By प्रिया मिश्रा | Mar 05, 2022
आपने बहुत सी फिल्मों में देखा होगा कि लड़का लड़की एक दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन घरवाले उनकी शादी के लिए मंजूर नहीं होते हैं। फिर दोनों घर से भागकर सीधे कोर्ट में जाकर कोर्ट मैरिज कर लेते हैं। लेकिन वास्तविक जीवन और फिल्मी दुनिया में काफी अंतर है। असल जिंदगी में कोर्ट मैरिज करने के लिए एक लंबा प्रोसेस होता है। इस पूरा करने के बाद ही लड़का लड़की शादी कर पाते हैं। आईए जानते हैं कोर्ट मैरिज करने का पूरा प्रोसेस
स्पेशल मैरिज एक्ट के 1954 के तहत, कोई भी बालिग कोर्ट मैरिज कर सकता है। किसी भी जाति, धर्म या संप्रदाय का व्यक्ति कोर्ट मैरिज कर सकता है। इसके लिए किसी भी धार्मिक रीति रिवाज का पालन करने की। जरूरत नहीं है। कोर्ट मैरिज के लिए लड़के और लड़की को मैरिज रजिस्ट्रार कार्यालय में अप्लाई करना होता है।
कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़के की उम्र कम से कम 21 साल और लड़की की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए। कोर्ट मैरिज के लिए दोनों पक्षों में से किसी को भी मानसिक विकार से ग्रस्त नहीं होना चाहिए। इसके अलावा दोनों पक्षों को कोर्ट मैरिज के समय पति पत्नि के रूप में ना रहे हों।
कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी दस्तावेज
कोर्ट मैरिज के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों का होना अनिवार्य है इसके लिए बर्थ सर्टिफिकेट, आईडी प्रूफ और आवेदन पत्र की कॉपी की जरूरत होती है। इसके अलावा अगर तलाकशुदा हैं तो तलाक के आदेश की कॉपी की जरूरत होगी। अगर विधवा हैं तो जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाणपत्र देना होगा। इसके अलावा लड़के और लड़की को अपनी दो पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ भी देनी होगी।
कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया
कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहले जिले के मैरिज रजिस्ट्रार को लिखित में एक नोटिस देना होता है, जिसमें विवाह के लिए कम से कम एक पक्ष उस तारीख से ठीक पहले 30 दिनों से कम की अवधि के लिए निवास नहीं कर रहा है, जिस पर ऐसा नोटिस दिया गया है।
इसके बाद मैरिज रजिस्ट्रार एक नोटिस प्रकाशित किया जाता है ताकि अगर किस को आपत्ति हो तो वह 30 दिन के अंदर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है।
अगर 30 दिन में किसी व्यक्ति द्वारा कोई आपत्ति ना दर्ज करवाई गई हो तो रजिस्ट्रार शादी के प्रोसेस को आगे बढ़ाता है।
कोर्ट मैरिज करने के लिए के लिए दोनों पक्षों को 3 गवाहों की भी जरूरत होती है।
इन सभी स्टेप्स को फॉलो करने के बाद रजिस्ट्रार मैरिज सर्टिफिकेट देगा। इस प्रमाणपत्र पर दोनों पक्षों और तीन गवाहों के हस्ताक्षर होने चाहिए। ऐसा प्रमाण पत्र कोर्ट मैरिज का निर्णायक सबूत है।