कलर ब्लाइंडनेस आंखों से संबंधित एक ऐसा रोग है, जिसमें व्यक्ति को एक या एक से अधिक रंगों की पहचान करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। किसी भी व्यक्ति में यह रोग जन्म से हो सकता है या फिर किसी अन्य कारण के चलते यह समस्या बाद में भी उत्पन्न हो सकती है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं इस रोग के बारे में−
क्यों होती है कलर ब्लाइंडनेस
आई विशेषज्ञ बताते हैं कि कलर ब्लाइंडनेस की समस्या तब होती है, जब रेटिना में लाइट सेंसेटिव सेल्स लाइट की अलग−अलग वेवलेंथ के प्रति उचित प्रतिक्रिया देने में विफल रहती है। इन्हीं सेल्स की मदद से व्यक्ति किसी भी कलर को देखने में सक्षम हो पाता है। आमतौर पर, आपके माता−पिता से विरासत में मिले जीन दोषपूर्ण फोटोपिगमेंट का कारण बनते हैं। लेकिन कभी−कभी रंग का अंधापन आपके जीन के कारण नहीं होता है, बल्कि इसके पीछे कई अन्य वजहें भी शामिल होती हैं। मसलन, आंखों में फिजिकल और केमिकल डैमेज, ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान, अधिक आयु, मोतियाबिंदआदि। इसके अलावा, कभी−कभी मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को भी किन्हीं कारणवश नुकसान होता है, जो रंग की जानकारी को प्रोसेस करते हैं। जिसके कारण व्यक्ति रंगों को पहचानने में सफल नहीं हो पाता और उन्हें कलर ब्लाइंडनेस की समस्या का सामना करना पड़ता हैं।
कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण
आई विशेषज्ञ बताते हैं कि कलर ब्लाइंडेनस के लक्षण सबसे पहले माता−पिता द्वारा ही पहचाने जाते हैं। दरअसल, जब बच्चे छोटे होते हैं तो कलर ब्लाइंडनेस के लक्षणों को पहचान सकते हैं। मसलन, उनके लिए ट्रैफि़क लाइट के लाल और हरे रंग के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है या फिर उन्हें एक रंग के विभिन्न शेड्स सभी समान दिख सकते हैं। कुछ मामलों में, लक्षण इतने मामूली होते हैं, उन पर ध्यान भी नहीं दिया जा सकता है। कलर ब्लाइंडनेस के सामान्य लक्षणों में कुछ लक्षण शामिल हैं। जैसे−
- रंगों में भेद करने में कठिनाई
- एक ही रंग के शेड या टोन देखने में असमर्थता
कलर ब्लाइंडनेस का इलाज
आई विशेषज्ञों के अनुसार, जन्मजात कलर ब्लाइंडनेस का कोई उपचार मौजूद नहीं है। हालांकि, ऑप्टिक नर्व्स या मस्तिष्क विकार के कारण होने वाली कलर ब्लाइंडनेस को दूर करने के लिए फिल्टर के साथ कॉन्टैक्ट लेंस और ग्लास का सहारा लिया जा सकता है।
मिताली जैन