पीसीओडी अर्थात् पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज, जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस भी कहा जाता है। यह बीमारी 12 वर्ष से लेकर 45 वर्ष की महिलाओं को प्रभावित करती है। यह महिलाओं में हार्मोनल से संबंधित एक समस्या है, जो उनके मासिक धर्म को भी प्रभावित कर सकती हैं। इतना ही नहीं, अगर इसका सही तरह से इलाज ना किया जाए तो इससे महिलाओं को मोटापा सहित मधुमेह व हृदय रोग आदि समस्याएं भी हो सकती हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको पीसीओडी की संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं−
क्या है पीसीओडी
महिला रोग विशेषज्ञ बताती है कि पीसीओडी महिलाओं से जुड़ी एक हार्मोनल समस्या है। इस समस्या में महिला अधिक हार्मोनल उत्पादन करती हैं, जिसके कारण उनकी माहवारी स्किप होने लगती है और महिला के लिए गर्भवती होना काफी कठिन हो जाता है। पीसीओएस एक महिला के अंडाशय को प्रभावित करता है, प्रजनन अंग जो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करते हैं। जब एक महिला पीसीओडी से प्रभावित होती है तो उसकी अंडाशय में छोटे सिस्ट नजर आते हैं, जो अंडाशय को बड़ा बनाता है और कई शारीरिक मुद्दों के कारण एंड्रोजेन और एस्ट्रोजन हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन करता है।
क्या है कारण
महिला रोग विशेषज्ञ के अनुसार, पीसीओडी का कारण अभी भी पूर्ण रूप से ज्ञात नहीं है। हालांकि यह माना जाता है कि अतिरिक्त इंसुलिन, उच्च मात्रा में पुरुष हार्मोन (हाइपरएंड्रोजेनिज़्म) का उत्पादन पीसीओडी में सहयोगी होता है। इसके अलावा, कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाना, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और प्रदूषण पीसीओडी के कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं।
पहचानें लक्षण
पीसीओडी की समस्या होने पर स्त्री में कई तरह के बदलाव नजर आते हैं। इनके लक्षणों के जरिए इसकी पहचान की जा सकती हैं। पीसीओडी के मुख्य लक्षण हैं−
- मुंहासे
- वजन बढ़ना और फिर वजन कम होने में परेशानी
- चेहरे और शरीर पर अतिरिक्त बाल। अक्सर महिलाओं को मोटे, काले चेहरे और छाती पर अधिक बाल, पेट और पीठ पर बाल आते हैं।
- स्कैल्प पर बालों का पतला होना
- अनियमित पीरियड्स, आमतौर पर दो−तीन महीने में एक बार माहवारी होना
- माहवारी के दौरान हैवी ब्लीडिंग होना
- प्रजनन संबंधी समस्याएं। कई महिलाओं को जिन्हें पीसीओएस होता है, उन्हें गर्भवती होने में परेशानी होती है।
- सिरदर्द व डिप्रेशन
यूं करें उपचार
पीसीओडी के उपचार के लिए मुख्य रूप से लाइफस्टाइल में बदलाव करना बेहद आवश्यक है। इसमें आप आहार विशेषज्ञ से लेकर स्त्री रोग विशेषज्ञ, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, त्वचा विशेषज्ञ और इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ आदि की मदद ले सकती हैं। वैसे पीसीओडी को प्रबंधित करने का सबसे अच्छा तरीका वजन नियंत्रण करना है। पीसीओडी रोगियों को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए और स्वस्थ आहार बनाए रखना चाहिए। उन्हें आहार में शर्करा और कार्बोहाइड्रेट को कम करना चाहिए। पीसीओडी से पीडि़त रोगियों के लिए उच्च प्रोटीन और उच्च फाइबर सेवन की सिफारिश की जाती है।
मिताली जैन