क्या है अमर जवान ज्योति और इसके वॉर मेमोरियल में विलय पर क्यों हो रहा विवाद? जानें पूरे मामले की असल सच्चाई

By अभिनय आकाश | Jan 22, 2022

जिन लोगों ने इंडिया गेट को करीब से देखा है या तस्वीरें ने देखा है, उन्होंने अमर जवान ज्योति की मशाल भी जरूर देखी होगी। इस मशाल को देखकर अपने शहीद सैनिकों को नमन भी जरूर किया होगा। लेकिन 21 जनवरी को एक विशेष कार्यक्रम के दौरान अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट के पास अभी हाल ही में बनाए गए नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में ही मिला दिया गया। यानी शहीदों की याद में कई दशकों से जल रही ये लौ अब नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में प्रजव्लित हो गई। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस समारोह पर जबतक राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री और तीनो सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं देते तब तक गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत नहीं होती। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस जगह की बजाय नेशनल वॉर मेमोरियल जाएंगे। इस पर जहां एक तरफ कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष पीएम मोदी समेत सरकार पर हमलावर हो गया तो वहीं बीजेपी और सहयोगी पार्टियां इसे सही बताते हुए अपना पक्ष रख रही हैं। अमर जवान ज्योति का इतिहास क्या है, इसे इंडिया गेट पर क्यों रखा गया था और वॉर मोमोरियल में क्यों किया गया शिफ्ट, विपक्ष को क्या आपत्ति है पूरी कहानी तफ्सील से बताते हैं। 

कैसे हुई विवाद की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि ऐसे वक्त में जब देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। मुझे आपसे ये साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ग्रेनाइड की बनी उनकी एक भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी। इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी की विशाल प्रतिमा पूरी होने तक उसी जगह पर उनकी हेलोग्राम प्रतिमा को लगाया जाएगा। मैं 23 जनवरी को नेताजी की जयंती पर होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करूंगा। पीएम मोदी के इस ट्वीट के बाद ये पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। वहीं विपक्ष ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे! वहीं बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर झूठ फैला रही है। अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा बल्कि इसका विलय किया जा रहा। 

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 इस विवाद की वजह क्या है

50 साल से इंडिया गेट के नीचे बिना अमर जवान ज्योति की लौ हमेशा जलती रही थी। लेकिन शुक्रवार को, लौ को आखिरकार बुझा दिया गया, क्योंकि इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में एक और शाश्वत लौ में मिला दिया गया। अमर जवान ज्योति की हर लौ को जलाने के लिए एक अलग गैस का बर्नर लगाया गया है। 1972 से 2006 तक अमर जवान की ज्योति को जलाने के लिए लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का यूज होता था। 2006 तक एक गैस का सिलेंडर करीब 36 घंटे चलता था। तब सिलेंडर को स्मारक की छत पर रखा जाता था। 2006 के बाद अमर जवान ज्योति की गैस को जलाने के लिए कंप्रेस्ड नैचुलर गैस (सीएनजी) का उपयोग होने लगा। इसके लिए 2005 में कस्तूरबा गांधी मार्ग से इंडिया गेट तक करीब आधा किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड गैस पाइपलाइन बिछाई गई है। अब इस गैस की सप्लाई इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) करती है। सीएनजी के एलपीजी से सस्ता और सुरक्षित होने की वजह से ही अब इसका इस्तेमाल किया जाता। अमर जवान ज्योति पर 24 घंटे थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान तैनात रहते हैं। यहां तीनों सेनाओं के झंडे भी लहराते रहते हैं। 

अमर जवान ज्योति का इतिहास

3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ाई शुरू हुई। 13 दिनों तक ये संघर्ष चलता रहा। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को कब्जे में लिया और बांग्लादेश के 7.5 करोड़ लोगों को आजादी दिलाई। इस युद्ध में भारत के 3,843 जवान शहीद हुए। उन शहीदों की याद में उस वक्त की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति जलाने का फैसला किया। 26 जनवरी 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया गया। इस जगह पर एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है जिसमें एक राइफल है जो बैरल पर खड़ी है और उसके ऊपर हेलमेट है। जिस पर अमर जवान लिखा हुआ है। इसी प्लेटफॉर्म पर मशाल जलती रहती है। जब से यह मशाल जलाई गई तब से लेकर 21 जनवरी 2022 शाम तक जलती रही।

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इसे इंडिया गेट पर क्यों रखा गया?

इंडिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता हैंऔर यह दुनिया के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों के याद में बनाया गया हैं।  1914 से 1918 तक चले पहले विश्व युद्ध और 1919 में हुए तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में करीब 90,000 भारतीय वीर जवानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी। 4 साल से भी अधिक समय चले पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिशों ने एक लाख से भी अधिक भारतीय जवानों की नियुक्ति की थी। और इस दुर्भाग्यवश घटना में 70,000 से भी अधिक भारतीय सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की थी। इंडिया गेट के ऊपरी भाग में ब्रिटिश इंपीरियल कॉलोनी के प्रतिक के रूप में एक शिलालेख लिखा हुआ हैं और इस शिलालेख में अंग्रेज़ी में यह लिखा है

"To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War."

स्मारक पर 13,000 से अधिक मृत सैनिकों के नामों का उल्लेख किया गया है। चूंकि यह युद्धों में मारे गए भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक था, इसलिए इसके तहत अमर जवान ज्योति की स्थापना 1972 में सरकार द्वारा की गई थी।

 नेशनल वॉर मेमोरियल में क्या है

नेशनल वॉर मेमोरियल में चार लेयर बनाई गई है। सबसे अंदर का चक्र अमर चक्र है जिसमें 15.5 मीटर स्मारक स्तंभ है जिसमें अमर ज्योति जल रही है। इसी ज्योति में इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति को विलीन किया गया। यह ज्योति शहीद सैनिकों की आत्मा की अमरता का प्रतीक है, एक आश्वसन भी कि राष्ट्र अपने सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भूलाएगा। वॉर मेमोरियल में दूसरी लेयर है वीरता चक्र जिसमें आर्मी,एयर फोर्स और नेवी द्वारा लड़ी गई छह अहम लड़ाइयों को बताया गया है। तीसरी लेयर त्याग चक्र में 25900 से ज्यादा सैनिकों के नाम है जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी है। यह नाम 1.5 मीटर की दीवार पर लिखे है। चौथा चक्र जिसमें 695 पेड़ है जो देश की रक्षा में तैनात जवानों को दर्शातें हैं।

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कहां विलय की गई अमर जवान ज्योति?

इंडिया गेट की अमर जवान ज्योति उसके पास ही बने नेशनल वॉर मेमोरियल में बनी अमर जवान ज्योति में विलय कर दी गई। नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को किया था। यह उन सैनिकों की याद में और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया जिन्होंने आजादी के बाद अलग अलग युद्ध और लड़ाई में अपनी जान न्यौछावर की। इंडिया गेट के पास 40 एकड़ जमीन पर 176 करोड़ रुपये की लागत से यह नेशनल वॉर मेमोरियल बना है। इसे बनाने की चर्चा साल 1961 से शुरू हुई। 2015 में कैबिनेट से इसे अप्रूवल मिला। यह देश का इकलौता ऐसा मेमोरियल है जहां ट्राई सर्विस यानी आमी, नेवी और एयरफोर्स के सैनिकों के नाम एक साथ हैं।

विपक्ष को क्या ऐतराज़

इसके विरोध करने का पहला तर्क यह है कि अगर दो जगह शहीदों के तिर मशाल जल रही है तो इससे किसी को क्या दिक्कत है। इंडिया मेट पर अगर जवान ज्योति से लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। साथ ही यह 1971 युद्ध में भारत की जीत के बाद जलाई गई। यह शहीदों को श्रद्धांजलि देती है और उनकी याद ज़िंदा रखती है। मशाल को विलय करने का विरोध करने वालों का यह भी कहना है कि यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ है और 1971 के युद्ध की अहमियत को कम करने वाला कदम है। 1972 से लेकर अब तक लोग इसी जगह पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते रहे हैं।

सेनानायकों की क्या है राय

मोदी सरकार के अमर जवान ज्योति की लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल में शिफ्ट करने को लेकर पूर्व सैन्य अधिकारियों की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। पूर्व एयर मार्शल मनमोहन बहादुर ने ट्विटर पर पीएम मोदी को टैग करते हुए इस फैसले को वापस लिए जाने की अपील की है। उन्होंने लिखा कि इंडिया गेट पर जल रही लौ भारत के मानस का हिस्सा हैं, आप मैं और हमारी पीढ़ी वहां हमारे बहादुर जवानों को सलाम करते हुए बड़े हुए हैं। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक महान है, वहीं अमर जवान ज्योति अमिट है। वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त), पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) भारतीय सेना, विनोद भाटिया ने केंद्र के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘यह एक अच्छा निर्णय है। आज एक महान अवसर है, इंडिया गेट पर अमर ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय किया जा रहा है। अमर जवान ज्योति 1971 में 50 वर्षों के लिए हमारे सैनिकों का सम्मान करती है।

-अभिनय आकाश 

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