By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 15, 2022
नयी दिल्ली। विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर संबंधित राज्यों में फास्ट ट्रैक अदालतों और विशेष अदालतों के गठन की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया है ताकि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ जघन्य अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई की जा सके। अपने पत्र में रीजीजू ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने 1800 फास्ट ट्रैक अदालतों (एफटीसी) के गठन की सिफारिश की थी, जबकि 31 जुलाई तक उनमें से 896 अदालतों में ही कामकाज शुरू हो सका था तथा 13.18 लाख मामले इन अदालतों में लंबित थे।
उन्होंने कहा है कि दुष्कर्म के मामलों और बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम से संबंधित मुकदमों की सुनवाई के लिए केंद्र-प्रायोजित योजना के तहत गठित फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) के मामले में 1023 अदालतों के गठन को मंजूरी मिली थी, लेकिन 31 जुलाई तक के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 28 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में इनमें से 731 अदालतों में ही कामकाज हो रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि एफटीएससी में 3.28 लाख से अधिक मामले लंबित हैं, जो ‘‘एक खतरनाक स्थिति है।’’ विधि मंत्रालय द्वारा एफटीसी और एफटीएससी की व्यापक समीक्षा के बाद उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को कानून मंत्री की ओर से भेजा गया है। केंद्रीय मंत्री ने दो सितम्बर को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘लंबित मामलों की बड़ी संख्या के मद्देनजर राज्य सरकार से विचार विमर्श के बाद आपके क्षेत्र में बची हुई फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एफटीएससी की केंद्र-प्रायोजित योजना के अंतर्गत बची हुई फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों का प्राथमिकता के आधार पर गठन किया जा सकता है और उसमें सुनवाई शुरू की जा सकती है।’’ कानून मंत्री ने मुख्य न्यायाधीशों से अपील की कि वे मामलों के त्वरित निपटारे और बैकलॉग की स्थिति न बनने देने के लिए संबंधित अदालतों को निर्देश दें।