By प्रिया मिश्रा | Sep 09, 2021
गणेश उत्सव की तैयारियां देशभर में शुरू हो चुकी हैं। गणेश उत्स्व की शुरुआत गणेश चतुर्थी से होती है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास की चतुर्थी को गणेश अथवा विनायक चतुर्थी कहते हैं, लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी तिथि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त बड़ी धूम-धाम से गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और 10 दिन तक उन्हें अपने साथ रखते हैं। इसके बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उतनी ही धूम-धाम के साथ भगवान का विसर्जन किया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्त विघ्नहर्ता भगवान की पूजा-आराधना और सेवा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेशोत्सव में भगवान भक्तों के सभी विघ्न हरने और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए आते हैं।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष गणेश महोत्स्व 10 सितंबर 2021 (शुक्रवार) को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होगा। इस दिन भक्त अपने घर में गणपति बप्पा को लेकर आएँगे। इसके बाद 19 सितंबर 2021 (रविवार) को अनंत चतुर्दशी के पर्व पर गणेश उत्सव का समापन किया जाएगा। गणेश महोत्सव का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी 2021 शुभ मुहूर्त
गणेश महोत्सव आरंभ- 10 सितंबर, 2021
चतुर्थी तिथि शुरू- 10 सितंबर 2021, को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर
चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021, को रात 09 बजकर 57 मिनट पर
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त- 10 सितंबर 2021 को प्रातः 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक
गणेश महोत्सव समापन और गणेश विसर्जन - 19 सितंबर, 2021 (रविवार)
गणेश भगवान की स्थापना विधि
गणेश भगवान को घर पर लाने से पूर्व घर और पूजा स्थल को साफ करें।
इसके बाद चौकी बिछाकर उस पर लाल या हरे रंग का कपड़ा बिछाएं।
अब चौकी पर अक्षत रखें और उसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें।
इसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें।
अब भगवान गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें और उनकी बाईं ओर अक्षत रखें और कलश की स्थापना करें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाएं।
कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और नारियल पर कलावा बांधकर कलश की स्थापना करें।
कलश स्थापना के बाद गणपति बप्पा को दूर्वा अर्पित करें और उन्हें पंचमेवा और मोदक का भोग लगाएं।
भगवान गणेश को फूल-माला, रोली आदि भी अर्पित करें।
गणपति जी को तिलक लगाएं और उनके सामने अखंड दीपक जलाएं।
अब अंत में भगवान गणेश जी की आरती उतारें।
- प्रिया मिश्रा