परीक्षा के दिन बच्चों के लिए सबसे अधिक तनावपूर्ण होते हैं। बच्चे कितना भी चाहें, लेकिन फिर भी वह परीक्षा के स्ट्रेस को खुद से दूर नहीं रख पाते। कुछ बच्चों का तनाव इस हद तक बढ़ जाता है कि वह अपनी पढ़ाई में भी ध्यान केन्द्रति नहीं कर पाते। जिससे उनकी परीक्षाएं प्रभावित होती हैं। कई बार तो यह स्ट्रेस उनके मानसिक ही नहीं, शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। हालांकि अगर आप बच्चों को परीक्षा के दिनों में स्ट्रेस फ्री रखना चाहते हैं तो इन टिप्स को अपना सकते हैं−
सिर्फ पढ़ाई नहीं
परीक्षा के दिनों पर बच्चों के मन में तनाव का एक मुख्य कारण हरदम पढ़ाई की बात करना होता है। दरअसल, एक ओर बच्चे पहले ही पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते हैं, वहीं दूसरी ओर घर का माहौल भी कुछ ऐसा होता है, जिससे बच्चे का तनवा बढ़ता जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप बच्चे से हरदम पढ़ाई की ही बात ना करें, बल्कि उसके साथ थोड़ी देर टहलें या फिर खेलें। अन्य एक्टिवटिी करने से बच्चे का मूड फ्रेश होता है, जिससे वह बेहतर तरीके से परफॉर्म करते हैं।
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बनाएं स्टडी प्लॉन
अमूमन माता−पिता बच्चों से सिर्फ पढ़ाई की ही बात करते हैं, जिससे बच्चा परेशान हो जाता है। यकीनन इस समय बच्चों को अतिरिक्त पढ़ाई करने की जरूरत होती है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप एक स्टडी प्लॉन बनाएं। मसलन, बच्चा पूरे दिन में कितनी देर पढ़ाई करेगा और उसके कितनी देर का ब्रेक लेना है। एक बार में वह कितने पार्ट को कवर करेगा, इन सब की प्लानिंग पहले ही कर लें। इस तरह जब आप पहले से ही सारी प्लानिंग कर लेंगी तो इससे बच्चों का भी तनाव कम होगा।
खान−पान
परीक्षा के दिनों में बच्चों का खान−पान भी काफी अहम् होता है। इस दौरान बच्चों को अतिरिक्त भूख लगती है। लेकिन आप बच्चों को हैवी या तला हुआ फूड खिलाने की जगह थोड़ी−थोड़ी देर में कुछ ना कुछ खाने को दें। साथ ही लिथ्विड की मात्रा अधिक रखें और उसे हेल्दी स्नैक्स जैसे रोस्टेड बादाम या मखाना आदि दें। यह बच्चे को लंबे समय तक फुल रखेंगे और उनका एनर्जी लेवल बनाए रखेंगे। इतना ही नहीं, उनका संतुलित खान−पान बच्चों के तनाव को दूर करता है।
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करें रिलैक्स
अगर बच्चा पढ़ाई को लेकर अतिरिक्त तनाव में है तो आप उनके साथ मिलकर कुछ रिलैक्सेशन एक्टिवटिी कर सकते हैं। जैसे डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन, करें। इसके अलावा आप कुछ देर उन्हें जो पसंद हो, वह जरूर करने दें। भले ही वह म्यूजिक सुनना हो या फिर कोई गेम खेलना। दरअसल, इस तरह की एक्टिवटिी बच्चे के लिए स्ट्रेस बस्टर की तरह काम करती है।
वरूण क्वात्रा