कोरेगांव-भीमा प्रकरण: CJI ने गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से खुद को किया अलग

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 30, 2019

नयी दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर लिया। प्रधान न्यायाधीश ने यह याचिका सुनवाई के लिये पेश होने पर कहा कि इसे किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाये।

इसे भी पढ़ें: अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर होगी सुनवाई, जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता में पीठ गठित

 

बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ गौतम नवलखा की याचिका प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थी। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर रखी है ताकि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाये। उच्च न्यायालय ने 2017 में कोरेगांव-भीमा हिंसा और माओवादियों से कथित संबंधों के मामले में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से 13 सितंबर को इंकार कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस मामले में पहली नजर में ठोस सामग्री है।

इसे भी पढ़ें: फारूक को SC से लगा झटका, पेशी की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुये इसमें गहराई से जांच की आवश्यकता है। पुणे जिले के कोरेगांव भीमा में 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एलगार परिषद् के बाद हुयी कथित हिंसा की घटना के सिलसिले में पुणे पुलिस ने जनवरी, 2018 में नवलखा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। नवलखा, वरवर राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

प्रमुख खबरें

PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मांग, अनुच्छेद 370 पर अपना स्टैंड किल्यर करे NC और कांग्रेस

जिन्ना की मुस्लिम लीग जैसा सपा का व्यवहार... अलीगढ़ में अखिलेश यादव पर बरसे CM योगी

Vivek Ramaswamy ने अमेरिका में बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों में कटौती का संकेत दिया

Ekvira Devi Temple: पांडवों ने एक रात में किया था एकविरा देवी मंदिर का निर्माण, जानिए पौराणिक कथा