गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। दिल्ली वाले इस दिन इंडिया गेट पर जाते हैं, बढ़िया-बढ़िया झाकियां देखते हैं और परेड के बाद हवाई कलाबाजियों से भी रूबरू होते हैं। गठतंत्र दिवस के दिन 21 तोपों की सलामी दी जाती है। गणतंत्र दिवस के दिन दूसरे देशों के राष्ट्रप्रमुख, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता था। लेकिन इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष चीफ गेस्ट के तौर पर नहीं होंगे। दरअसल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था। लेकिन ब्रिटेन में कोरोना के नए स्ट्रेन की वजह से बोरिस जाॅनसन ने ऐन वक्त पर अपना भारत दौरा रद्द कर दिया। लेकिन इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में अयोध्या पर बन रहे राम मंदिर की झांकी भी दिखाई जाएगी। परेड में इस बार राफेल विमान के साथ ही स्वदेशी लड़ाकू एयरक्राफ्ट और हेलिकाप्टर भी नजर आएंगे।
26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस
साल 1929 में दिसंबर के महीने में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई। इस अधिवेशन में ब्रिटिश सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियन का दर्जा नहीं दिए जाने पर भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र देश घोषित करने वाला प्रस्ताव पारित किया था। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को डोमिनियन दर्जा नहीं दिए जाने के बाद कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को भारत को पूर्ण स्वराज घोषित कर दिया। 9 दिसंबर 1946 को संविधान लिखने का कार्य प्रारंभ हुआ। सच्चिदानंद सिन्हा इस सभा के सभापति थे। बाद में डाॅ. राजेद्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया। भीमराव आंबेडकर को अध्यक्ष विधीवेत्ता चुना गया। 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण पूरा हो पाया। डाॅ. राजेंद्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सुपर्द किया गया। गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था।