By रितिका कमठान | Aug 21, 2023
सावन का महीना इस वर्ष 59 दिनों का है। सावन के महीने में इस वर्ष अधिक मास होने के कार दो नहीं बल्कि कुल चार प्रदोष व्रत का संयोग भी बना है। इस बार सावन का अंतिम प्रदोष व्रत सोमवार 28 अगस्त को पड़ने वाला है। अंतिम प्रदोष व्रत क्योंकि सोमवार को पड़ रहा है इसलिए इसको सोम प्रदोष कहा जाएगा।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस दिन व्रत करने की भी अधिक महिमा बताई गई है। सावन के प्रदोष व्रत को करने से विशेष फल भक्तों को मिलता है। माना जाता है कि भगवान शिव को प्रदोष तिथि बेहद प्रिय है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रदोष व्रत करना चाहिए। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते है। इसलिए इस व्रत का प्रभाव काफी अधिक है। पुराणों और धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत को करने से भक्तों को मनोवांछित फल मिलता है। ये व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
सावन सोम प्रदोष व्रत की तिथि
सावन के महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 28 अगस्त को पड़ने जा रहा है। इस दिन ही सावन का सोमवार भी है, जो कि इस सावन का अंतिम और आठवां सोमवार होने वाला है। सावन के सोमवार के शुभ अवसर पर प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने का भी खास विधान है।
माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष होता है उन्हें प्रदोष व्रत करना चाहिए। वहीं तनाव से मुक्ति पाने के लिए भी प्रदोष व्रत का काफी महत्व बताया गया है। माना जाता है कि सोम प्रदोष के दिन खुद भगवान शिव शिवलिंग में वास करते है। ऐसे में शिवलिंग का इस दिन जलाभिषेक जरुर करना चाहिए। जो भक्त सावन के प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं उनपर भोलेनाथ अपनी कृपा बरसाते है।
ये है प्रदोष व्रत का मुहूर्त
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। इस बार ये तिथि 28 अगस्त की शाम 6.22 बजे शुरू होगी जो 29 अगस्त दोपहर 2.47 बजे समाप्त होगी। इस दौरान पूजा का मुहूर्त शाम 06.48 बजे से रात 9.02 बजे तक रहने वाला है।
ऐसे करें व्रत
सोम प्रदोष व्रत करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। सावन के महीने में प्रदोष व्रत करने के लिए सुबह स्नान करें। इसके बाद फलाहार करने का संकल्प लेना चाहिए। प्रदोष व्रत के दिन सुबह भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन दोपहर में नहीं सोना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद भक्तों को स्नान करना चाहिए। भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। भगवान को बेलपत्र, धतूरा, फूल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए। इसके बाद नैवेद्य में जो का सत्तू, घी और शक्कर का भोग लगाएं। आठों दिशाओं में आठ दीपक रखने चाहिए। इसके पश्चात प्रदोष व्रत की कथा सुननी चाहिए। अंत में आरती कर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
ये है सोम प्रदोष का महत्व
हिंदू धर्म में सोम प्रदोष का काफी महत्व बताया गया है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने और उन्हें खुश करने के लिए सोम प्रदोष का दिन बेहद अहम होता है। सावन के महीने में ये व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है, जिससे व्रत करने वाले को हर काम में सिद्धि मिलती है। व्यक्ति जो भी काम करता है उसमें सफल होता है।