By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 26, 2022
पटना| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बिहार में जातीय जनगणना, राज्यसभा चुनाव को लेकर बढ़ रहे राजनीतिक तापमान के बीच बुधवार को अपने गृह राज्य बिहार लौटे। वह अपनी सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती के साथ पटना पहुंचे। लालू प्रसाद यादव मीसा के दिल्ली स्थित आवास पर चारा घोटाला मामलों में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने जमानत पर रिहा किए जाने के बाद से रह रहे थे।
चेहरे को ढके हुए व्हीलचेयर पर उदास दिख रहे अपने तेजतर्रार नेता का स्वागत करने के लिए पटना हवाई अड्डे पर राजद समर्थकों की भारी भीड़ मौजूद थी। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू बिना पत्रकारों से कोई बात किए कार में सवार होकर पत्नी राबड़ी देवी के आवास पहुंचे।
दिलचस्प बात यह है कि लालू प्रसाद यादव का दिल्ली से पटना आगमन उस समय हुआ है जब उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का केंद्रीय मंत्री के रूप में भविष्य जदयू द्वारा राज्यसभा की पांच सीटों में से एक जिसके लिए द्विवार्षिक चुनाव होना है के वास्ते उनके पुनर्नामांकन पर टिका हुआ प्रतीत होता है। उत्तरप्रदेश काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए नीतीश कुमार का उस समय विश्वास अर्जित किया था जब वह रेल मंत्री थे। बिहार में नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के बाद आरसीपी सिंह लंबे समय तक उनके प्रधान सचिव रहे।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा निवासी और कुर्मी जाति से ताल्लुक रखने वाले आरसीपी सिंह ने राजनीति में प्रवेश करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। वह 2010 में जदयू में शामिल हुए ओर उन्हें नीतीश कुमार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया था।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने के कुछ महीने बाद उन्होंने पार्टी का शीर्ष पद छोड़ दिया। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह के लिए जदयू से राज्यसभा का एक और कार्यकाल हासिल करना इसबार कठिन होगा क्योंकि पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के साथ उनके समीकरण हाल के दिनों में ठीक नहीं रहे हैं। ललन सिंह तीन दशकों से नीतीश के भरोसेमंद राजनीतिक सहयोगी रहे हैं।
ऐसी अटकले लगायी जा रही हैं कि कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र रहे आरसीपी सिंह का सहयोगी भाजपा की ओर झुकाव ने नीतीश कुमार को असहज कर दिया है। नीतीश कुमार तीन दशकों से भाजपा के सहयोगी रहे हैं लेकिन अपनी विशिष्ट वैचारिक स्थिति को बनाए रखना पसंद करते हैं और अपनी समाजवादी पृष्ठभूमि पर जोर देते हैं। राजद खेमे में राज्यसभा टिकट के उम्मीदवारों में मीसा भारती शामिल हैं जिनका लगातार दूसरा कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने वाला है। हालांकि, पत्रकारों द्वारा इस बारे में पूछे जाने पर मीसा ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उनके पिता (राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष) उचित समय पर इसकी घोषणा करेंगे।
बिहार विधानसभा में अपने संख्या बल के आधार पर राजद को यहां की पांच राज्यसभा सीटों के लिए होने जा रहे द्विवार्षिक चुनाव में से दो सीटों पर जीत दर्ज करने की उम्मीद है। इन दो सीटों में से एक पर मीसा भारती की उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रही है पर दूसरी सीट के लिए कई नाम चर्चा में हैं।
इन नामों में सबसे प्रमुख जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव हैं जिन्हें 2017 में राज्यसभा सदस्य के रूप में तब अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब पार्टी ने नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया था। बाद में जदयू से अलग हुए शरद यादव के गुट लोकतांत्रिक जनता दल का राजद में विलय हो गया है।राज्यसभा की शेष दो सीटों पर जीत की संभावना जता रही भाजपा ने भी अभी तक अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया बुधवार को शुरू हुई। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 मई है। लालू प्रसाद यादव को ‘ओबीसी आइकन’ के रूप में देखा जाता है और बिहार प्रवास के दौरान उनके जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी सक्रिय रहने की उम्मीद जतायी जा रही है।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अलावा किसी भी सामाजिक समूह की गणना करने से केंद्र के इनकार के बाद नीतीश कुमार सरकार अपने खर्च पर एक सर्वेक्षण कराने के लिए सहमत हो गई है। इसके तौर-तरीकों को लेकर एक जून को एक सर्वदलीय बैठक होनी है।
लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन लेने के आरोपों को लेकर पिछले हफ्ते दिल्ली और पटना में सीबीआई ने उनके आवासों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी। माना जा रहा है कि पटना आने के बाद राजद सुप्रीमो इस मुद्दे पर भी अपनी प्रतिक्रिया देंगे।