By अभिनय आकाश | May 16, 2023
एक समय था जब लोग भारत को सोने की चिड़िया कहा करते थे। पूरी दुनिया में ये बात कही जाती थी कि भारत में जितना सोना, हीरे, मोती और अनमोल रत्न हैं, उतना पूरी दुनिया में कहीं नहीं हैं। यही वजह भी रही कि समय समय पर भारत में लूटपाट होती रही। अंग्रेज भी उन्हीं में से एक थे। भारत पर सौ साल के शासन के दौरान उन्होंने यहां से बहुत कुछ लूट कर अपनी तिजोरी में भरा। लेकिन अब समय आ चुका है जब भारत सरकार चुन-चुनकर अपने कीमती आर्टिफैक्ट्स को लाने की योजना बना रही है। वो हीरा जो भारत से सात समुंदर पार चला गया उसे लाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। मोदी सरकरा ने पूरी प्लानिंग कर ली है कि ब्रिटेन के म्यूजियम से अब कोहिनूर को वापस लाकर ही दम लेंगे।
चोरी के सामानों से भरा ब्रिटिश म्यूजियम
ब्रिटेन के चर्चित कॉमेडियन रसेल हावर्ड ने एक बार कहा था कि "The british museum is great for seeing how excellent we were at stealing things" यानी ब्रिटिश संग्रहालय इस बात का सबसे शानदार उदाहरण है कि हम चीजें चुराने में कितने माहिर थे। ये बाद तो ब्रटिश कॉमेडियन ने कटाक्ष के तौर पर कही थी लेकिन इसमें सत्य कूट-कूट कर भरा है। कोहिनूर से लेकर रोसेटा पत्थर तक, पश्चिमी संग्रहालय औपनिवेशिक लूट से भरे हुए हैं। लेकिन अब ब्रिटेन के म्यूजियम में रखे भारत के कोहिनूर हीरा और अन्य मूर्तियों समेत कॉलोनियल एरा आर्टिफैक्ट्स को वापस के लिए जल्द ही मोदी सरकार की तरफ से प्रत्यार्पण अभियान चलाने की तैयारी हो रही है।
पीएम मोदी का मिशन कोहिनूर
चर्चा तो हमेशा होती रही कि कोहिनूर को भारत लाया जाएगा। 1849 में जो अंग्रेज अपने साथ ले गए उसे वापस लाने की बातें 1947 से हो रही हैं। भारत जब आजाद हुआ था तो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक पहल तो जरूर की थी। 1956 में पंडित नेहरू ने इस बारे में ब्रिटेन से बात की थी। लेकिन कोशिश रंग नहीं लाई। इसके बाद आम जनता में कोहिनूर वापसी को लेकर बात जरूर होती थी। लेकिन सरकारों की ओर से कोई पुख्ता प्लान इस पर कभी नहीं बना और न ही इतनी गंभीरता से इस पर विचार किया गया। किसी पीएम ने ऐसी पहल नहीं की जिससे कोहिनूर वापस आता। लेकिन ये मोदी सरकार है और इसने फैसला ले लिया है कि अमृतकाल में कोहिनूर को वापस लाकर ही रहेंगे।
कोहिनूर की घर वापसी का प्लान रेडी
खबर है कि इसके लिए पूरा प्लान भी तैयार हो गया है और इसकी चर्चा ब्रिटेन की मीडिया में भी शुरू हो गई है। ब्रिटेन के द डेली टेलीग्राफ ने एक बड़ा दावा किया है। अखबार के मुताबिक मोदी सरकार एक बड़ी योजना बना रही है। इसके तहत ब्रिटेन के म्यूजियम में रखे कोहिनूर को वापस लाया जाएगा। इतना ही नहीं अंग्रेजों के शासन के दौरान जो कलाकृतियां ब्रिटेन चली गई उन्हें भी वापस लाने की तैयारी है। अखबार का दावा है कि ये मुद्दा मोदी सरकार की प्राथमिकता है। जानकारी के मुताबिक कोहिनूर और भारत से गए दूसरे खजाने को लेकर ये मुद्दा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और व्यापार वार्ता में उठ सकता है। ये भी कहा जा रहा है कि भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण यानी एएसआई देश के बाहर लूट कर गई या स्मलिंग की गई कलाकृतियों को हासिल करने में जुट गया है।
लंदन में राजनयिकों के साथ समन्वय
हाल ही में महाराज चार्ल्स तृतीय का राजतिलक हुआ और उसके बाद से ही इस पर फिर से नई बहस छिड़ गई है। नई दिल्ली में अधिकारी लंदन में राजनयिकों के साथ समन्वय कर रहे हैं ताकी औपनिवेशिक शासन के दौरान युद्ध की लूट के रूप में जब्त की गई या लोगों द्वारा एकट्ठा की गई कलाकृतियों को रखने वाले संस्थानों से इन्हें वापस करने का अनुरोध किया जा सके। ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्यावर्तन का लंबा काम आसान लक्ष्य, छोटे संग्रहालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ शुरू होगा जो स्वेच्छता से भारतीय कलाकृतियों को सौंपने के इच्छुक हो सकते हैं और फिर प्रयास बड़े संस्थानों और शाही संग्राहलयों तक किए जाएंगे।
कोहिनूर हीरे की वापसी को सुनिश्चित करना भारत सरकार का मकसद
भारत सरकार का मकसद इस वक्त कोहिनूर हीरे की वापसी को सुनिश्चित करना है। हाल ही में महाराजा चार्ल्स के राजतिलक के दौरान उन्हें जो ताज पहनाया गया था उसमें ये हीरा लगा था। सन 1849 से ही ये हीरा ब्रिटिश शाही परिवार के कब्जे में है। उस वक्त अंग्रेजों ने महाराजा दलीप सिंह को लाहौर की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया था। जिस वक्त ये संधि साइन हुई थी महाराजा दलीप सिंह की उम्र 10 साल थी। तब महारानी विक्टोरिया ने कोहिनूर को ब्रोच के रूप में पहना था। ब्रिटेन के इतिहास के हवाले से ब्रिटिश मीडिया का कहना है कि कोहिनूर भारत से ब्रिटेन को मिला एक तोहफा था, या फिर इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था।
अब तक 251 कलाकृतियों को वापस लाया गया
एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार देश के बाहर से कलाकृतियों को वापस लाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। एएसआई के प्रवक्ता वसंत स्वर्णकार का कहना है कि आजादी के बाद से 251 कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही करीब 100 कलाकृतियां ब्रिटेन और अमेरिका समेत अन्य देशों से वापस लाने की प्रक्रिया में है।