माहवारी महिला स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और एक उम्र के बाद हर महिला को प्रतिमाह मासिक धर्म होता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिससे हर महिला को गुजरना ही पड़ता है। इतना ही नहीं, कुछ महिलाओं को माहवारी के दौरान तेज दर्द, हैवी ब्लीडिंग, रक्त के थक्के, क्रैम्प व अन्य कई तरह की समस्याएं होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में क्या होती है माहवारी और क्यूं होती है। अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको इस बारे में बता रहे हैं−
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क्या है माहवारी
10 से 15 साल की आयु की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक विकसित डिम्ब (अ.डा) उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा अण्डवाहिका नली अर्थात् फैलोपियन ट्यूव के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्विरत हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, पीरियड्स या रजोधर्म या माहवारी कहते हैं। आमतौर पर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन तक रहता है। लेकिन दो से सात दिन तक का समय सामान्य माहवारी समय माना जाता है। माहवारी का यह चक्र मेनोपॉज के साथ समाप्त हो जाता है। अमूमन 45 से 55 वर्ष के बीच महिला को मेनोपॉज होते हैं।
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पीरियड्स की शुरूआत
मेनार्चे पीरियड्स की शुरुआत है। यह तब होता है, जब लड़की के प्रजनन तंत्र को बनाने वाले सभी हिस्से परिपक्व और एक साथ काम कर रहे हों। एक लड़की की अवधि आम तौर पर 12 से 14 साल की उम्र के बीच शुरू होती है, लेकिन यह 8 से 16 साल तक के बीच कभी भी हो सकती है। मासिक धर्म कई शारीरिक संकेतों में से एक है कि एक लड़की एक महिला बन रही है। मासिक धर्म शुरू होने के बाद एक महिला में गर्भधारण की क्षमता विकसित होती है। चूंकि उसके शरीर में अंडा उत्पन्न होने शुरू हो जाते हैं और ऐसे में वह गर्भवती हो सकती है।
मिताली जैन