नेता, अभिनेता, दोस्त या दुश्मन (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | May 31, 2024

चुनाव के दौरान पक्ष और विपक्ष आपसी तारीफ की सुंदर बानगियां पेश करते रहते हैं। पूर्व शासक कहते हैं, इनका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। कितनी आसानी से कह दिया, मानसिक संतुलन बिगड़ना चाय में चीनी की जगह नमक डालना जैसे हुआ। प्रतिशोध की राजनीति करते हैं, यह काफी सही लगा। शासक मंत्री कहेंगे, सार्वजनिक छवि को धूमिल करने का प्रयास। छवि न होकर सफ़ेद कमीज़ हो गई वैसे सबको सबके बारे में पता होता है। विपक्ष का ब्यान छ्पेगा, प्रदेश में सरकार नाम की चीज़ नहीं। सचमुच अब सरकार भी एक स्वादिष्ट चीज़ होने लगी है। 


देखने में आया है जिनकी सरकार होती है, उनका सर ऊंचा होता है और महंगी कार भी उन्हीं के पास होती है। विपक्ष कहेगा पढ़ाई पर राजनीति करते हैं। सुनकर ऐसा लगा कि इन्होंने राजनीति शास्त्र पढ़ा नहीं, पता नहीं पढ़े लिखे भी या नहीं। पुरानी बड़े आकार की तोप में प्रयोग किए जाने वाले गोले सा ब्यान दागेंगे, ताक़तवर नेता हूं विपक्षी पार्टी डरती है। सही कहा, जिसके पास ताक़त होती है वह सभी को डरा सकता है। अंग्रेज़ी की पुरानी, दो शब्द की बड़ी कहावत है, ‘पावर क्रप्टस’। 

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नैतिकता को बेचारी समझकर विपक्ष बोलेगा, इनको नैतिक आधार पर पद पर बने रहने का अधिकार नहीं। शासक वर्ग के मंत्री कहेंगे, विपक्षियों से बिना पावर के रहा नहीं जाता। विपक्ष कहेगा, सरकार चलाना इनके बस का नहीं। सरकार चलती नहीं बल्कि भागती फिरती है। उसे रोकना पड़ता है कि इधर मत जाओ, उधर जाओ। यह मत करना। मज़ेदार लगता है जब कुछ दिन बाद फिर दोनों पक्ष और विपक्ष एक दूसरे के नेताओं का कामचलाऊ, घटिया सा पुतला फूँकते हैं। ब्यान देंगे, जनता बहकावे में नहीं आएगी, सब जानती है। मासूम जनता ही तो बहकावे में आ जाती है। 


सत्ता में लौटते ही विजिलेंस जांच करवाएंगे। सब जानते हैं ऐसा करना साख बनाने के लिए ज़रूरी है। बंद करवा देंगे। सत्ता कुछ भी बंद कर सकती है। शासक दल के महान नेता का ब्यान आएगा, विपक्ष बौखलाहट में ब्यान दे रहा है। शासक भूल जाता है जब वो शासित होगा, ऐसा ही ब्यान देगा। पार्टी मंत्री के साथ चट्टान की तरह खड़ी है। विजयी होकर निकलेंगे। इतिहास गवाह है ऐसे लोग हमेशा विजयी होकर निकलते भी हैं और बेचारी जनता हार जाती है। 


फिर अच्छे दिन आते हैं, माननीय गवर्नर बुलाते हैं। सभी सम्मान के साथ, बहुत बढ़िया सोफे पर बैठ कर, बढ़िया चाय, समझदारी भरी बातें, नए दिलचस्प मज़ाक और असली लग रही मुस्कुराहटें पीते हैं। जन्म के दिन फोन पर बधाई देते हैं। यह लोग क्या हैं, दोस्त, दुश्मन, राजनैतिक बैरी, जुमलेबाज, डायलागबाज़, नेता या शानदार अभिनेता। अगली बार शासक दल को अगर विपक्ष में बैठना पड़ा तो ब्यानों की अदला बदली हो जाएगी। यही तो लोकतंत्र है यानी लोक को चलाने का तंत्र।


- संतोष उत्सुक 

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