By अनुराग गुप्ता | Feb 28, 2022
संघर्षों से भरा जीवन व्यतीत करने वाले कृष्णकांत गांधीवादी नेता थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस की युवा ब्रिगेड का हिस्सा रहे कृष्णकांत का जन्म 28 फरवरी, 1927 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के तरनतारन जिले के एक गांव में हुआ था। शुरुआती शिक्षा दीक्षा के साथ ही वो स्वतंत्रता संग्राम के साथ जुड़ गए थे।
कृष्णकांत ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से एमएससी (प्रौद्योगिकी) पूरा किया और फिर एक वैज्ञानिक के रूप में काम किया था। एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ ही कृष्णकांत एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी भी थे।
राजनीतिक सफर
युवा अवस्था में राजनीति से जुड़ने वाले कृष्णकांत गांधीवादी नेता थे और उन्होंने चंडीगढ़ से चुनाव लड़ा था और 1977 से 1980 तक लोकसभा के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा 1966 से 1972 और फिर 1972 से 1977 तक हरियाणा से राज्यसभा सदस्य थे। कृष्णकांत कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल के अधीन कई पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने 1976 में जयप्रकाश नारायण के साथ मिलकर पिपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की स्थापना की थी और इसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं। हालांकि आपातकाल का विरोध करने पर कांग्रेस ने कृष्णकांत को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
उपराष्ट्रपति का सफर
साल 1989 में वीपी सिंह सरकार ने अंतर्गत कृष्णकांत आंध्र प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त किए गए। वह इस पद पर 7 सालों तक काबिज रहे और भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राज्यपालों में से एक बन गए। इसके बाद वह सीधे भारत के उपराष्ट्रपति बने। साल 2001 में संसद भवन पर आतंकवादी हमला हुआ था, उस वक्त कृष्णकांत दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे।
उपराष्ट्रपति पद पर रहे कृष्णकांत का निधन 27 जुलाई, 2002 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ था। कृष्णकांत एकमात्र ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जिनका निधन कार्यालय में हुआ। कृष्णकांत की मृत्यु के बाद भैरों सिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति का पद संभाला था।
- अनुराग गुप्ता