By मिताली जैन | Jun 07, 2021
किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सबसे पहले उसकी पहचान होना आवश्यक है। यही कारण है कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण नजर आने के बाद लोग आरटी−पीसीआर टेस्ट करवाते हैं। लेकिन कोरोनवायरस का नया म्यूटेशन कुछ ऐसा है, जिसमें कोरोना पीडि़त होने के बावजूद लोगों का आरटी−पीसीआर परीक्षण नकारात्मक होता है, जबकि वास्तव में वह पॉजिटिव होता है। ऐसे में आरटी−पीसीआर टेस्ट की वर्तमान प्रवृत्ति को देखते हुए वायरस की शरीर में उपस्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर्स कई तरह के अन्य परीक्षणों की सलाह दे रहे हैं और इन्हीं टेस्ट में से एक है डी−डाइमर टेस्ट। दरअसल, वर्तमान में कोविड−19 वायरस सिर्फ गले या नाक तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह फेफड़ों को भी प्रभावित कर रहा है और हाल ही में पेशेंट में ब्लड क्लॉट्स जैसे लक्षण भी नजर आ रहे हैं और डी−डाइमर टेस्ट के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं इस टेस्ट के बारे में−
क्या है डी−डाइमर
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि डी−डाइमर फाइब्रिन डिग्रेडेशन प्रॉडक्ट्स में से एक है। इसलिए जब शरीर का कोई अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है या कहीं से खून बह रहा होता है, तो शरीर एक नेटवर्क बनाने के लिए वहां की कोशिकाओं को आपस में जोड़कर रक्तस्राव को रोकने की कोशिश करता है। यह नेटवर्क फाइब्रिन नामक प्रोटीन से बनता है। इसलिए ब्लीडिंग वाली जगह पर वाइब्रेशन शुरू होती है और ब्लड क्लॉट बनता है। वह रक्त का थक्का फाइब्रिन के क्राइसिस के कारण होता है। जब यह हील होने लगता है तो वह उस क्लॉट को डिग्रेट करना शुरू कर देता है और फाइब्रिन को तोड़ना शुरू कर देता है। जब फाइब्रिन टूट जाता है, तो यह फाइब्रिन डिग्रेडेशन प्रॉडक्ट या एफडीपी बनाता है। और एफडीपी में से एक डी−डाइमर है।
कोविड के दौरान डी−डाइमर की जरूरत
अब यह समझने की जरूरत है कि डी−डाइमर टेस्ट की जरूरत कोविड पॉजिटिव मरीज में क्यों पड़ती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब व्यक्ति को कोविड गंभीर रूप ले लेता है तो यह टेस्ट मरीज के शरीर में थक्कों की उपस्थित किो दर्शाता है। खासतौर पर फेफड़ों में हमारे शरीर में बहुत सारे थक्के बन जाते हैं, जिसकी वजह से फेफड़े सांस नहीं ले पाते हैं। थक्का जमने से रक्त प्रवाह बाधित होता है। तो, शरीर इन थक्कों को तोड़ने की कोशिश करता है। डी−डाइमर बनने के आठ घंटे बाद तक इसका पता लगाया जा सकता है जब तक कि किडनी इसे साफ नहीं कर देती।
डी−डाइमर के उच्च या निम्न स्तर का अर्थ
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि शरीर में डी−डाइमर का उच्च स्तर दर्शाता है कि शरीर में बहुत अधिक थक्का मौजूद है जो कि कोविड से प्रभावित होने पर एक खतरनाक संकेत हो सकता है। किसी मरीज का डी−डाइमर जितना अधिक होगा, फेफड़ों में थक्कों की संख्या उतनी ही अधिक होगी और उन्हें भविष्य में ऑक्सीजन की आवश्यकता की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
मिताली जैन