By अंकित सिंह | Mar 06, 2025
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता भैयाजी जोशी ने गुरुवार को अपने बयान पर मचे सियासी घमासान पर बात करते हुए कहा कि उनके एक बयान की वजह से गलतफहमी हो गई है। जोशी ने पहले एक टिप्पणी में कहा था कि मुंबई आने वाले हर व्यक्ति को मराठी नहीं सीखनी चाहिए, जिससे चल रहे भाषा विवाद के बीच राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। हालांकि, अब उन्होंने कहा कि मेरे एक बयान की वजह से गलतफहमी हो गई है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुंबई की भाषा मराठी नहीं है। महाराष्ट्र की भाषा मराठी है। मुंबई महाराष्ट्र में है और स्वाभाविक रूप से मुंबई की भाषा मराठी है।
आरएसएस नेता ने कहा कि भारत में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। मुंबई में भी अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं। तो ये स्वाभाविक अपेक्षा है कि वे भी यहां आएं और मराठी सीखें, मराठी समझें, मराठी पढ़ें। मुझे लगता है कि यह सह-अस्तित्व का एक बड़ा उदाहरण है कि भारत में इतनी सारी भाषाएँ बोलने वाले लोग एक साथ रहते हैं। मुझे लगता है कि मुंबई भी इसका एक आदर्श उदाहरण है। लेकिन एक स्वाभाविक अपेक्षा है कि मुंबई आने वाला व्यक्ति मराठी समझे, मराठी बोले, मराठी सीखे, मराठी पढ़े।
उन्होंने कहा कि यही एकमात्र अपेक्षा है। मुझे इससे अधिक कुछ नहीं कहना है। मेरी मातृभाषा मराठी है। लेकिन मैं सभी भाषाओं के अस्तित्व का भी सम्मान करता हूं। मैं सभी से इसे एक ही नजरिए से देखने का अनुरोध करता हूं। आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के बयान पर शिव सेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि भैयाजी जोशी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने गुरुवार को इस बात पर जोर दिया कि मराठी मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है और जो कोई भी यहां रहता है उसे इसे सीखना और बोलना चाहिए।
विधानसभा में जब जाधव ने इस पर सरकार से जवाब मांगा तो फड़णवीस ने कहा, ''मैंने नहीं सुना कि भैयाजी ने क्या कहा, लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी है।'' उन्होंने कहा, "हर किसी को मराठी सीखनी चाहिए और भाषा बोलनी चाहिए।" सीएम ने कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं का भी सम्मान करती है। फडणवीस ने कहा, "यदि आप अपनी भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, तो आप अन्य भाषाओं के साथ भी ऐसा ही करते हैं। मुझे यकीन है कि भैयाजी मुझसे सहमत होंगे।"