आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी और तनाव का आपस में गहरा नाता हो गया है। बच्चा हो या बूढ़ा, हर व्यक्ति किसी न किसी तरह के तनाव से गुजर रहा है। कुछ हद तक तनाव होना सामान्य है, लेकिन अगर तनाव आपके जीवन पर हावी होने लगता है तो डिप्रेशन में तब्दील हो जाता है। कुछ लोग गंभीर अवसाद को भी सामान्य तनाव मानकर नजरअंदाज करते हैं, जिससे स्थिति बद से बदतर होती चली जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप समय रहते अवसाद के लक्षणों को पहचानें और इससे बाहर निकलने के उपाय खोजें। तो चलिए जानते हैं डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में−
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दो सप्ताह से अधिक लक्षण
अगर आपका तनाव अवसाद की तरफ बढ़ने लगा है तो इसके लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक रह सकते हैं। इनके लक्षणों में प्रमुख है−
हमेशा उदास व चिंतित महसूस करना
मन में निराशावादी विचारों का संचार
खुद को दोषी, बेककार व असहाय महसूस करना
मनपसंद चीजों को भी करने में मन न लगना
एकाग्रता में कमी व निर्णय लेने में परेशानी
बहुत अधिक व बहुत कम सोना
भूख में परिवर्तन
वजन का बढ़ना व कम होना
बैचेनी व चिड़चिड़ाहट महसूस होना
मन में अक्सर आत्महत्या या मरने का विचार आना
सोशल लाइफ से दूर हो जाना
परिवार व दोस्तों से दूरी बनाना
शराब व नशीली दवाओं का अत्यधिक सेवन
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जरूरी नहीं है कि एक डिप्रेशन पीडि़त व्यक्ति के भीतर यह सारे बदलाव नजर आएं, लेकिन आकपो स्वयं में इनमें से चार या पांच लक्षण भी नजर आते हैं तो यह गंभीर अवसाद की ओर इशारा करते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
शारीरिक लक्षण
गंभीर अवसाद होने पर कुछ लोगों में शारीरिक लक्षण भी नजर आते हैं। मसलन, ऐसे लोगों को पेट में दर्द, सिरदर्द व पाचन समस्याएं होना आम है। वहीं बच्चों व टीन्स में भी लक्षणों के आधार पर अवसाद को पहचाना जा सकता है। छोटे बच्चों व टीन्स में उदासी, नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी व भूख की समस्या, स्कूल परफार्मेंस में गिरावट देखी जाती है।
बदलते लक्षण
अवसाद पीडि़त व्यक्ति में कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं, जो बदलते रहते हैं। जैसे− एक दिन आप बिल्कुल ठीक रहते हैं और अगले दिन जब आप बेड से उठेंगे तो आपको काफी थकान का अहसास होगा। इसी तरह, अनिद्रा, थकान, सिरदर्द, पेट दर्द, चक्कर आना, आदि भी कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो बदलते रहते हैं।
मिताली जैन