े के कौन से हिस्से में ये प्रभावित है, इसका असर होता है। जब फेफड़े का केवल एक भाग या एक फेफड़ा प्रभावित होता है, तो व्यक्ति दूसरे फेफड़े का उपयोग करके सांस लेना जारी रख सकता है, जबकि उसका शरीर संक्रमण से लड़ता रहता है। हालाँकि, जब दोनों फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं, तो व्यक्ति को बहुत कम ऑक्सीजन मिलती है।

 

वेटिकन से मिली जानकारी के मुताबिक पोप फ्रांसिस के फेफड़ों को प्रभावित करने वाला संक्रमण “पॉलीमाइक्रोबियल” है। यानी कि संक्रमण एक से अधिक प्रकार के सूक्ष्मजीवों के कारण हो रहा है। इसका कारण दो विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस और कवक का कोई भी संयोजन हो सकता है। संक्रमण का प्रभावी उपचार करने के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि इसका कारण क्या है।

 

इसका निदान कैसे किया जाता है?

आमतौर पर, जब कोई व्यक्ति संदिग्ध निमोनिया के साथ आता है तो अस्पताल उसके फेफड़ों से थूक या स्वाब का नमूना लेता है। उन्हें अक्सर एक्स-रे भी करवाना पड़ता है, जिससे यह पता चल सके कि फेफड़े का कौन सा हिस्सा प्रभावित है। स्वस्थ फेफड़े एक्स-रे पर “खाली” दिखते हैं, क्योंकि उनमें हवा भरी होती है। लेकिन निमोनिया में फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है। इसका मतलब यह है कि यह देखना बहुत आसान है कि निमोनिया उन्हें कहां प्रभावित कर रहा है, क्योंकि संक्रमण स्कैन पर ठोस सफेद द्रव्यमान के रूप में दिखाई देता है।

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