सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज जिन्हें एसडीटी या यौन संचारित रोग भी कहा जाता है, वास्तव में संक्रमण हैं, जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में जाते हैं। आमतौर पर लोग इसके प्रति बहुत अधिक जागरूक नहीं होते, लेकिन इसके कारण व्यक्ति की जान भी जा सकती है। आमतौर पर लोग सिर्फ एड्स को ही यौन संचारित रोग मानते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त भी अन्य कई रोग होते हैं जिसका कारण यौन संक्रमण होता है। अगर एक गर्भवती महिला एसटीडी से पीडि़त है तो उसके शिशु को भी इसके कारण गंभीर रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में−
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सिर्फ एचआईवी नहीं
जब भी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज की बात होती है तो लोगों के दिमाग में सिर्फ एचआईवी या एड्स का ही नाम आता है। यह सच है कि एचआईवी एक यौन संचारित रोग है। लेकिन यह सिर्फ यहीं समय सीमित नहीं है। आपको शायद जानकर हैरानी हो, लेकिन 20 से अधिक प्रकार के एसटीडी हैं, जिनमें एचआईवी के अलावा क्लैमाइडिया, गोनोरिया, ट्राइकोमोनिएसिस, एचपीवी, हेपेटाइटिस बी, सिफलिस आदि शामिल हैं।
कारण
यौन संचारित रोगों के अगर बढ़ने के पीछे की वजहों की बात की जाए तो इसके लिए मनुष्य की लापरवाही एक सबसे बड़ा कारण बन रही है। सेफ सेक्स के बारे में प्रचार−प्रसार होने के बावजूद लोग कॉन्डम का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं समझते। इसके अलावा बहुत से लोग संभोग के दौरान डग्स का भी इस्तेमाल करते हैं। जिसके कारण वह कंडोम का इस्तेमाल नहीं करते या फिर इस स्थिति में कई पार्टनर्स के साथ संबंध बनाने की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में एसटीडी होने का खतरा काफी अधिक होता है।
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बचाव के उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपको यौन संचारित रोग ना हो, तो इसके लिए आप कुछ आसान तरीकों से अपना बचाव कर सकते हैं। जैसे−
आप सिर्फ एक ही व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाएं।
आप जिस व्यक्ति के साथ संबंध बना रहे हैं, उस पर आपको पूरा भरोसा होना चाहिए। साथ ही कोशिश करें कि आप संभोग के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें।
हेपेटाइटिस बी और एचपीवी से बचाव के लिए आप टीकाकरण भी कर सकते हैं। एचपीवी वैक्सीनेशन आपको इस बीमारी से बचाव में मदद कर रही हैं। कोशिश करें कि आप सेक्सुअली एक्टिव होने से पहले टीकाकरण अवश्य करवा लें।
मिताली जैन