समर्थकों में बाबूजी के नाम से लोकप्रिय थे लालजी टंडन

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 21, 2020

समर्थकों और शुभचिन्तकों के बीच बाबूजी के नाम से लोकप्रिय लालजी टंडन का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं की सूची में शुमार है। उनका राजनीतिक कॅरियर कई दशकों लंबा रहा, जिसमें उन्होंने राज्य में मंत्री बनने से लेकर कई राज्यों का राज्यपाल बनने तक का सफर तय किया। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर के नेता लालजी टंडन (85) लोकसभा सांसद भी रहे और मौजूदा समय में मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे। बाबूजी के नाम से लोकप्रिय टंडन 2009-14 में लखनऊ लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए। उस समय खराब स्वास्थ्य के चलते अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा था।

इसे भी पढ़ें: नस्लवाद के खिलाफ लंबे समय तक जनांदोलन चलाने वाले नेता थे मंडेला

मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उन्होंने 29 जुलाई 2019 को शपथ ली थी। इससे पहले 23 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक वह बिहार के राज्यपाल थे। लालजी टंडन जब मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने, तब वहां कांग्रेस सरकार थी। मार्च में वहां राजनीतिक उठा-पटक और कांग्रेस के बाहर जाने ओर भाजपा के सत्ता में आने के पूरे घटनाक्रम में लालजी टंडन की भूमिका काफी चर्चा में रही। मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से मार्च में छह मंत्रियों सहित 22 विधायकों ने बगावत कर दी और इस्तीफा दे दिया। ये सभी पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते थे। जब कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण में देरी की तो मंझे हुए प्रशासक एवं राजनेता के रूप में लालजी टंडन ने सरकार से कहा कि वह विधानसभा में बहुमत साबित करे। इसके बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच पत्राचार का सिलसिला चलता रहा, जो बाद में कानूनी लड़ाई में तब्दील हो गया। अंतत: उच्चतम न्यायालय ने इस पूरे प्रकरण में टंडन के निर्देश के पक्ष में फैसला सुनाया। 


कमलनाथ सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे से अल्पमत में आ गयी और सरकार गिर गयी, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता तैयार हुआ। उसी समय देश भर में वैश्विक महामारी कोविड-19 फैली और अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी लॉकडाउन लगा। इस दौरान लालजी टंडन ने जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए राजभवन की रसोई खोल दी। साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में लालजी टंडन शैक्षिक संस्थानों की नियमित निगरानी करते रहे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि किसी भी कीमत पर शिक्षण के मानदंड बने रहें।

इसे भी पढ़ें: आम लोगों की समस्याओं को उठाने वाले साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं भीष्म साहनी

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ के चौक में हुआ था। स्नातक करने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। पहली बार वह 1978 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने। ऊपरी सदन में वह दो बार 1978-1984 और उसके बाद 1990-1996 के बीच चुने गए। वह 1996 से 2009 के बीच तीन बार विधायक चुने गये और 1991-92 में पहली बार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री बने। उस समय उनके पास ऊर्जा विभाग था। उत्तर प्रदेश में भाजपा के दमदार नेता माने जाने वाले लालजी टंडन ने बसपा-भाजपा की गठबंधन सरकार में बतौर शहरी विकास मंत्री अपनी सेवाएं दी। उन्होंने कल्याण सिंह सरकार में भी बतौर मंत्री अपनी सेवाएं दी थीं। लालजी टंडन का विवाह 1958 में कृष्णा टंडन से हुआ था। उनके तीन बेटे हैं। उनमें से एक आशुतोष टंडन इस समय उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री हैं।

प्रमुख खबरें

क्रिसमस कार्यक्रम में पीएम मोदी हुए शामिल, कहा- राष्ट्रहित के साथ-साथ मानव हित को प्राथमिकता देता है भारत

1 जनवरी से इन स्मार्टफोन्स पर नहीं चलेगा WhatsApp, जानें पूरी जानकारी

मोहम्मद शमी की फिटनेस पर BCCI ने दिया अपडेट, अभी नहीं जाएंगे ऑस्ट्रेलिया

अन्नदाताओं की खुशहाली से ही विकसित भारत #2047 का संकल्प होगा पूरा