मलेरिया एक मच्छर जनित गंभीर बीमारी है। यह प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है। इस रोग से हर साल विश्व भर में करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें से लाखों लोगों की इस रोग से मृत्यु तक हो जाती है। इस जानलेवा बीमारी की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए ही मलेरिया दिवस को मनाया जाता है। हमारे देश में हर साल मलेरिया से करीब 20 लाख लोग प्रभावित होते हैं जिनमें से प्रत्येक वर्ष एक हजार लोगों की मौत मलेरिया के कारण हो जाती है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड एवं ओडिशा राज्य सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित राज्यों में शामिल हैं। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को यदि सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता न मिले तो यह जानलेवा सिद्ध होती है। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो हजारों वर्षों से मनुष्य को अपना शिकार बनाती आई है। पिछले दो दशकों में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास और मलेरिया के उन्मूलन के लिए चलाए गए वैश्विक कार्यक्रमों के बावजूद इस जानलेवा बीमारी के आंकड़ों में कमी तो आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सका है।
विश्व मलेरिया दिवस हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन इस बात के लिए भी पहचाना जाता है कि मलेरिया के नियंत्रण हेतु किस प्रकार के वैश्विक प्रयास किए जा रहे हैं। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गंवा देते हैं। कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलते हैं। पूरे विश्व की 3.3 अरब जनसंख्या में लगभग 106 देश हैं जिनमें मलेरिया का खतरा है। मौसम परिवर्तन होता है तो मच्छरों की संख्या भी बढ़ती है और उसी के साथ मलेरिया के शिकार होने की संभावना भी। ऐसे में मलेरिया की दस्तक घर−घर तक पहुँच जाती है। जरा−सी असावधानी इस रोग को पनपने की मुख्य वजह बनती है। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है। इसमें बुखार ठंड (कंपकपी) के साथ आता है। इस बुखार के मुख्य लक्षण हैं− सरदर्द, उलटी और अचानक तेज सर्दी लगना। मलेरिया मुख्यतः संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा काटने पर ही होता है। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है। संक्रमित मच्छर के काटने के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं। मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर रोगी के रक्त के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूस लेते हैं व 12−14 दिनों में ये मादा एनाफिलीज मच्छर भी संक्रमित होकर जितने भी स्वस्थ मनुष्यों को काटते हैं, उनमें मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं। इस तरह एक मादा मच्छर कई स्वस्थ लोगों को भी मलेरिया ग्रसित कर देता है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने विश्व मलेरिया दिवस पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार हर साल लगभग 8.5 लाख लोग मच्छर की मार से मारे जाते हैं। मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएँ छिड़कवाना। मलेरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचा जाए। मच्छरों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए। जहाँ तक हो पूरी बाँह के कपड़ों का प्रयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। बंद कमरे में जितना हो सके क्वॉइल का प्रयोग न करें। घर में पानी को जमा न होने दें। अगर आसपास पानी जमा है तो उसमें ऑइल डाल दें जिससे मच्छर नहीं पनपेंगे। थोड़ा भी बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। मलेरिया होने पर संतुलित और पौष्टिक भोजन की अत्यन्त आवश्यकता होती है। मरीज के खाने पीने में तनिक भी असावधानी नहीं होनी चाहएि। मरीज को हल्का खाना खाने को दें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसका भोजन ज्यादा भारी न हो।
मलेरिया के मरीज को आप खिचड़ी, दलिया, सूजी, चपाती, दाल, सूप, पनीर, हरी, पीली सब्जियाँ, फल आदि खाने को दें। इससे पाचन ठीक रहता है और ऊर्जा भी मिलती है। जिस समय ठंड से बुखार तीव्रता की ओर बढ़ता है उस समय मलेरिया के रोगी को भोजन नहीं देना चाहिए। इलाज के साथ साथ मलेरिया के मरीज के खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। इसलिए समय पर दवा खिलाएं। सबसे पहले तो मलेरिया के मरीज के शरीर में पानी की कमी न होने दें। इस साल मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है। बारिश भी खूब होगी। ऐसे में नालों, नालियों और गड्ढों में पानी भी जमा होगा। इन्हीं गंदे पानी में मलेरिया के मच्छर पैदा होते हैं। ये मच्छर न सिर्फ बीमारी फैलाते हैं बल्कि बीमारियाँ महामारी का भी रूप ले लेती हैं। इसलिए अपने घरों के आस पास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि इनमें ज्यादा मच्छर पैदा होते हैं। मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। सच तो यह है कि मलेरिया से बचने के लिए जागरूकता जरूरी है। बचाव ही बचने का कारगर उपाय है।
बाल मुकुन्द ओझा