पीएमएस जिसे प्री−मेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम भी कहा जाता है, इस स्थित किा सामना अधिक महिलाएं मासिक धर्म शुरू होने से कुछ दिन पहले से ही करने लगती हैं। हालांकि हर महिला में इसके लक्षण अलग−अलग नजर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह समस्या महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण होता है। जिन महिलाओं का पीएमएस की समस्या होती है, उन्हें शरीर के अलग−अलग भागों के दर्द के अलावा, स्तनों में सूजन, वजन बढ़ना, मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, बहुत गुस्सा आना व नींद ना आना जैसी अन्य भी कई समस्याएं होती है। ऐसे में पीएमएस की समस्या को मैनेज करने के लिए आप कुछ आसान उपाय अपना सकती हैं। तो चलिए जानते हैं इन उपायों के बारे में−
लें संतुलित आहार
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि अपनी डाइट में हेल्दी इंग्रीडिएंट्स को शामिल करके आप पीएमएस से काफी हद तक छुटकारा पा सकती हैं। कुछ शोध बताते हैं कि पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी युक्त आहार पीएमएस के खतरे को कम कर सकते हैं। वहीं, थायमिन (विटामिन बी 1) और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी 2) को भी डाइट में पर्याप्त मात्रा में शामिल करने से पीएमएस को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।
हर दिन करें वर्कआउट
यह भी एक तरीका है, जिसे अपनाकर आप पीएमएस के लक्षणों को कम सकती हैं और कुछ ही समय में उससे छुटकारा पा सकती हैं। यहां इस बात का ध्यान रखें कि जब आपको लक्षण नजर आएं, केवल तभी व्यायाम न करें, बल्कि इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। नियमित व्यायाम से प्रीमेन्स्ट्रुअल सिरदर्द, स्तन में सूजन, मितली, कब्ज, दस्त, सूजन और उल्टी की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है।
तनाव को करें कम
तनाव को कम करके भी प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। यदि चिंता या इरिटेशन आपके पीएमएस पैटर्न का हिस्सा है, तो आप योग, श्वास व्यायाम, या माइंडफुलनेस−आधारित एक्टिविटी करें। तनाव में कमी से आप अपनी नसों को शांत करने का प्रयास करें।
मैग्नीशियम की अधिकता
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि मैग्नीशियम की कमी से चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इसलिए मैग्नीशियम पूरक लेने से पीएमएस से संबंधित लक्षण जैसे सिरदर्द, सूजन और चिड़चिड़ेपन को दूर करने में मदद मिल सकती है। वहीं अगर आप मैग्नीशियम के साथ बी 6 का सेवन करती हैं तो इससे आपको अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है।
मिताली जैन