यह तो हम सभी जानते हैं कि योगासन सेहत के लिए लाभकारी है। लेकिन अलग−अलग समस्याओं के लिए व्यक्ति भिन्न तरह के योगासन करता है। कुछ लोग समय के अभाव के चलते योगासन कर ही नहीं पाते। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो आप सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें। यह एक संपूर्ण व्यायाम है, जो न सिर्फ शरीर बल्कि दिमाग को भी लाभ पहुंचाता है। अगर नियमित रूप से इसका अभ्यास किया जाए तो व्यक्ति के शरीर का संपूर्ण व्यायाम हो जाता है और फिर उसे बीमारियां छू भी नहीं पातीं। इतना ही नहीं, इसे बच्चों से लेकर बड़े बेहद आसानी से कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं सूर्यनमस्कार करने के तरीके और इसके लाभों के बारे में:−
प्रणामासन− इसके लिए सर्वप्रथम छाती को चौड़ा और मेरूदंड को खींचें। एडि़यां मिली हुई हो और दोनों हाथ छाती के मध्य में नमस्कार की स्थित मिें जुड़े हो और गर्दन तनी हुई व नजर सामने हो। अब आराम से श्वास लें और इस मुद्रा में केवल कुछ क्षण ही रूकें।
हस्तउत्तानासन− अब सांस को धीरे से अंदर खींचते हुए हाथों को उपर की ओर ले जाएं और हथेलियों को मिलाएं रखें। अब जितना ज्यादा हो सके, कमर को पीछे की ओर मोड़ते हुए अर्धचन्द्राकार बनाएं। जितनी देर संभव हो, श्वास को रोकने का प्रयास करें। यह आसन फेफड़ों के लिए काफी अच्छा माना जाता है।
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पादहस्तासन− अब श्वास छोड़ते हुए व कमर को आगे झुकाते हुए दोनों हाथों से अपने पंजों को पकडें। इस दौरान पैरों को जितना ज्यादा हो सके, सीधा रखें। अब दोनों पैरों को मजबूती से पकड़कर सीधा रखें और नीचे झुकने की कोशिश करें।
अश्वसंचालन आसन− अब श्वास भरते हुए दोनों हाथों को मैट पर रखें और नितंबों को नीचे करें। सीधे पैर को खींचते हुए जितना ज्यादा हो सके, पीछे की ओर रखें। अब पैर को सीधा मैट के उपर रखें और वजन पंजों पर रखें। आप चाहें तो घुटना मोड़कर भी मैट पर रख सकते हैं। अब उपर देखते हुए गर्दन पर खिंचाव को महसूस करें। यह बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मददगार है।
संतोलासान− धीरे−धीरे श्वास छोड़ें और उल्टे पैर को पीछे लेकर जाएं। इस दौरान हाथों को सीधा कंधों की चौड़ाई के बराबर मैट पर रखें। अब कूल्हे की तरफ से स्वयं को उपर उठाएं। इस पोज में आपका शरीर उल्टे वी के समान दिखाई देगा। इस समय आपका पेट अंदर व कसा हुआ हो और नाभि अंदर मेरूदंड की तरफ खिंची हुई हो। यह आसन पेट को मजबूत बनाता है।
अष्टांग नमस्कार− श्वास को रोकते समय दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़ें। अब दोनों घुटनों व छाती को मैट पर लगाएं। दोनों कोहनियों को छाती के नजदीक लाएं। अब छाती, दोनों हथेलियां, पंजे, और घुटने जमीन पर छूने चाहिए और शेष अंग हवा में हों।
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भुंजगासन− सबसे पहले मैट पर उल्टे होकर लेते जाएं। अब श्वास लेते हुए कोहनियों को कसें। अब छाती को उपर की ओर उठाएं व कंधों को पीछे की तरफ कसें। लेकिन घुटनों व पंजों को मैट पर देखें। आपकी दृष्टि उपर की ओर होनी चाहिए।
पर्वतासन− धीरे से श्वास छोड़ते हुए पंजों को अंदर करें, कमर को उपर की ओर उठाएं और हथेलियों, पंजों को मैट पर रखें। निश्चित करें कि एडि़यां मैट पर रहें। ठुड्डी को नीचे की ओर करें।
अश्वसंचालन आसन− श्वास भरते हुए दाएं पैर को आगे दोनों हाथों के बीच में लाएं। बाएं पैर को पीछे पंजे पर ही रहने दें व घुटनों को नीचे मैट पर रख लें। दाएं पैर को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ें और जांघ को मैट के समानांतर रखें। अपने हाथों को सीधे मैट पर रखें। सिर व कमर को उपर की ओर उठाएं ताकि आप उपर की ओर देख सकें।
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पादहस्तासन−अब श्वास छोड़ते हुए व कमर को आगे झुकाते हुए दोनों हाथों से अपने पंजों को पकडें। इस दौरान पैरों को जितना ज्यादा हो सके, सीधा रखें। अब दोनों पैरों को मजबूती से पकड़कर सीधा रखें और नीचे झुकने की कोशिश करें।
हस्तउत्तानासन− श्वास भरते हुए दोनों हाथों को एक साथ उपर की ओर लेकर जाएं। जितना ज्यादा हो सके, कमर के निचले हिस्से को आगे की ओर तथा उपरी हिस्से को पीछे की ओर लेकर जाएं। जैसे ही आप हाथों को अपने सिर के उपर से पीछे की ओर लेकर जाएंगे, उसी समय आप संवेदना के साथ उर्जा का संचार महसूस करेंगे।
प्रणामासन− अंत में श्वास छोड़ते व कमर को सीधा करते हुए हाथों को अपनी छाती के पास नमस्कार मुद्रा में लेकर आएं। कुछ क्षण इसी देर में रूकें।
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जानें इसके फायदे:
सूर्यनमस्कार के फायदों के बारे में जितना कहा जाए, उतना ही कम है। जब आप इसका अभ्यास करते हैं तो पूरे शरीर की स्टेचिंग होती है। इसके अतिरिक्त अगर किसी व्यक्ति को शरीर के किसी हिस्से में दर्द हैं तो वह भी सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकता है। सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास शरीर की फलेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है। वहीं यह कई तरह की बीमारियों जैसे मोटापे, झुर्रियों, पीसीओडी व थॉयराइड की समस्या को भी दूर करता है। जहां एक ओर सूर्य नमस्कार शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है, वहीं दूसरी ओर इससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। सूर्यनमस्कार का अभ्यास करने से व्यक्ति का तनाव, एंग्जाइटी आदि दूर होती है और व्यक्ति का अधिक शांत, खुश महसूस करता है। इसके अतिरिक्त इससे व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और उसके ब्रेन सेल्स बेहतर तरीके से काम करते हैं।
मिताली जैन