By प्रिया मिश्रा | May 14, 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण के मित्र सुदामा उनसे मिलने द्वारका आए थे। तब भगवान ने उन्हें इस व्रत का महत्व बताया था, जिसके प्रभाव से सुदामा की दरिद्रता दूर हो गई। वहीं, मान्यताओं के अनुसार इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा करने का विधान है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी।
बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
वैशाख मास की पूर्णिमा प्रारंभ 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से
वैशाख मास की पूर्णिमा समाप्त 16 मई को सुबह 9 बजकर 43 मिनट तक
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बौद्ध पूर्णिमा के दिन पूजन और व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करने से आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन दान करने से उसका कई गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व है।
भगवान बुद्ध ने सारनाथ में दिया था पहला उपदेश
मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में ईसा पूर्व छठी शताब्दी में हुआ था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध को बिहार के बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने अपना पहला उपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में दिया था। भगवान बुद्ध ने 45 सालों तक धर्म, अहिंसा, सद्भावना और दया के रास्ते पर चलने का उपदेश दिया था। भगवान बुद्ध एक शिक्षाओं पर ही बौद्ध धर्म आधारित है।
- प्रिया मिश्रा