वक्त का पहिया कभी किसी के लिए नहीं रूकता है। जब उम्र बढ़ने लगती है तो लोगों की स्किन पर उसका प्रभाव भी नजर आने लगता है। स्किन पर फाइन लाइन्स से लेकर रिंकल्स तक कई एजिंग के साइन्स दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, अधिकतर लोग यह नहीं चाहते हैं कि उनकी स्किन बूढ़ी नजर आए और इसलिए वह तरह-तरह के स्किन ट्रीटमेंट करवाना पसंद करते हैं। इन्हीं स्किन ट्रीटमेंट में से एक है कपिंग थेरेपी। यह एक बेहद पुरानी तकनीक है, जिसकी मदद से लोग अपनी स्किन को ग्लोइंग व यंगर बनाने से लेकर कई तरह की बीमारियों का इलाज भी करवाते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कपिंग थेरेपी के बारे में बता रहे हैं-
क्या है कपिंग थेरेपी
कपिंग थेरेपी के लिए कप का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर, इसके लिए शीशे के कप का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें वैक्यूम पैदा करके कप को बॉडी पर रखा जाता है। वहीं, अगर बात फेस कपिंग की हो तो उसके लिए आमतौर पर नरम और छोटे कप का इस्तेमाल किया जाता है। इन कप के कारण चेहरे पर किसी तरह का निशान नहीं पड़ता क्योंकि बॉडी कपिंग की अपेक्षा यह अधिक नरम होते हैं।
ऐसे करती है काम
कपिंग थेरेपी के लिए सबसे पहले कप्स में एक वैक्यूम पैदा किया जाता है जिसके कारण कप आपकी स्किन से चिपक जाते हैं। इसके तीन से पांच मिनट बाद दूषित खून जमा हो जाता है। उसके बाद जमा हुए गंदे खून को शरीर से निकाल दिया जाता है। जब आपके फेस व बॉडी से दूषित खून बाहर निकल जाता है तो आपकी स्किन नेचुरली ग्लो करने लगती है। साथ ही साथ इस थेरेपी के इस्तेमाल के कारण काफी हद तक स्किन पर एजिंग के साइन्स भी काफी हद तक कम हो जाते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- अगर आप कपिंग थेरेपी करवाने का मन बना रही हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
- सबसे पहले तो आप किसी एक्सपर्ट की सलाह के बाद ही कपिंग थेरेपी करवाएं। कुछ लोगों के लिए कपिंग थेरेपी नुकसानदायक भी हो सकती है और इसलिए पहली बार यह ट्रीटमेंट करवाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लेना आवश्यक है।
- कपिंग थेरेपी को हमेशा ही प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा करवाया जाना चाहिए। यह उपचार अगर गलत तरीके से किया जाता है, तो आपकी बॉडी व स्किन के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है।
मिताली जैन