कुमारस्वामी बोले, भूमि विधेयक को पारित कराने के लिए जेडीएस ने किया था सरकार का समर्थन

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 09, 2020

बेंगलुरु। विवादित कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) अधिनियम 2020 के पारित होने को लेकर भाजपा के साथ गुपचुप सौदेबाजी के आरोपों का सामना कर रही जद (एस) के नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी ने इस कानून के कुछ खतरनाक प्रावधानों को वापस लेने पर सहमति बनने के बाद सरकार का समर्थन किया था। कांग्रेस तथा कर्नाटक राज्य रैयत संघ ने कुमारस्वामी पर भाजपा के साथ सौदा करने का आरोप लगाया है। जद(एस) ने कर्नाटक विधान परिषद में मॉनसून सत्र में संशोधन का विरोध किया था जबकि शीतकालीन सत्र में इसका समर्थन किया। इस विधेयक को विधानसभा से मंजूरी मिलने के बाद विधान परिषद में पेश किया गया था। कुमारस्वामी ने कोलार में पत्रकारों से कहा, हमें जिन प्रावधानों पर आपत्ति थी, उनमें से कुछ को वापस लिये जाने के बादजद (एस) ने सरकार का समर्थन किया था। पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि प्रारंभ में उन्होंने और उनके पिताएच डी देवेगौड़ा ने विधेयक का विरोध किया था, लेकिन कुछ प्रावधानों में बदलाव के बाद पार्टी ने इसका समर्थन किया। 

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कुमारस्वामी ने कहा, कानून में बदलाव का श्रेय हमें मिलना चाहिये। पिछले विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने हमारे ध्यान दिलाने पर प्रस्तावित विधेयक के कुछ खतरनाक प्रावधान हटाने का फैसला लिया। जद (एस) नेता ने कहा कि हमारी मुख्य आपत्ति इस बात को लेकर थी कि पहले सरकार इकाई के तौर पर जमीन की खरीद की सीमा बढ़ाना चाहती थी, जिसके तहत एक परिवार को 248 एकड़ तक जमीन खरीदने की अनुमति थी। कुमारस्वामी ने कहा कि उनके सुझाव पर सरकार ने पिछले सत्र में पुराने प्रावधानों को जारी रखने पर सहमति जताते हुए एक परिवार को 10 इकाई भूमि रखने अनुमति दी। कांग्रेस प्रवक्ता वी एस उगरप्पा ने कहा कि कुमारस्वामी ने दोहरा मापदंड अपनाया है। उन्होंने पीटीआई- से कहा, एक ओर कुमारस्वामी कहते हैं कि उनकी पार्टी किसानों के साथ हैजबकि दूसरी ओर जद (एस) ने कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) अधिनियम पर भाजपा का साथ दिया। इससे साफ पता चलता है कि कुमारस्वामी और भाजपा के बीच सौदेबाजी हो चुकी है। कर्नाटक राज्य रैयत संघ के अध्यक्ष के चंद्रशेखर ने पूछा कि दोनों पार्टियां साथ कैसे आईं। कर्नाटक विधानसभा द्वारा पारित दो विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ विधान सौध के घेराव करने के लिये आयोजित मार्च के दौरान चंद्रशेखर ने बुधवार यह सवाल किया।

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