By मिताली जैन | Jan 01, 2021
जब भी महिलाओं में कैंसर की बात होती है तो अधिकतर लोग स्तन कैंसर की ही बात करते हैं। लेकिन महिलाओं में योनि का कैंसर भी काफी घातक होता है। योनि के कैंसर को अमूमन वजाइनल कैंसर कहा जाता है। वहीं योनि के बाहरी सतह में कैंसर होता है तो यह वल्वर कैंसर कहलाता है। अगर इसकी समय रहते पहचान कर ली जाए तो उपचार के जरिए रिकवरी की जा सकती हैं। आमतौर पर योनि से जुड़े कैंसर के बारे में पता लगाने के लिए वजाइनल और वल्वर कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। इसके लिए कई तरह के टेस्ट किए जानते हैं। तो चलिए जानते हैं विस्तारपूर्वक इन टेस्ट्स के बारे में−
कोल्पोस्कोपी
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इस टेस्ट में डॉक्टर योल्वा, योनि और गर्भाशय ग्रीवा को विस्तार से देखने के लिए एक कोलोप्स्कोप नामक एक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। कोलपोस्कोप को आपके वल्वा के पास रखा जाता है लेकिन यह आपके शरीर में प्रवेश नहीं करता है। एक कोलपोस्कोपी जो वल्वा की जांच करती है, कभी−कभी वल्वास्कोपी कहलाती है, और जो योनि की जांच करती है उसे वैजिनोस्कोपी कहा जा सकता है। आपको कोलपोस्कोपी से पहले 24 घंटे के लिए अपनी योनि में टैम्पोन, दवा जैसी चीजें इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाती है। साथ ही टेस्ट से 24 घंटे पहले तक महिला को संभोग भी नहीं करना चाहिए।
बायोप्सी
एक कोलपोस्कोपी के दौरान, आपका डॉक्टर आमतौर पर वल्वर क्षेत्र से एक छोटा ऊतक नमूना (बायोप्सी) लेगा और संभवतः योनि क्षेत्र भी। एक बायोप्सी वल्वर कैंसर का निदान करने का सबसे अच्छा तरीका है। डॉक्टर बायोप्सी से पहले इस एरिया को सुन्न करने के लिए एनेस्थेटिक का इस्तेमाल करते है। इससे आपको उस दौरान कोई दर्द नहीं होता, हालांकि आपको थोड़ी असुविधा हो सकती है। बायोप्सी के बाद, आपके वल्वा से थोड़ा खून बह सकता है। घाव को बंद करने के लिए कभी−कभी टांके की जरूरत पड़ती है। आपका डॉक्टर बताएगा कि बाद में कितनी रक्तस्राव की उम्मीद है और घाव की देखभाल कैसे करें। आपको कुछ खराश हो सकती है, जिसे दर्द निवारक लेने से राहत मिल सकती है।
सर्विकल स्क्रीनिंग टेस्ट
सर्विकल स्क्रीनिंग टेस्ट के जरिए भी योनि के कैंसर का पता लगाया जा सकता है। आजकल पैप परीक्षण की जगह इसे किया जाने लगा है। सर्विकल स्क्रीनिंग टेस्ट गर्भाशय ग्रीवा या योनि से ली गई कोशिकाओं के नमूने में एचपीवी के कैंसर पैदा करने वाले प्रकारों को चेक किया जाता है। इसमें आपको थोड़ा असहज महसूस हो सकता है, लेकिन आमतौर पर केवल एक या दो मिनट लगते हैं। नमूना को एचपीवी की जांच के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है। यदि एचपीवी पाया जाता है, तो पैथोलॉजिस्ट कोशिका परिवर्तन की जांच के लिए नमूने पर एक अतिरिक्त परीक्षण करेगा।
मिताली जैन