महाबली सिंह: राजनीति का है लंबा अनुभव, 2019 चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा को हराया था

By अंकित सिंह | Apr 20, 2022

2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार का एक संसदीय सीट अचानक ही सुर्खियों में आया था, वह संसदीय सीट था कराकट। कराकट से उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा और एनडीए से अलग होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी आरएलएसपी के टिकट पर और महा गठबंधन के सहयोगी के रुप में चुनावी मैदान में थे। लेकिन उन्हें इस बार हार का सामना करना पड़ा। उपेंद्र कुशवाहा को जदयू के महाबली सिंह ने हराया। वर्तमान में महाबली सिंह दूसरी बार लोकसभा में कराकट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। महाबली सिंह का जन्म 20 अप्रैल 1955 को बिहार के चैनपुर में हुआ था। उनका गांव बिहार के कैमूर जिले के अंतर्गत आता है। इनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुई थी। 2015 के बिहार चुनाव एफिडेविट के मुताबिक वह दसवीं पास हैं।

 

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1995 से लेकर 2009 तक वह 4 बार बिहार विधानसभा के सदस्य रहे। दो बार उन्होंने चैनपुर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान वह लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए और राबड़ी देवी किस सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री बन गए। बाद में उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू में शामिल होना ज्यादा सही समझा। 2005 और 2006 के चुनाव में उन्होंने चैनपुर से जीत हासिल की थी। 2009 में इन्हें पहली बार कराकट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से जदयू की ओर से चुनावी मैदान में उतारा गया। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई। बाद में उन्हें रक्षा मंत्रालय की कमेटी में शामिल किया गया। इसके अलावा कई मंत्रालयों की कमेटी में रखा गया। धीरे-धीरे वे अपना कद पार्टी में बढ़ाने लगे। 

 

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महाबली सिंह को संगठन के कार्यों में निपुण माना जाता है। इसके अलावा उन्होंने कई विचार मंच का प्रकाशन भी किया है। उन्हें फुटबॉल, क्रिकेट और लोक नाटक देखना बेहद पसंद है। साथ ही साथ वह कई देशों का दौरा भी कर चुके हैं। 2019 के चुनाव के नतीजों की बात करें तो महाबली सिंह को 398408 वोट मिले थे जबकि उपेंद्र कुशवाहा को 313866 मत प्राप्त हुए थे। उपेंद्र कुशवाहा जैसे कद्दावर नेता को महाबली सिंह ने हराया था। वर्तमान में उपेंद्र कुशवाहा भी जदयू में शामिल हो चुके हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। महाबली सिंह की लंबी चुनावी यात्रा है। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। हालांकि जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बरकरार रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा था जब उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें कराकट से हराया था।

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