By अनन्या मिश्रा | Mar 07, 2023
हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इसी फाल्गुन मास में होली का त्योहार भी मानाया जाता है। फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। पूर्णिमा तिथि होलिका दहन और लक्ष्मी जयंती का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण और माता लक्ष्मी की पूजा कर दान-पुण्य किया जाता है। इस पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव हैं। मान्यता है कि फाल्गुन की पूर्णिमा पर चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्यक्ति को मानसिक कष्ट से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत कर श्रीहरि की पूजा करने वालों को सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं फाल्गुन पूर्णिमा की डेट, मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में...
फाल्गुन पूर्णिमा डेट
फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मार्च महीने की 7 तारीख मंगलवार को पड़ रही है। इस पूर्णिमा तिथि को वसंत पूर्णिमा और दोल पूर्णिमा भी कहा जाता है। बता दें कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करके तुलसी की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। मान्यता के अनुसार, तुलसी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का निवास होता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भगवान सत्यनारायण की कथा जरुर करनी चाहिए।
फाल्गुन पूर्णिमा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 6 मार्च को शाम 04:17 बजे से होगा। वहीं अगले दिन 7 मार्च को शाम 6 बजकर 9 मिनट पर होगा। 07 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का मान रहेगा
चंद्रोदय समय - शाम 06.19 (7 मार्च 2023)
स्नान मुहूर्त - सुबह 05.07 - सुबह 05.56 (7 मार्च 2023)
लक्ष्मी पूजा (निशिता काल मुहूर्त) - प्रात: 12.13 - प्रात: 01.02
होलिका दहन मुहूर्त - शाम 06.31 - रात 08.58 (7 मार्च 2023)
महत्व
फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे और भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को होलिका के साथ अग्नि में जलाने का प्रयास किय़ा था। लेकिन श्रीहरि की कृपा से होलिका आग में जल गई, लेकिन प्रहलाद को आंच भी नहीं आई। कहा जाता है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा का व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति का आयु बढ़ती है।
फाल्गुन पूर्णिमा पर ये करें
शास्त्रों के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से अवतरित हुई थीं। इसलिए इस पूर्णिमा तिथि को मां लक्ष्मी जयंती के तौर पर भी जाना जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा का विष्णु-लक्ष्मी दोनों की कृपा पाने के लिए पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने से संकट से मुक्ति, स्वास्थ, समृद्धि, धन और सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन दान-पुण्य करने से धन, वैभव और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। रात में पूजा करना शुभ होता है। कहा जाता है कि पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा अपनी सौलह कलाओं के साथ उदय होता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।