असुरक्षित यौन संबंधों के कारण फैलता है हर्पीस, बीमारी होने पर नजर आते हैं यह लक्षण

By मिताली जैन | Jan 29, 2020

असुरक्षित यौन संबंध अपने साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आते हैं। आमतौर पर लोग मानते हैं कि असुरक्षित यौन संबंधों के कारण व्यक्ति को एड्स हो सकता है। लेकिन हर्पीस भी एक ऐसी ही बीमारी है, जो असुरक्षित यौन संबंधों के कारण फैलती है। यह समस्या होने पर व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट से लेकर शरीर के अन्य हिस्सों पर पानी भरे दाने निकल आते हैं। धीरे−धीरे यह थोड़े बड़े होते जाते हैं और फिर फूट जाते हैं। जब यह पानी शरीर के अन्य भागों पर फैलता है तो इससे शरीर के अन्य हिस्सों पर भी वह दाने हो जाते हैं। हर्पीस की समस्या होने पर इस इंफेक्शन को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता। इसके लक्षण बार−बार उभरते हैं और उस समय के केवल उसका इलाज किया जा सकता है। यह समस्या होने पर दानों के अलावा भी कई लक्षण नजर आते हैं। तो चलिए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में−

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पानी के दाने

हर्पीस का सबसे पहला और मुख्य लक्षण है दाने निकलना। आमतौर पर लोग इन्हें एलर्जी समझकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन हर्पीस होने पर दानों में पानी होता है। यह दाने प्राइवेट पार्ट सहित शरीर के कई हिस्सों पर हो सकते हैं। यह हर दिन साइज में बढ़ते ही जाते हैं।


खुजली का अहसास

जब व्यक्ति को हर्पीस की समस्या होती है तो दानों के साथ−साथ व्यक्ति को काफी खुजली भी होती है। हर्पीस के सबसे आम लक्षण आपकी योनि, योनी, गर्भाशय ग्रीवा, लिंग, बट, गुदा या आपकी जांघों के अंदर खुजली या दर्दनाक फफोले का एक समूह है। 


होता है दर्द

हर्पीस होने पर होने वाले दाने दर्दरहित नहीं होते। मूत्रत्याग करते समय जब पेशाब घावों को छूता है तो इससे काफी जलन व दर्द का अहसास होता है। साथ ही व्यक्ति को जननांगों के आसपास भी दर्द होता है। कई बार व्यक्ति को दानों के निकलने से पहले ही व्यक्ति को दर्द होना शुरू हो जाता है। इसके अलावा इस रोग के कारण व्यक्ति को पूरे शरीर में दर्द का अहसास होता है। ऐसा व्यक्ति अमूमन जोड़ों में दर्द, सिरदर्द व थकान की शिकायत करता है। 

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अन्य लक्षण

अगर हर्पीस एसएसवी−2 के कारण होता है, तो रोगी को फ्लू जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जैसे− श्रोणि क्षेत्र, गले व अंडरआर्म्स के नीचे सूजन ग्रंथियां, बुखार, ठंड लगना आदि।

 

रखें इसका ध्यान

हर्पीस के लक्षण आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हर्पीस का संक्रमण दूर हो गया। जब व्यक्ति को एक बार हर्पीस हो जाता है तो यह ताउम्र आपके शरीर में रहता है और इसलिए आपसे इसे दूसरों को फैलने की संभावना बनी रहती है।

 

मिताली जैन

 

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